Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

युद्ध - ‘भाईचारे से रहते थे’ …

युद्ध - ‘भाईचारे से रहते थे’ …

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युद्ध - ‘भाईचारे से रहते थे’ …  #BreakTheBiasअपनी औरतों पर दुष्कृत्य प्रयास को रोक सकने की हमें प्रसन्नता थी। एकदम विपरीत परिस्थितियों के जीवन यापन में कुछ पल सुख के आते हैं, यह रात मुझे ऐसा नूतन अनुभव दे रही थी। 

टार्च की रोशनी में मैं देख रहा था कि पिछली ही रात को अपने पर रेप से व्यथित और रोती रही बोहुस्लावा, आज खुशी से पूर्व की भांति चहक रही थी। उसके मुख पर वही हँसी, शान और आभा थी जिसे देख कर 15 वर्ष पूर्व, उस आसक्त होकर मैं अपना दिल उसे दे बैठा था। मेरे प्यार का उत्तर बोहुस्लावा से प्यार में मिला था। 

दो वर्षों तक हम बिना विवाह किए प्यार से मिलते और एक होते रहे थे। अंततः हमने विवाह किया था। परिणाम हमारे यह दो बच्चे थे। ये बच्चे ही, आज हम दोनों की प्रमुख चिंता थे। हम चाहते थे कि इस युद्ध में जीवित बच और बड़े होकर, जैसा प्रेम बोहुस्लावा एवं मुझमें रहा है, ये भी अपने पार्टनर के साथ उस प्रेम में जी पाएं। 

बच्चे जब पुनः सो गए तब बोहुस्लावा और मैं आपस में बातें कर रहे थे। वह मेरे सीने से लग कर कह रही थी - बॉरिस्को आप पुरुष हो, आप जीवन में कभी ऐसा अनुभव नहीं कर पाओगे। 

मैंने उसके होठों को चूम लिया था फिर पूछा - कैसा अनुभव, बोहुस्लावा?

बोहुस्लावा ने कहा - यह कि जिसने रेप किया हो तो उसका अगली ही रात मारा जाना पीड़िता के लिए कितना सुखद अनुभव होता है। 

मैंने उसे अपने से भींचते हुए कहा - तभी आप प्रसन्नता से ऐसी दमक और मुस्कुरा रही हो जिस पर मेरी आसक्ति के कारण, 15 वर्ष पूर्व आपने मेरा दिल अपनी गिरफ्त में कर लिया था। 

बोहुस्लावा ने कहा - रेपिस्ट का मारा जाना ही नहीं, मेरा इस अँधेरे बेसमेंट में छह दिन बिना नहाए और मैले कपड़ों में भी, आपका 15 वर्ष पूर्व वाली बोहुस्लावा का देख पाने का एक और कारण है। 

मैंने उसके बालों को स्नेह से सहलाते हुए कहा - वह क्या है, यह भी आप बता दो। 

अँधेरा था, मैं बोहुस्लावा को देख नहीं पा रहा था। फिर भी मुझे लग रहा था कहने के पूर्व वह लाज से लाल हो रही थी, जब उसने कहा - बॉरिस्को, यह आप हो जिसने मेरे रेप के बाद मुझसे झूठ कहा।  

मैंने अचरज से पूछा - अब मैंने क्या झूठ कह दिया, आपसे? 

बोहुस्लावा ने बताया - आपने मुझसे कहा था, “डॉर्लिंग! तुम इतनी दुखी न होओ। ज़िंदगी में मैंने कुछ और औरतों से संबंध रखे थे। तुम्हारे साथ एक दो सैनिक ने दुष्कर्म कर लिया, मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ने वाला। हममें प्रेम पहले जैसा ही रहेगा।”  मैं जानती हूँ यह सफेद झूठ था। आपने यह, मेरी बलात्कार पीड़ित होने की ग्लानि और दुःख को कम करने के लिए कहा था। 

अब मैं सोचने लगा था कि एक नारी का पत्नी होना भी बड़ी अद्भुत बात होती है। वह कहे, अनकहे अपने पति की वास्तविकता जानती है। मैं यह सोच ही रहा था तभी बोहुस्लावा फिर कहती सुनाई दी - 

बॉरिस्को इसमें मेरा कोई दोष नहीं था। यह एक बदमाश की हवस थी। साथ ही उसकी मशीन गन का डर था। मैं प्रतिरोध तो कर रही थी मगर अपने को उससे बचा नहीं पाई थी। मैं आपके लिए और अपने बच्चे के लिए जीना चाहती थी। आपसे बिना बताए मैं सबसे दूर जाने का साहस नहीं कर पाई थी। तब आपने अपने जेस्चर और कहे शब्दों से मेरा मनोबल बढ़ाया था। यह वास्तव में एक पति का वह साथ देना था जो चर्च में फादर के समक्ष, हर बुरे एवं अच्छे समय में, पत्नी का साथ देने की शपथ से मैच करता है। 

