गड़कालिका तू धारवाली
गड़कालिका तू धारवाली
गड़कालिका तू धारवाली,
मालवा की अंबिका |
तू स्वामिनी पोवार कुल की,
भोज की जगदंबिका ||
से धार नगरी मा जलाशय,
नाव से सागर तरा |
ओको किनारो पर बसी तू,
माय सबकी गड़परा ||१||
पोवार जालमसिंह का बी,
भय गया मन्नत पुरा |
आधार बुड़पण मा मिलेतो,
एक सुंदरसो टुरा ||
माता भवानी को कृपा लक,
वंश से पोवार को |
से ख्याति फैली संसार मा,
नाव मोठो धार को ||२||
सब देशभर का आवसेती,
माय तोरो गड़परा |
मन्नत सपा करसेस पूरी,
भक्त सेती जे खरा ||
करदे सुखी संसार मोरो,
मी करूसू प्रार्थना |
गोकुल कसे स्वीकारले तू,
माय मोरी याचना ||३||
