"बचपन और बुढ़ापे की दोस्ती"
"बचपन और बुढ़ापे की दोस्ती"


ये करीब दस बारह साल पहले की बात है। उस दिन मैं जैसे ही घर में घुसा मेरा पांच साल का बेटा मेरे पास आया और बोला " पापा क्या आप "बागबान "पिक्चर की सीडी ला सकते हैं?" मैं बहुत आश्चर्य में पड़ गया, कार्टून चैनल देखने की उम्र में बागबान जैसी पिक्चर? मैंने कहा " बेटा तुम तो वो किपर और ओसवाल्ड जैसे कार्टून देखते हो। ये बागबान मूवी क्यों देखोगे भला?"वो बोला "पापा ये तो दादा जी को देखनी है।"अब तो मुझे और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ। राहुल के दादा जी यानी मेरे पिता जी पिक्चर भी देखते हैं ये मेरे लिए नई जानकारी थी। खैर राहुल को अगले दिन बागबान मूवी की सीडी लाने का वादा किया। राहुल दौड़ कर अपने दादा जी के कमरे में चला गया उन्हें कल सीडी आने की खबर देने के लिए।
इधर मैं सोच रहा था कि मुझे तो अपने पापा के बारे में इतनी सी भी जानकारी नहीं। पत्नी चाय लेकर आई तो मुझे ऐसे सोच में देख कर पूछ बैठी "अरे क्या हुआ?ऐसा क्या सोच रहे हैं?" मैंने उसे राहुल की बात बताई तो वो बोली, "अरे ये तो कुछ भी नहीं। राहुल और पापा जी दोनों पक्के वाले दोस्त बन गए हैं। राहुल जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुनने लग गया है उनके साथ साथ और पापा जी स्टैंडिंग लाइन और स्लीपिंग लाइन खींचने लगे हैं।राहुल का काफी समय अब दादा जी के साथ बीतता है। उस दिन मैं अचानक पापा के कमरे में चली गई तो देखा पापा जी अपने हाथ ऊपर करके खड़े हैं। मुझे देख कर एक बार तो वो शरमा गए फिर बोले "टीचर जी ने सजा दी है।"सच कहती हूं जबसे पापा जी इस बार आए हैं मेरी तो आधी जिम्मेदारी ही कम हो गई है। राहुल पापा जी के साथ स्कूल बस तक जाता है,स्कूल से लौट कर घर भी उन्हीं के साथ आता है, खाना भी उन्हीं के साथ खाता है और कई बार दिन में सो भी उनके साथ जाता है। पापा जी भी उसे बस से लाने के लिए एक दम समय पर तैयार हो जाते हैं।खाना कितना भी कहो राहुल के साथ ही खाते हैं। एक दिन मैं पूछ बैठी "पापा जी, आपकी और राहुल की तो बहुत जमती है।"तो पता है पापा जी ने क्या कहा?"बोले,"बेटा दादा पोते का पहला दोस्त होता है और पोता दादा का आखिरी दोस्त होता है ,जमेगी कैसे नहीं?"