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Prakash Chavhan

Tragedy

3  

Prakash Chavhan

Tragedy

नशा जगण्याचा

नशा जगण्याचा

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*चाले सुखाच्या वाटी 

अर्धी भाकर श्रमाची |

गोडी करुनी प्रेमात 

समजून कवेत घेतं नाती ||*

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*नशा जगण्याचा 

प्रेम करतं येतं      |

उल्हास असलेलं जिणं 

रुची बनवुनी जगत     ||*

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*हित हिताला लागून 

येतं वैभव सुखाचं     |

 फिरत चक्र इच्छेचा 

सुंदरता असतें दुर्ष्टीत   ||*

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*मन आदर्श मनातं 

नशा नसतो नशेचा     |

ओढ कितीही असली 

सारासार कशात बुडतं नाही  ||

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*डॊल डॊलदार जिणं 

आज करतं उद्याच बनून  |

गुण गुणतं आनंदाचं गाणं 

वास्तवात करतो साकार    ||*

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*नशा जगण्याचा 

इतिहास घडवते नशिबी   |

आत्मविश्वासाच्या मजबुतीनं 

सामना करत काळासीं    ||*

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