मुझे उस पर प्यार आया था। मैं अब उससे संबंध करने की हरकत करने लगा था। बोहुस्लावा ने मुझे रोक दिया था। और कहा - बॉरिस्को नहीं, अभी यह नहीं। युद्ध के अभिशाप से मुक्त होते ही, हम चर्च में फिर एक बार विवाह करेंगे। तब ही यह फिर करेंगें। 

मैं उसकी भावना को समझ रहा था। उसका मेरे लिए समर्पण और श्रद्धा को समझ रहा था। वह तन-मन से साफ होकर खुद को मुझे सौंपना चाहती थी। 

तब ही मुझे कोई कहता सुनाई दिया - बॉरिस्को, बॉरिस्को, चलो इन दो लाशों को दफन कर आएं। इनका यहाँ पड़ा रहना, हमारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। साथ ही इनके पड़े रहते, हम सो नहीं सकते हैं। 

बोहुस्लावा की बातों में मेरा ध्यान उन पर से हट गया था। मुझे कहा गया, सही लगा था। फिर हम चार पुरुष मिल कर लाशों को बेसमेंट से हटाने एवं बाहर कहीं दफन कर आने के काम में लग गए थे। 

हम सबने छह दिन पहले नहाया था। जब से हम घरों से निकल कर बेसमेंट में आ छुपे थे तबसे हमारे कपड़े एवं तन मैले थे। युद्ध की भीषणता बढ़ गई थी। तब भी इस डर से कि नहाए या साफ कपड़ों के बिना बीमार पड़ सकते हैं, हमारे साथ के दो परिवार, प्राणों का खतरा लेकर निकले थे। दो घंटे बाद जब वे आए तो नहाए हुए एवं नए कपड़ों में थे। 

उन्होंने बताया कि उन्होंने एक अपार्टमेंट में दरवाजा तोड़ वहाँ घुस कर नहाया है एवं वहीं से अपने से मैचिंग साइज के दूसरे कपड़े लेकर पहन लिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उसमें यद्यपि बिजली नहीं है मगर ओवरहेड टैंक में अब भी पानी भरा हुआ है। तब उनसे पता लेकर बच्चों एवं बोहुस्लावा सहित मैंने खतरा उठाकर वहाँ जाना तय किया। 

आसपास हो रहे धमाकों की गूँज में अपने और दुश्मनों के सैनिकों से छुपते हुए हम उस अपार्टमेंट में पहुँचे थे। हम चारों ने एक साथ ही वॉशरूम में घुस कर शॉवर लिया था। बोहुस्लावा एवं मैंने दोनों बच्चों को रगड़ रगड़ कर नहलाया था। यह विशेष परिस्थिति थी। हम चारों ने एक दूसरे के सामने नंग धड़ंग रहने में संकोच नहीं किया था। 

इस अपार्टमेंट को छोड़कर गया परिवार शायद बड़ा था। नहाने के बाद हमने वहाँ के वार्डरोब में खोजा तो हम सभी को अपने साइज के कपड़े मिले थे। हमने उन्हें पहन लिया था। नहाने के बाद तरो-ताजा होने पर हम सभी को भूख लग गई थी। 

वहाँ मुझे पॉवर बैंक मिला था। मैंने अपना एवं बोहुस्लावा का मोबाइल फोन चार्ज कर लिया था। 

हम किचन में गए थे। बिजली के अभाव में फ्रिज की सामग्री खराब हो चुकी थी। फिर भी वहाँ सूखा अनाज और आटा, बेसन, नमक, तेल, शक्कर आदि बहुत था। हम खाना बनाने लगे थे तब बच्चों ने बेडरूम में जाकर खूब धमा चौकड़ी मचाई थी। भोजन तैयार होने पर हम सभी ने छककर खाया था। हम तृप्त और खुश हुए थे। 

यह फिर वह अवसर था जब हम अपना सब खोकर, थोड़ा ही पाकर खुश हुए थे। मैंने बोहुस्लावा से कहा - सामान्य समाज में जीते हुए हम जिसे अनुभव नहीं करते हैं, वह अब कर रहे हैं। 

बोहुस्लावा ने पूछा - वह क्या?

