पालव एक प्रेमाचं
पालव एक प्रेमाचं
*पालव एक प्रेमाचं
मनामधी असलेलं
आपण आपल म्हणून
सोबतीला चालवलेलं*
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*सोडतो कधी कुठे
भावनेची भाकर
कधी मित्रां सोबत
कधी मायबाप भावंडात*
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*असं उशीच पालव
छातीला लावलेलं
जिणं पथाची सावली
वेळोवेळी भावती*
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*आप्तांची पालवी
बघती आपुलकीनं
सांगत बसती
आपलं आपल म्हणून*
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*अशी हिरवळीची पालव
असती सदा भोवती
तेथे असावं आपण
सुंदर फुलासारखं*
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*सोडुनी पालव चारचौघात
क्षोणोक्षणीची भाकर
मिळवून मिसळून खाण्यात
वाटे सुखद पावलो पावली*
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*या जिणं पालव्यात
मित्राचं आगळं स्थान
ऊन तापलेल्या राणातलं
धीर, सावली देणार वुक्ष*
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*असं पालव प्रत्येकापासी
जसं वागत तस राहतं
अशी माय माया त्यात
अंतःकरणासी भिडलेलं*
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*जीवनातलं असं पान
हुर्दयातलं हुर्दय तिथं
ऋतू मधलं वसंत ऋतू
आनंदाचच पर्व असतं*
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*जीवनसखीची जोड त्यात
आणखीच रंग भरते
पालव हा पालवच
प्रेमाची शिदोरी भरतं*
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