ये कैसा प्यार

ये कैसा प्यार

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विशु का एक्सीडेंट हो गया, खबर सुनते ही राजीव सीधे अस्पताल पहुँच गया था, मदन ने बताया था कि काफी खून बह गया था। शगुन भाभी रोये जा रही थी। राजीव खुद को भी इस एक्सीडेंट का दोषी मान रहा था। 

अभी घंटे पहले ही तो विशु का फोन आया था राजीव के पास। "चाचा जी यहाँ कमेटी चौंक से बोल रहा हूँ, ये हवलदार चलान काट रहा था बड़ी मुश्किल से आपसे बात करने को राजी हुआ है, प्लीज आप कुछ कीजिए।" 

"अच्छा ड्यूटी हवलदार को फोन दो जरा।" राजीव ने कहा था। "हाँ रमेश जाने दो इसे, भतीजा है मेरा।" राजीव ने आदेशात्मक लहजे में कहा। 

"पर सर इसने हेल्मेट नहीं पहना हैं....." हवलदार ने दलील दी।  

"जितना कहा जाए उतना करो समझे।" कह के फोन काट दिया। 

"काश मैंने विशु की अनुशासनहीनता को बढ़ावा न दिया होता।" राजीव बार बार खुद को दोषी मान रहा था। सोच रहा था क्यों हम अपने प्रिय जन की खुशी को उसकी भलाई के ऊपर रखते हैं, ये हमारा कैसा प्यार है। 


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