I'm Vrajesh and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsवफ़ाई और जीत आंखे ही प्रीत की डोर में बंधे हुए नैनों की भाषा में मूक प्रेम में डूब हुए आगे बढ़ते जा रहें है ,ज्यूँ जीत की ...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 02:48 AM
मृत्यु के भय को त्याग जीत, वफाई को स्वीकार कर लेता है, किन्तु वफाई को लगता है कि उसकी कही बातों से प्रेरित होकर जीत पास ...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 02:46 AM
कोई ध्वनि नहीं, कोई व्यवधान नहीं। जीत का स्पर्श वफ़ाई को भावनाओं के समंदर के मध्य में खींच गया। वह उठती, बहती, छूती और शा...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 02:45 AM
एक अजनबी से प्यार उसपर एतबार और बेबसी से उसका इंतज़ार करते जीत पल पल वफ़ाई के लिए बेबस सा पुरे दिन उहापोह में बिता कर क्...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 02:40 AM
वफाई की गैर-मौजूदगी में जीत अपने अकेलेपन से लड़ता, अकेलेपन से बात करता, वफाई का चित्र कैनवास पर बनाने लगता है
Submitted on 26 Jun, 2019 at 02:38 AM
वफ़ाई के जाने के बाद जीत बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था पर रसोई में खाना देख कर और वफ़ाई का पत्र पढ़ कर जीत सोच में पड़ गया
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:55 AM
हिम देश की लड़की ,रेत के नगरी में मिली एक रंगों के जादूगर से। ....धारवाहिक एक नये आयाम की और बढ़ती हुइ पाठक को खुद के साथ ...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:48 AM
जीत और वफाई के मध्य का प्रेम संवाद अब दार्शनिकता की राह मुड़ चला है। जीत की तबियत सही न होने की वजह से जीत निराश है और वफ...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:44 AM
अच्छा हुआ तूने उसे आक्रंद करने में सहायता की। अन्यथा अंदर ही अंदर वह मर जाता। ‘नहीं मरेगा वह अब। मैं नहीं मरने दूँगी ...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:41 AM
जीत और वफाई के मध्य की अंतरंगता पर विराम लगाते हुए, नियति ने मृत्यु को दोनों के बीच ला खड़ा कर दिया है। अपनी स्थिति से जू...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:38 AM
वफ़ाई चौंक गई। उसके होठों पर क्षण भर पहले जो नटखट स्मित था वह अचानक ही हवाओं में विलीन हो गया। नटखट आँखें उदास हो गई।
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:35 AM
जीत और वफाई के मध्य कामुकता की जंग एक अलग ही स्तर पर पहुँच चुकी है। जीत, अलग अलग मुद्रा में वफाई को कैनवास पर उतार रहा ह...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:33 AM
“वफ़ाई, बस कुछ घंटे की बात है। मैं वचन देता हूँ कि आज रात्रि तुम अपने प्रश्नों के उत्तर के साथ शयन करोगी।“
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:30 AM
वफाई और जीत के बीच अंतरंगता के प्रथम बीज को लेखक ने सुन्दरता से अंकुरित होते प्रदर्शित किया है, इस लम्बी कथा के निम्म अं...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:28 AM
कुछ समय तक वफ़ाई प्रतिमा की भांति खड़ी रही, फिर पलकें झुकाई, उठाई और दोनों के बीच का सेतु तोड़ दिया। जीत पर अंतिम दृष्टि डा...
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:05 AM
वफ़ाई के पूछने पर की जीत ने पहली बाद स्वप्न कब देखा, जीत ने कहा आज ही देखा है और फिर अपने स्वप्न को केनवास पर चित्रित...
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:04 AM
जीत और वफाई की बातें दार्शनिकता से भर उठती है, साथ ही वफाई जीत से अपने प्रेम का इजहार भी कर बैठती है
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:03 AM
जीत समीप खड़ा रहा, वफ़ाई को उसने पानी दिया। वफ़ाई धीरे धीरे स्वस्थ होने लगी। जीत शांत होकर प्रतीक्षा करने लगा।
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:02 AM
प्रेम के लिए एक स्त्री की अल्लाह से बहस का सुंदर चित्रण कथा के इस अंश में किया गया है तथा प्रेम को प्रभु से भी उपर बताया...
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:01 AM
एक युगल एक दूसरे से संकुचाते एक दूसरे के साथ रात्रि बिताते हुए। प्रेम में भरी व्यथा का सुंदर चित्रण कथा के इस अंश में
Submitted on 25 Jun, 2019 at 05:00 AM
जीत, तुमने कहा कि मौन के पास सब कुछ है। तुमने उसमें से कई का नाम भी लिया। किन्तु...
