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Prakash Chavhan

Abstract Tragedy

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Prakash Chavhan

Abstract Tragedy

प्रेम तळमळला

प्रेम तळमळला

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*प्रेम तळमळला 

सखा रे पडताच तू 

घाव बघून घाव 

हुर्दयी मज उमटले*

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*स्तब्ध तुज वागण्याने 

मोठा होऊन तू

हुशार खरा, 

अल्लडपणा सोड ना रे*

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*सुलझ उलझ 

जिणं वयात खरं

रंग भर चांगले 

बेरंग का होतो रे*

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*सदा सदिच्छा पाठीशी 

जिवा भावाचं बंध रें 

ऐक समजून 

काळजी घे जीवाची*

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*अनमोल ठेवा हा 

सहीसलामत राहणं 

अन् राहून जगण्यात 

यश पचवणे महत्वाचं रे*

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*असं व्यक्त अव्यक्त प्रेम 

भोवताली तुज रें 

जीव सांभाळून तोडू नको मित्रता 

सावली ही एक मायेचीच रे*

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