“खास कुछ नहीं। मैं तो बस कुछ भिन्न करना...।” जीत ने उत्तर अधूरा छोड़ दिया। वह शब्दों को चुराने लगा, ह... “खास कुछ नहीं। मैं तो बस कुछ भिन्न करना...।” जीत ने उत्तर अधूरा छोड़ दिया। वह शब्...
म अपने प्रिय जन की खुशी को उसकी भलाई के ऊपर रखते हैं, ये हमारा कैसा प्यार है। म अपने प्रिय जन की खुशी को उसकी भलाई के ऊपर रखते हैं, ये हमारा कैसा प्यार है।
आखिर अपनी नवासी का मामला था साथ में खानदान की इज्जत का भी प्रश्न था आखिर अपनी नवासी का मामला था साथ में खानदान की इज्जत का भी प्रश्न था