मीटू
मीटू
(मैसेज बॉक्स में)
"हेलो शगुन जी।"
"हेलो सर।"
"मैंने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी है आपको, स्वीकार नहीं की आपने?"
"नहीं सर।”
"क्यों.....? कमेंट तो आप बढिया करती है मेरी रचनाओं पर..... मैं आपकी फैन हो गई हूँ...... आप मेरे लेखन की प्रेरणा है और भी अब सब तो याद नहीं।”
“कमेंट्स सच्चे है सर।”
"तो फिर मेरी रिक्वैस्ट...?”
"सर आप मेरे लेखन की प्रेरणा हैं और मैं चाहती हूँ ये प्रेरणा ताउम्र बनी रहे।”
"तो......? फेसबुक फ्रैंड बन कर आप मुझे ज्यादा जान पायेंगी।"
“सर आप भी तो मेरे बारे में काफी कुछ जान जायेंगे, जबकि हमें सिर्फ एक दूसरे के काम के बारे में जानने की दरकार है।”
"मैं आपका मार्गदर्शन कर सकता हूँ।"
“हूंsssssss और मेरी महत्वाकांक्षा जगा सकते है।”
“तो...... ये तो अच्छी बात है ना।"
"नहीं सर अच्छी बात नहीं, जहाँ तक मार्गदर्शन की बात है, वो आप कमेंट द्वारा भी कर सकते है।”
"महत्वाकांक्षा जगेगी तो आपका भविष्य उज्जवल होगा।"
“जब महत्वाकांक्षा जग जाये और मार्गदर्शन के लिए आपके क्षेत्र का दिग्गज आपके काफी करीब हो तो भविष्य में मीटू के लिए जमीन तैयार होती है सर।”
"मुझे भी आप जैसे गैरपेशेवर में कोई दिलचस्पी नहीं ओ के बाय।”
शगुन ने भी झट से ब्लाक आप्शन पर क्लिक कर दिया।