वागले की दुनिया
वागले की दुनिया
बारह वर्षीय दीया इतने कपड़े देख चुकी थी पर कुछ पसंद ही नहीं आ रहा था।कई दुकानें घूम चुकी थी। अब तो शगुन का धैर्य भी जवाब दे चुका था। जैसे ही नई दुकान पर पहुँची शगुन ने घूर कर देखा जैसे कह रही हो के बस अब पसंद कर लेना।
"ये ले लो। " शगुन ने कहा।
"नहीं मम्मा.... इसका कलर देखा कितना भड़कीला है।" दीया एकदम से बोली।
"तो ये ले लो..... ये तो अच्छा है।" शगुन ने कहा।
" मुझे तो इसमें कुछ अच्छा दिख नहीं रहा, आप समझ नहीं रही मम्मा, मुझे यूनीक ड्रैस चाहिए एक दम सबसे अलग।"दीया ने कहा।
" देखने दीजिए मैड़म,ये आजकल के बच्चे हैं, सबसे हट के ही कुछ लेंगे, ये वागले की दुनिया वाले बच्चे नहीं कि पिता एक थान उठा लाये और उसमें से ही पिता की शर्ट, माँ का ब्लाउज़ और बच्चों के कपड़े भी बन जायें और बच्चे भी चहकते हुए पहन लें। " सेल्स गर्ल ने शगुन की कोफ्त को भांप मुस्कराते हुए कहा।
सेल्ज़गर्ल की बात सुनते ही शगुन के चेहरे पर मुस्कान फैल गई और दीया के चेहरे पर प्रश्न चिन्ह।"