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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

युद्ध - ‘बैर भाव एवं वर्चस्व महत्वाकांक्षा’

युद्ध - ‘बैर भाव एवं वर्चस्व महत्वाकांक्षा’

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युद्ध - ‘बैर भाव एवं वर्चस्व महत्वाकांक्षा’ हम शेल्टर में पहुँचे तो वहाँ सब कुछ साफ-सुथरा था। पहली दृष्टि में ही स्पष्ट लग रहा था कि किसी ने अथक परिश्रम से इस शेल्टर को स्वच्छ एवं रहने योग्य बना दिया है। आज दोपहर के पहले जब हम यहाँ आए थे तब यहाँ मुर्दानगी छाई हुई थी। अब हमने देखा कि यहाँ सब खुश और आपस में हँस हँस कर बातें कर रहे थे। 

बोहुस्लावा ने मुझसे कहा - 

हमने देखा, सारे शहर में मौत का साया दिख रहा था। अभी यहाँ देखने से लग रहा है जैसे जिंदगी लौट आई है। 

मैंने कहा - बोहुस्लावा इन थोड़े शब्दों में आपने बड़ी कहानी कह दी है। जैसे गागर में सागर भर दिया हो। 

वह मुस्कुराई थी। हमें देखकर दोनों बच्चे हमारे पास आकर प्यार से हम दोनों से चिपक गए थे। वे भी पिछले दिनों में अभी सबसे अधिक प्रसन्न प्रतीत हो रहे थे। 

बेटे ने बताया - 

पापा, जब आप गए थे तब से आंद्रेई अंकल ने यहाँ काम करते हुए सभी वॉशरूम सहित पूरे शेल्टर की सफाई - धुलाई की है। 

मैंने प्रशंसा से चारों तरफ दृष्टि दौड़ाई थी। बोहुस्लावा ने पूछा - क्या अकेले, आंद्रेई ने इतना सारा काम किया है। 

अब बेटी ने बताया - नहीं, आंद्रेई ने अधिक मेहनत की है। उनका साथ रुसलाना एवं भाई ने दिया है। 

मैंने बेटे को अपने सीने से लगाकर उसकी पीठ थपथपाई और अचंभे के भाव में कहा - हमारा बेटा क्या इतना बड़ा हो गया है?

अब बेटी भी आकर मेरे से चिपट गई थी। बोहुस्लावा ने पूछा - आंद्रेई और रुसलाना दिखाई नहीं दे रहे हैं। कहाँ हैं दोनों?

बेटे ने कहा - काम के बाद नहा कर और नए कपड़े पहन कर, वे अभी ही बाहर गए हैं। 

बेटी ने फुसफुसाकर बोहुस्लावा को बताया - दोनों ने एक साथ एक ही वॉशरूम में नहाया है। 

हम दोनों उसकी इस बात पर हँस पड़े थे। इससे शायद मेरे बेटे को शर्म आई थी। उसने बात बदलते हुए कहा - पापा, इस शेल्टर में बिजली है, यह भी कितनी अच्छी बात है। 

मैंने कहा - साफ सुथरा किए जाने से यहाँ मच्छर भी कम होंगे। 

अब एक गर्भवती लड़की हम लोगों के पास आई उसने टूटी फूटी हमारी भाषा में कहा - 

आप लोगों के कदम यहाँ चमत्कारी सिद्ध हुए हैं। हम सब कुछ दिनों से यहाँ रह रहें हैं। आज पहली बार ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे यहाँ जीवन लौट आया है। पहले हम सब डरे सहमे रहकर, आपस में बातें भी नहीं कर रहे थे। आप देखिए आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सब एक परिवार हैं। 

मैंने कहा - यह कमाल तो आंद्रेई एवं रुसलाना का किया है। 

उसने कहा - जी रुसलाना तो यहाँ पहले भी रह रही थी। यह तो आपके भाई आंद्रेई का जादू है, जिसने यहाँ की प्रकृति बदल दी है। 

बोहुस्लावा और मैं भाई शब्द पर चौंके थे। हमारी जिज्ञासा का उत्तर लड़की की अगली बात में मिल गया था। उसने कहा - 

यह भी कितना विचित्र है कि आपके इसी दुश्मन के देश में रहकर ही, आपका भाई आंद्रेई बचपन से पला और बढ़ा हुआ है। उसे समझ भी दुश्मन की भाषा आती है। मगर वह अपनी संस्कृति एवं कर्तव्य का बढ़ चढ़ कर पालन करता है। दिन भर इस शेल्टर की अपने घर जैसे सफाई के साथ साथ ही वह, वृद्धों और हम गर्भवती स्त्रियों की सेवा में भी कोई कमी नहीं होने दे रहा है। 

