' ज़िम्मेदार '

' ज़िम्मेदार '

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बेटी ने जैसे ही अपनी नज़रें चुरा कर अपनी माँ को अपने गर्भवती होने की जानकारी दी, माँ ने कहा 'बेटा अब तुम्हारे नज़रें चुराने से क्या फायदा ?' 'लेकिन माँ, अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई।'

'ये तो तुम्हें पहले से पता था कि तुम्हारी शादी नहीं हुई है',माँ ने कहा। 'नहीं माँ रवि ने मुझे धोखा दिया है, शादी का वादा करके मुकर गया है।मैं उसे छोड़ूंगी नहीं, उसे कोर्ट तक घसीटूंगी।' माँ बोलीं 'देखो बेटा, तुम पढ़ी लिखी हो,बालिग हो,समझदार हो,और तो और नौकरी पेशा हो। अपने किये गए कामों के लिए भी तुम ही जिम्मेदार हो, तुम्हें ये समझ तो पहले दिखानी चाहिए थी।

रवि को कोर्ट में घसीट कर शायद तुम ये तो साबित कर दो कि वो तुम्हारे होने वाले बच्चे का बाप है, लेकिन क्या मन से भी बच्चे का बाप और तुम्हारा पति बन पाएगा?' 'अपने द्वारा किये जाने वाले हरेक कृत्य का जिम्मेदार आदमी स्वयं होता है क्योंकि उससे होने वाले फायदे या नुकसान का भागीदार भी वो स्वयं होता है।' 'तो फिर ठीक है, मैं इस बच्चे को ही नहीं रखती,'बेटी ने कहा। 'न न बेटा, एक गलती तो तुम कर चुकी अब दूसरी गलती तो न करो।

उस अजन्मे का क्या दोष जो तुम उसे कोख में ही समाप्त कर दोगी। अपने किये के लिए ज़िम्मेदार बनो और आने वाले की राह प्रसस्त करो। ज़िम्मेदार बनो बेटा ज़िम्मेदार।'


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