मैंने कहा - मनुष्य के सुख और संतोष के लिए उतना सब नहीं चाहिए होता, जितने को पाने की होड़ में लग कर, वह अपने आप को भूला रहता है। 

बोहुस्लावा ने हँसकर सहमति जताते हुए कहा - सही कह रहे हो, आप बॉरिस्को। 

फिर हम लौटने को तैयार हुए थे। बहुत सा बनाया भोज्य पदार्थ बच गया था। वह हमने पैक किया था, वॉर्डरोब से कुछ और कपड़े लिए थे। सबको एक बेग में भरा था। मैंने एक कंधे पर मशीन गन दूसरे पर बेग टाँगा था। फिर हम सब लौट रहे थे। 

अब तक हमने जिस पर ध्यान नहीं दिया था वे धमाके और संघर्ष की आवाजें, हमें पुनः दहलाने लगीं थीं। 

हम बचते-बचाते, छुपते-छुपाते अपार्टमेंट की अपेक्षा, सुरक्षित अपने ठिकाने (बेसमेंट) की ओर बढ़ने लगे थे।

हम थोड़ा चले थे तब बोहुस्लावा एकाएक ठिठक कर रुक गई थी। मैंने उसकी नजरों को पीछा किया तो वहाँ एक सैनिक छुपा दिखाई दिया था। उसकी यूनिफार्म से वह दुश्मन का सैनिक समझ आ रहा था। 

मैंने तुरंत ही अपनी मशीन गन उस पर तान दी थी। तभी उसने अपने दोनों हाथ समर्पण की मुद्रा में उठा दिए थे। मैं चौंकन्ना होकर गन का मुँह उस पर रख कर उसके पास पहुँचा था। मुझे दुश्मन देश की भाषा का अच्छा ज्ञान था। मैंने उससे अपने सब हथियार ज़मीन पर रखने कहा था, उसने ऐसा ही किया था। मैंने बोहुस्लावा को इशारा किया, उसने सैनिक के हथियार अपने कब्जे में किए थे। 

अब मैंने अपनी गन वापस कंधे पर टाँग ली थी। फिर कहा - 

तुमने हमारे देश पर हमला बोला है। मैं चाहूँ तो अभी ही तुम्हें परलोक की यात्रा पर भेज सकता हूँ। 

सैनिक ने गिड़गिड़ा कर कहा - हमला, हमने किया नहीं है। हमसे करवाया गया है। 

मैंने कहा - दोनों, एक ही बात है। 

उसने उत्तर दिया - नहीं, कभी हम एक ही संघ के देश थे। हम आपस में दुश्मन नहीं हो सकते हैं। यह आपके और हमारे नेतृत्व की महत्वाकाँक्षा है जिससे हम आपस में दुश्मन प्रतीत हो रहे हैं। मुझ पर दया करो। मुझे 36 घंटे से कुछ खाने को नहीं मिला है। 

बोहुस्लावा ने मुझसे हमारी भाषा में कहा - यह दुश्मन देश का है मगर हमारे देश के उन गुंडों से अच्छा आदमी है, जिन्होंने हम औरतों पर जबरदस्ती की थी। 

बोहुस्लावा ने दया भाव से मेरे कंधे पर से टँगा बेग उतारा था। फिर अपने साथ लाया गया भोजन, उस सैनिक को खाने दिया था। 

वह आँसू बहाते हुए, वास्तव में किसी बहुत भूखे व्यक्ति की तरह खाने लगा था। हमारे दोनों ही बच्चे उसे उत्सुकता से निहार रहे थे। वह खा चुका तब बोहुस्लावा ने बेग से निकाल कर, दूसरे वस्त्र सैनिक को दिए और उसकी भाषा में कहा - 

अपनी वर्दी उतारकर इसे पहन लो। अन्यथा तुम्हारी जान को खतरा रहेगा। 

उसने एक कॉलम की आड़ लेकर ऐसा ही किया था। फिर बोहुस्लावा ने उसकी उतारी वर्दी बेग के हवाले की थी। 

अब वह पुनः रोने लगा था। मैंने कारण पूछा तो उसने बताया - 

मुझे मेरी माँ की याद आ रही है। 

मैंने उसकी माँ का नं. पूछा था। उस नं. पर मैंने अपने मोबाइल से कॉल किया था। रिप्लाई मिलने पर उसे मोबाइल दिया था। 

रोते हुए उसने अपनी माँ से कुशलक्षेम पूछी थी। अपनी करुणाजनक स्थिति उनसे बताई थी। फिर बोहुस्लावा और मेरी प्रशंसा करते हुए, भोजन और कपड़े देने की बात बताई थी। वह बात समाप्त करके कॉल डिसकनेक्ट करने वाला था। तब बोहुस्लावा ने उससे मोबाइल लिया तथा सैनिक की भाषा में मोबाइल पर कहा - 

आपका बेटा हमारे देश और हमारे आश्रय में सुरक्षित है मगर हमारे देशवासी और हम, आपके देश के हमले से असुरक्षित हैं। 

सैनिक की माँ ने उत्तर दिया - आप सब, आपके और हमारे सैनिक तथा मेरा बेटा, आपके और हमारे लीडर्स के कारण असुरक्षित हैं। 

“पहले हम सभी आपस में भाईचारे से रहते थे।"  



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