अब मैं और कदाचित् बोहुस्लावा भी यही सोच रहे थे कि यह कहानी कैसे बनी है। फिर भी यह अच्छा था कि आंद्रेई ने अपने आत्मीय व्यवहार से यहाँ सभी को प्रभावित (Influenced) कर लिया है। इससे यहाँ होने पर भी, उसके दुश्मन होने की सच्चाई से होने वाली समस्या कम हुई है। 

दिन भर से शहर भ्रमण में होने से हम थके हुए थे। हमें स्नान करने की तीव्र इच्छा हुई थी। बोहुस्लावा और मैंने अपने सामान में से अपने कपड़े लिए थे। फिर बोहुस्लावा ने बच्चों से कहा - 

आप दोनों अभी यहाँ सब के छोटे मोटे काम में सहायता करो, पापा और मैं थोड़ी देर में स्नान करके आते हैं। 

हम दोनों वॉशरूम की जगह आए थे। यहाँ दस टॉयलेट/वॉशरूम थे। अभी सब खाली थे। हमने देखा कि सब साफ और चमक रहे थे। बोहुस्लावा जिस वॉशरूम में घुस कर दरवाजा लगा रही थी। मैंने शक्ति से ठेल कर उसे बोल्ट नहीं करने दिया था। मैं उसी में घुसा और तब बोल्ट किया था। 

बोहुस्लावा ने कहा - बॉरिस्को यह क्या शराररत तुम पर हावी हुई है। 

मैंने कहा - सुना नहीं आपने, बेटी ने बताया था आंद्रेई एवं रुसलाना ने साथ नहाया है। अगर वे आपस में विवाहित नहीं होते हुए ऐसा कर सकते हैं तो हम आधिकारिक रूप से विवाहित (Officially married) हैं। ऐसा करने के लिए हम तो अधिकृत हैं। 

बोहुस्लावा ने शरमाते हुए कहा - ऐसा करने का बावलापन (Craze) तब अधिक होता है जब हम अधिकृत (Authorized) नहीं होते हैं। 

मैंने उसी की बात आगे बढ़ाते हुए कहा - युद्ध के साए में पिछले 20 दिनों से रहते हुए, हम ऐसे अधिकृत होना भूल ही तो गए हैं।  

फिर बोहुस्लावा ने शर्माते हुए अपने वस्त्र अलग किए थे। हम साथ शॉवर लेने लगे थे। मेरा दिल काबू में नहीं रह पा रहा था, मेरी शरारत बढ़ती अनुभव करने पर बोहुस्लावा ने मुझे रोकते हुए कहा - बॉरिस्को, अभी नहीं। मैंने आपसे कहा था ना कि हम चर्च में फिर शादी करेंगे। यह सब हममें उसके बाद ही होगा। 

मुझे अपने पर खेद हुआ कि मेरी हरकतों ने, बोहुस्लावा को अपने पर हुए दुष्कर्म की याद दिला दी थी। 

हम जब नहा चुके तो बोहुस्लावा ने कहा - मैं पहले जाती हूँ, आप कुछ विलंब करके आइए, साथ जाएंगे तो इसे देख हमारा बेटा शरमाएगा। वह अब यह समझने लगा लगता है। 

जब मैं लिविंग एरिया में पहुँचा तब तक आंद्रेई और रुसलाना वापिस आ चुके थे।

उन दोनों को इतना घुला मिला देख कर, यह लग नहीं रहा था कि वे आज के ही परिचित हैं। साथ ही अभी परस्पर दुश्मन हुए, दो भिन्न देशों के नागरिक हैं। 

हम सबने शेल्टर में उपलब्ध यूनीसेफ ऐड में आए भोज्य पदार्थों को खाकर डिनर किया था। तभी उस गर्भवती लड़की को जो हमसे आंद्रेई की प्रशंसा करके गई थी प्रसव वेदना (Labor pain) होने लगी थी। दोनों नर्स उसकी देखभाल में लग गईं थीं। 

जब बच्चों सहित हम लोग सो चुके थे तब देर रात लड़की की वेदना से कराहने की आवाजें तेज हुईं थीं। मैं उठा तो बोहुस्लावा ने कहा - 

अब उसका प्रसव होने वाला लगता है। आंद्रेई और आप बाहर जाइए हम नर्स की सहायता करते हैं। अगर इस बीच बच्चों की नींद खुलती है तो मैं उन्हें भी बाहर भेजती हूँ। 

आंद्रेई और मैंने ब्लैंकेट ओढ़े थे और हम बाहर आ गए थे। यह शांत रात थी। बम, गोलियों और मिसाइलों के चलने की कोई आवाज नहीं आ रही थी। मैं और आंद्रेई बातें करने लगे थे। 

मैंने कहा - आंद्रेई आपने अपनी सेना के साथ आक्रमण करके, हमारे देश को तहस-नहस किया है। अब रुसलाना से प्यार की पींगें (Flirt) बढ़ा कर, आपका विचार उसे तहस-नहस करने का तो नहीं है?

