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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

ये मौसम की बारिश

ये मौसम की बारिश

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हाँ ये मौसम हर दिल में रोमांस का शुरूर भर देता है सावन की रिमझिम भर देती है तन में थिरकन..!

आज का मौसम आकाश को पागल करने के लिए काफ़ी था पहली बारिश का आगाज़ करते आसमान में बादल घिर आए थे। बेतहाशा पुरवाईयां चलने लगी थीं, बिजली कडक रही थी आकाश का मन झूमने लगा उसे बिन्नी बेतहाशा याद आई, ओर घर जाने के लिए निकल ही रहा था की बादलों ने गगरी खोल दी झीनी झरमर ने अनराधार का रुप ले लिया..!

आकाश का मानना था कि भीगे मौसम में प्रेमिका या पत्नी के संग स्कोच या बियर की चुस्की लेते हाथों में हाथ डाले, या आँखों ही आँखों में डूबकर प्यार जताने का मजा ही कुछ ओर है..! 

घर पहुँच कर बिन्नी को आवाज़ लगाई अरी ओ बीवी कम हियर देखों आज मौसम की पहली धुंआँधार बारिश हो रही है ओर तुम किचन में उलझी हुई हो..!

 बिन्नी पकोड़े की डिश लेकर आई ओर बोली मेरे आशिक जी मुझे पता ही था बादल घिरते ही की आज आप आफिस से जल्दी ही आओगे,

आपका पसंदीदा मौसम ओर पहली बारिश इसलिए आपकी फरमाइश किए बिना ही मैंने पकोडे रेड्डी रखे है..! 

बिन्नी के बिखरे बालों को संवारते आकाश ने कमर से खिंच कर बाँहों में भर लिया बिन्नी ने कहा wait a some minutes अभी आई

ओर कुछ ही समय में बिन्नी शावर लेकर पिंक नाईटी पहनकर आकाश से लिपट गई,

बाहर बूँदों की बारिश हो रही थी ओर दो जवाँ दिलों में प्यार की, काले बादलों से मानों व्हिस्की बरस रही थी बादलों की गरज के बीच बिजली भी रह-रह कर चमक उठती थी,

धीरे-धीरे बारिश का ज़ोर बढ़ रहा था..!

 आकाश ओर बिन्नी बालकनी में खड़े बरसात देख रहे थे। 

ठंड़ी हवा के झोंके और बारिश की फुहारें बिन्नी के खूबसूरत चेहरे को भिगो जातीं थी ओर ठंडी-ठंडी बूंदें आकाश के तन-बदन में आग लगा रही थी..!

गरजते बादलों के साथ तडीत का नर्तन देखने का मजा ही कुछ ओर था..!

बिन्नी को पता था आकाश को बरसात की नशीली रातें बेहद पसंद हैं और बरसात में भीगते हुए बच्चे सा पागल हो जाता था बरसात की रात को आकाश नशीली रात कहता है..! 

बिन्नी का मरमरी बदन पिंक नाईटी में कम्माल का खूबसूरत लग रहा था बिन्नी को उठाकर बेडरूम में आया 

बियर की चुस्की ने कुछ-कुछ असर दिखाया कुछ बरसात का भीगा नशा, ओर प्यार की कशिश दोनों पर असर करने लगी..! 

माहौल को थोड़ा ओर बहकाने आकाश ने म्यूज़िक सिस्टम पर गाना लगाया

 "टिप टिप बरसा पानी पानी ने आग लगाई" 

आकाश ने बिन्नी को अपनी ओर खींचा और उसे बाहों में भर कर ओर करीब किया,

दोनों के दरमियां कुछ हो इससे पहले 

 दरवाजे पर हल्की-हल्की दस्तक हुई ओर नन्ही रुचि के रोने की आवाज़ सुनाई दी..!

मम्मा-पापा मुझे डर लग रहा है आज मैं आपके साथ सोऊँगी,

आकाश ओर बिन्नी का खुमार उतर गया,

रुचि बिन्नी से चिपक गई “मम्मा मुझे डर लग रहा है कहते हुए बिन्नी के ब्लेंकेट में घुस गई, आकाश की झुंझलाहट पे बिन्नी हंस कर इतराने लगी,ओर तीनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए ...!

एक दायरे में सिमटकर भी ये प्रेम कहानी प्रीत के चरम को छूती जवाँ है।


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