Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

4.3  

Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

वृद्धाश्रम

वृद्धाश्रम

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वृद्धाश्रम एक ऐसा स्थान है जहाँ वृद्धों को रहने के लिए आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया जाता है। ... बच्चों को यह समझने की आवश्यकता है कि उनके माता-पिता ही हैं जो उन्हें बिना शर्त प्यार करते हैं।

लेकिन इस बारे में दूसरा विचार किए बिना, वे अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम भेज देते हैं।

इस बारे में मुझे एक घटना याद आ रही है। बहुत पुरानी बात है, उन दंपति के कोई संतान नहीं थी।

तो उन्होंने अनाथ आश्रम से बहुत छोटे बच्चे को तीन चार महीने का होगा गोद लिया था। और यह बात बच्चे को जिंदगी भर नहीं बताई गई।

उस बच्चे को तो हमेशा ऐसा ही लगता था यह मेरे मां बाप ही है।

धीरे-धीरे है बड़ा होता गया। पढ़ लिख गया अच्छी नौकरी में लग गया।

मां-बाप उस का बहुत ध्यान रखते थे।

वह भी उनको पूरा आदर देता तथा ध्यान रखता था ।

समय के साथ में उसकी शादी कर दी गई। शादी के बाद थोड़े दिन तो उसकी पत्नी और वह मां बाप के साथ बहुत अच्छे थे मगर धीरे-धीरे उसकी पत्नी को अपने सास ससुर के लिए खाना बनाना उनका काम करना अखर ने लगा।

वह उनके साथ खराब व्यवहार करने लगी, बेटे को भी अपने मां-बाप के विरुद्ध में बहुत भड़काने लगी।

अब तो आए दिन झगड़े होने लगे।

जो घर शांति का बसेरा था वह अशांति का बसेरा बन गया।

ऐसे करते करते थोड़ा समय और बीत गया लड़के के यहां पर एक लड़के का जन्म हुआ। उसके माता पिता बहुत खुश हुए।

और बच्चे को बहुत प्यार से रखते।

मगर उसकी बहू को दादा दादी का बच्चे को खिलाना भी पसंद नहीं आ रहा था।

ऐसे एक दिन उसकी बहू की फ्रेंड आई।

वे दोनों कमरे मैं जोर-जोर से बातें करने लगीः उसकी फ्रेंड बोलती है तू तेरे सा ससुर को वृद्धाश्रम में भेज दे।

और फिर तू शांति से रह।

तेरी फ्रेंड्स को बुला किटी पार्टीज कर और चैन से रह।

अब उसकी फ्रेंड की बातें उसको भी दिमाग में जम गई ।

वह इन लोगों को घर से निकालने की वृद्धाश्रम में भेजने के बहाने ढूंढने लगी ।

ऐसे ही एक दिन खेलते खेलते उनका लड़का सोफे पर से गिर गया ,

तो उस बच्चे का बहाना बनाकर के अपने पति को बहुत चढ़ाया और उनको बोलता है आप यहां रहने काबिल नहीं हो।

आप लोग वृद्धाश्रम में जाओ मैं आपको छोड़ कर आता हूं।

तो भी लोगों ने अपने मुंह से एक शब्द नहीं निकाला कि तू मेरा बेटा नहीं है।

जोगानुजोग किसी काम से उनसे मिलने अनाथ आश्रम के ट्रस्टी उनके घर आते हैं। दरवाजे में ही यह सारी बातें सुन लेते हैं।

तब उनको लगता है अब तो इस बच्चे को सच बताना ही पड़ेगा। यह इनके ऊपर बहुत जुल्म करने लग गया है।

वे अंदर जाकर के गुस्से में उस लड़के का गोद लेने का सच बता देते हैं।

उनका लड़का आसमान से जमीन पर गिर जाता है, कि अरे इन्होंने मुझ अनाथ को जिंदगी भर सगे बेटे से ज्यादा प्यार दिया। कभी यह नहीं बताया।

मैंने इतने जुल्म ढाए तब भी की मैं इनका सगा बेटा नहीं हूं, बल्कि गोद लिया बेटा हूं। अब तो दोनों पति पत्नी बहुत पश्चाताप में डूब गए ,और रो- रोकर कि उनकी माफी मांगने लगे। बोले घर तो आपका ही है।

हम लोग अब आपको छोड़कर जाते हैं।

हम किस मुंह से आपके पास रहे हमको तो दुनिया में कहीं भी मुंह छिपाने की जगह भी नहीं मिलेगी। मगर वह मां-बाप थे।

उन्होंने उनको प्यार से गले लगा लिया बोला सुबह का भूला अगर शाम को घर आए तो भुला नहीं कहलाता है।

हमने यह कसम ली थी कि हम जिंदगी भर तुमको यह नहीं बताएंगे कि तुमको हमने गोद लिया है। मगर आज तुमको पता लग ही गया। सही समय पर पता लगा नहीं तो दोनों को वृद्धाश्रम जाना ही पड़ता।

बाद में जब उनको पता लगता तो कितना पश्चाताप होता।

यह कहानी है हर उस इंसान के लिए जो मां बाप को अपने पर बोझ समझते हैं।

अगर एक मां बाप दस बच्चों को पाल लेते हैं मगर 10 बच्चे मिलकर एक मां-बाप को नहीं पाल सकते।



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