Submitted on 08 May, 2019 at 11:00 AM
“सूरज बिलकुल भयभीत नहीं है, अत: मोहक लग रहा है। गगन भी रंग बदल रहा है। श्वेत से पीला, पीले से नारंगी। कहीं कहीं गुलाबी भ...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:59 AM
हम भगवान का नामकरण करते हैं, यही तो भूल करते हैं। भगवान अविभाज्य है, अखंड है...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:59 AM
वह अभी भी कोई दुविधा में थी जिसे जीत समझ नहीं पा रहा था।
Submitted on 08 May, 2019 at 10:58 AM
“भोजन के पश्चात इस मरुभूमि में यात्रा की योजना बनाई है मैंने। इस मरुभूमि में एक पर्वत है। पर्वत है छोटा सा, किन्तु सुंदर...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:57 AM
जीत वफ़ाई के चित्र को रस पूर्वक देख रहा था। किसी विचार में था। उसके मन में कुछ...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:56 AM
“जीत, थोड़े शब्दों में तुमने सब कुछ कह दिया।“ उत्तर दिया।
Submitted on 08 May, 2019 at 10:55 AM
क्या यह वास्तविक है अथवा कोई छलना? यह सापेक्ष है अथवा सत्य? क्या यह है भी? अथवा यह भी ईश्वर की भांति कोई रहस्य ही है? ...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:54 AM
“केनवास पर रचे दो चित्रों को देखो। वह कोई संदेश दे रहे हैं तुम्हें। इसे पढ़ो। इसे समझो,“ जीत ने उत्तर दिया...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:53 AM
जीत मौन हो गया। वफ़ाई इस मौन का अर्थ भली-भाँति जानती थी। वह चित्राधार तरफ गई, चित्र रचने में व्यस्त हो गई...
Submitted on 08 May, 2019 at 10:52 AM
वफ़ाई, जीत के समीप गई। जीत भयभीत हो गया, स्थिर सा खड़ा रहा। उसके हृदय की गति तीव्र हो गई।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 10:58 AM
“ओह, चित्रकार। अंतत: तुमने यह कर दिखाया। यह सुंदर है, अपेक्षा के अनुरूप है। यह सहज है, एक बालक की भांति। .......
Submitted on 13 Mar, 2019 at 10:57 AM
वह कुछ भी नहीं बोल पाई। वफ़ाई के बालों की लटें हवा में उड़ रही थी, वह सब कुछ कह रही थी। जीत उसे सुनता रहा।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 10:56 AM
वफ़ाई ने नमाज पूर्ण की। उसने देखा कि जीत झूले पर मौन बैठा था। वफ़ाई ने उस मौन को भंग करने की चेष्टा नहीं की।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 10:55 AM
वफ़ाई कुछ भी निष्कर्ष पर नहीं आ सकी, अधिक दुविधा में पड़ गई।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:39 AM
वफ़ाई ने पेंसिल, रब्बड़, तुलिकाएँ, रकाबी, रंग सब तैयार कर दिया, चित्रकार के लिए सब कुछ तैयार था।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:38 AM
वफ़ाई ने उससे बात करना चाही, किन्तु जीत ने कोई प्रतिभाव नहीं दिया, वह मौन रहा।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:37 AM
जीत ने वफ़ाई की तरफ देखा,”अब क्या कहना है तुम्हारा ?“ वफ़ाई के मुख के भाव बदल चुके थे।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:36 AM
जीत ने भी पूरी निष्ठा से उसे सीखा। जीत को अब एक कला का ज्ञान था, चित्रकला।
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:36 AM
“मैं तुम्हें समय के उस काल खंड में ले चलता हूँ। तुम उसे अपनी आँखों से देखो, स्वयं ही उसे महसूस करो।"
Submitted on 13 Mar, 2019 at 09:34 AM
वह भुज से कच्छ के रण में गया, वहीं रुक गया। सारे संसार से अलग, गुप्त और अकेला। कोई नहीं जानता था कि जीत कहाँ गया
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:08 AM
नेल्सन जीत के पास आया, “जब तुम जानते हो कि तुम्हारे पास बची हुई जिंदगी का गणित कोई लंबा चौड़ा नहीं है तो मुझे बता देना चा...
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:07 AM
एक गरम चुंबन और एक उन्माद से भरा आलिंगन, दोनों ने एक दूसरे को दिया और अलग हो गए। दिलशाद घर लौट गई।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:04 AM
“उससे एक फायदा होगा। यदि उसे हम दीवार में फंसा दें तो नली का रास्ता थोड़ा खुल जाएगा जिससे साँसों का आवागमन सरल हो जाएगा।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:03 AM
वास्तव में पीड़ा हिम के टुकड़े से नहीं है परंतु उस पर जमी मिट्टी की परत से है
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:03 AM
डॉ॰ नेल्सन मेरे अच्छे मित्र है। मैं उससे बात कर लूँगा। वह आप की कोई मदद कर सके.........
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:02 AM
दिलशाद कोई किताब पढ़ने लगी। रात धीरे धीरे गहरी होने लगी। ठंड बढ़ने लगी। दोनों एक दूसरे के आलिंगन में सो गए।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:01 AM
“खास कुछ नहीं। मैं तो बस कुछ भिन्न करना...।” जीत ने उत्तर अधूरा छोड़ दिया। वह शब्दों को चुराने लगा, हृदय के भावों को छुपा...
