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Prakash Chavhan

Abstract Tragedy

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Prakash Chavhan

Abstract Tragedy

सैर कर पुन्हा

सैर कर पुन्हा

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*सैर कर पुन्हा 

शहराचं राजा तू

गांव बघते रे वाट 

कधी तरी भेटून जा*

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*दिवं आनंदच कधी 

या मायभू लावून  

आईचें नयन सुखे थोडे 

प्रेमानं ओले करून जा*

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*सैर कर पुन्हा 

मजा येऊ दे थोडं 

आनंद आनंदाचे गडे 

जन्माच्या पाऊलवाटा*

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*काया दमतें पण 

मन नाही दमत रें 

दयावान तु असा  

तु तुलाच घेऊन ये*

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*क्षण तें उनाड 

अल्लड ज्वानीचे 

खुणा बघूनच 

जगून घे थोडं*

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*मनात ती सय 

आणून बघ 

हृदयात पावलं 

झुमू दे थोडं*

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*सैर कर पुन्हा 

सोबती जीवाड तुझे 

 गळा लावून बघ थोडं 

विसावाच स्वर्ग दिसेल तुले*

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*पाखरू तू अलबेला 

कधीतरी येत जा

हे गांव तुझं

माणुसकी जपलेलं*

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