आंद्रेई ने उत्तर देने के स्थान पर प्रतिप्रश्न (Counter question) किया - बॉरिस्को, क्या मैं आपको ऐसा व्यक्ति लगता हूँ?

मैंने कहा - आपने आज शेल्टर की समर्पण भाव से साफ-सफाई करके, कदाचित् रुसलाना के हृदय में स्थान बना लिया है। मेरा यह सब कहने का आशय यह है कि आप अपने को मेरा भाई बताकर, रुसलाना की भावनाओं के साथ खिलवाड़ और विश्वासघात नहीं करना। 

आंद्रेई ने कहा - आप जानते हैं, मैं युद्ध विभीषिका (War Apocalypse) से हुए धन-जन हानि को देखकर हिल गया व्यक्ति हूँ। मैंने सैनिक होना त्यागकर आपकी शरण लेने के विकल्प को चुना है। मैं जीवन भर के अपने पर ग्लानि बोध (Sense of guilt) को मिटाने के लिए प्रायश्चित (Atonement) करने के उद्देश्य से, आपके देश एवं यहाँ के नागरिकों की, समर्पित भावना (Devoted spirit) से सेवा करना चाहता हूँ। किसी से मैंने अपने को, आपका भाई बताने की बात नहीं कही है। यह रुसलाना ने ही यहाँ के लोगों से कहा है। उसने मुझे आपका भाई बताया है। आप विश्वास कीजिए मैं सच में ही अपने कर्मों से, अपने को आपका भाई सिद्ध करूँगा। 

यह सुनकर मैं सोच रहा था कि अगर मेरा जीवन अनुभव सही है तो आंद्रेई कदापि धूर्त नहीं, एक सच्चा लड़का है। मैंने उसकी पीठ थपथपाई थी। 

आंद्रेई ने कहा - 

हम दोनों शेल्टर से बाहर की हवा लेने गए थे तब रुसलाना ने सिर्फ छह माह विवाहित रहने के बाद, अपने पति से विवाह-विच्छेद (Divorce) का कारण बताया है। आप विश्वास कीजिए मैं वैसी यौन मनोविकृति (Sexual psychosis) वाला व्यक्ति नहीं हूँ। रुसलाना अगर चाहेगी तो मैं उससे विवाह करके जीवन भर उसको वैसा प्रेम दूँगा जैसा आप बोहुस्लावा से करते हैं। 

अब कहने सुनने को कुछ बाकी नहीं रहा था। आंद्रेई अपने विचारों में लीन हुआ था और मैं सोचने लगा था कि जीवन कितनी भी विषम परिस्थतियों से गुजर रहा हो तब भी प्यार की नई कोपलें जन्मा करतीं हैं। यह दुनिया जिसमें बहुत भेद बना दिए गए हों मगर “प्यार” प्राणियों में वह वरदान है जो सारे भेदों को दरकिनार कर (Bypassing) अस्तित्व में रहता है। प्यार जब अस्तित्व ग्रहण करता है तब सारे भेद और वैमनस्य (Animosity), स्वमेव (Automatically) मिट जाते हैं। 

मेरा मन यह आशा करना चाहता था कि जब युद्ध समाप्त होगा और जब कभी दोनों देशों की शासन की बागडोर, अब के शासकों के हाथों में नहीं रहेगी तब हममें वैसा ही भाईचारा पुनः होगा जैसा कभी एक संघ के देश होने तक रहा था। 

मैं आशा करना चाहता था कि दोनों देशों के हम नागरिकों में वैसा बैर नहीं रहेगा जैसा यहूदी-मुस्लिम में देखने में आता है। दोनों देशों में वह दुश्मनी भी नहीं होगी जो पाकिस्तानी, खुद उनके पूर्व रहे देश “भारत” से रखते हैं। 

हम दोनों यूँ ही अपने अपने विचारों में तल्लीन बैठे थे। तब बोहुस्लावा आई थी। उसने बताया - प्रसन्नता का समाचार है, विजय-लक्ष्मी जन्में हैं। 

मैंने पूछा - ये हमारे नाम तो नहीं होते हैं?

बोहुस्लावा ने बताया - 

यह लड़की भारतीय है। पढ़ने के लिए चार वर्ष से यहाँ रह रही है। हम आशा करते हैं कि युद्ध के साए में जन्में, इन जुड़वाँ बच्चों के हृदय में वह ‘बैर भाव एवं वर्चस्व महत्वाकांक्षा’ न रहेंगे, जिससे युद्ध हुआ करते हैं। जिससे बड़े नरसंहार और विनाश हुआ करते हैं।  



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