Submitted on 04 Feb, 2019 at 07:00 AM
जीत को अनुभव हुआ कि किसी ने उसके हाथों में खरोंच कर दि हो। वह थोड़ा अधिक पीड़ादायक था तथापि जीत ने आँखें नहीं खोली।।।।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 06:58 AM
निर्जन मार्ग अब व्यतीत हुए क्षणों से भरपूर था, किसी के साथ होने की अनुभूति से भरा था।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 06:57 AM
वफ़ाई कुछ भी समझ पाये उससे पहले जीप का द्वार बाहर से खुला और चाबी के साथ एक हाथ अंदर आ गया।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:57 AM
वफ़ाई क्रोधित हो गई और कक्ष में दौड़ गई। बाकी का समय मौन हो गया। कोई किसी से कुछ नहीं बोला।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:56 AM
“यही कि तुम अपनी सारी तस्वीरें वापिस चाहती हो और वह मिलते ही यहाँ से भाग जाना चाहती हो।“जीत ने वफ़ाई की तरफ देखा।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:56 AM
एक बड़ा सा काला बादल गगन में छा गया, सूरज को अपने आँचल में छुपा ले गया।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:55 AM
“वफ़ाई, मैं कोई साधू-संत नहीं हूँ कि तुम मेरे शरण में आ कर रहो।“
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:54 AM
दोनों में से कोई नहीं जानता था कि कैसे प्रारम्भ किया जाय, कहाँ से प्रारम्भ किया जाय ?
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:53 AM
यदि हम उसके घर चले तो....“ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है।“ उस अधिकारी ने फोन घुमाया।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:53 AM
जीत की आँखों के सामने पूरा घटनाक्रम आ गया जो आज संध्या को हुआ था। वह उसमें धूमिल हो गया। वह आनंदित हो उठा।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:52 AM
जीत के अंदर पुन: कोई हिम जम गया। वफ़ाई ने उसे भाँप लिया किन्तु स्मित से टाल दिया।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:51 AM
मेमरी कार्ड कंगाल हो गया, वफ़ाई भी। लेपटोप समृद्ध हो गया उन तस्वीरों से।
Submitted on 17 Jan, 2019 at 08:50 AM
युवक क्रोधित था। वफ़ाई लज्जित एवं भयभीत थी। वफ़ाई युवक के घर में चोरों की भांति घुस गई थी और रंगे हाथ पकड़े गई थी।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:11 AM
वह ध्वनि मकान के नीचे वाले दायें भाग से आई थी। ध्वनि बड़ी थी, जैसे कोई भारी वस्तु ऊँचाई से धरती पर गिरी हो।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:09 AM
जहां पंखी होते हैं वहाँ जीवन अवश्य ही होता है। मैं विश्वास करती हूँ कि वहाँ कोई अवश्य होगा। “वफ़ाई, क्या आशय है तुम्हारा...
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:07 AM
ना तो उसे कल की चिंता थी ना उसे अनावृत होने की। और ना ही चिंता थी उसे कि इस अवस्था में कोई देख लेगा उसे।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:06 AM
दीवार के एक कोने में, सुंदर पहाड़ का द्रश्य अपने में समेटे हुए, एक तस्वीर लटक रही थी। वफ़ाई उस की तरफ आकृष्ट हुई......
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:05 AM
तीव्र, गहन और घुमावदार घाटियों में ऐसी ही गहरी और अनंत शांति को तुम प्रत्येक दिन मिलती रही हो। क्या तुम उसे भूल गई ?”
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:04 AM
मरुस्थल का उत्सव चार दिन पहले ही पूरा हो गया। इस नगर को छोड़कर यात्री जा चुके है। यह तो अस्थाई नगर है।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:03 AM
पर्वत के साथ बीते सुंदर क्षणों को अपने अंदर समेटे हुए वफ़ाई यात्रा पर निकल पड़ी।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:02 AM
तुम्हारी यह यात्रा, यात्रा में मिलने वाले व्यक्ति, यात्रा के अनुभव, घटनाएँ…. आदि सब सुनने के लिए मैं उत्सुक हूँ ।“
Submitted on 28 Dec, 2018 at 11:01 AM
मकान और नगर धीरे धीरे पीछे छूटते जा रहे थे। जीप के दर्पण में वफ़ाई को यह सब कुछ दिखाई दे रहा था। वफ़ाई ने जीप रोक दी.........
Submitted on 28 Dec, 2018 at 10:59 AM
प्रकाश का एक पुंज मंच पर उभरने लगा जिसमें वफ़ाई दिखाई दे रही थी। वह शांत थी। वह वातायन से दूर गगन की तरफ देख रही थी।
Submitted on 02 Dec, 2018 at 13:45 PM
કથાની શોધમાં ચહેરાઓથી ઉભરાતા શહેરને છોડીને જ્યારે હું એક આદિવસી વસ્તીમાં જવા યાત્રા કરું છું ત્યારે મારી મુલાકાત થાય છે ...
Submitted on 28 May, 2017 at 06:46 AM