Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Padma Agrawal

Tragedy

3  

Padma Agrawal

Tragedy

वृद्धालय

वृद्धालय

6 mins
460


ट्रि.ट्रि.ट्रि“

“हां, सुयश आज इतने दिनों बाद मेरी याद कैसे आ गई? ’सौम्या कैसी है तुम?’’

“मैं तो ठीक हूं, सीधे सीधे काम की बात करो।‘’

“एक प्लान है, उसके लिये मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है।‘’

“साफ साफ बोलो ,भूमिका न बनाओ।‘’

“मेरे पास एक बिल्डर आया था। वह अपनी कोठी और बगीचे को तोड़ कर उस पर एक मॉल बनाना चाहता है। उसने इन दोनों की कीमत 50 करोड़ लगाई है।

“बस 50 करोड़’’

“पूरी बात तो सुनो, इतनी बेसब्र क्यों हो रही हो? मॉल में दो बड़े शो रूम भी देगा।‘’

“मेरा शेयर कितना होगा? फिफ्टी फिफ्टी पर मैं तैयार हूं।‘’

“5 करोड़ रुपये और एक शोरूम पर राजी हो तो बताओ।‘’

“इतना तो कम है।‘’

“सौदा तो हो जाने दो फिर बाद में जैसा होगा देख लेंगे। पापा तुम्हारी बात नहीं टालेंगे। वह जरूर मान जायेंगे।‘’

“सुयश, पापा अब मेरी बात भी नहीं मानेंगे।‘’

“क्यों’’

“मुझे तो डर है कि कहीं वह अपनी कोठी दीनू काका और सुशीला के नाम न कर दें। और हम दोनों हाथ मलते ही रह जायें ।‘’

“पागल हो गई हो क्या? आखिर वह लोग नौकर ही तो हैं। हम लोगों के होते हुए ऐसा कभी नहीं करेंगें।‘’

“देख भाई, पापा 6 सालों से व्हील चेयर पर हैं। और मां को तो जाने कब से सांस की बीमारी है। वही दोनों उन दोनों की देखभाल हमेशा से करते रहे हैं इसलिये उन लोगों को भी कुछ तो मिलना ही चाहिये।‘’

“तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे वह लोग फ्री में कर रहे हों। काम का तो नाम है ,इतनी बड़ी कोठी में ऐश कर रहें हैं। ठाठ से बढ़िया खा रहें हैं और बढ़िया पहन रहे हैं। श्याम को इंगलैंड पढ़ने के लिये भेज रखा है।‘’

“तुम्हें कैसे मालूम?’’

“उसने टॉप किया है, तो पेपर में फोटो आई थी। उसको स्कालरशिप भी मिल रही है। एक दिन मेरा पैर छूने आया था। बहुत दिनों में देखा था तो मैं तो पहचान ही नहीं पाया था। अब वह भला इंडिया क्या करने आयेगा?’’

“मैंने पेपर तैयार करवा लिये हैं, कल शाम को चार बजे तुम पहुंच जाना । लेकिन ध्यान रखो यह मत शो करना कि हम दोनों आपस में बात करके आये हैं।‘’

“ओके, तुम कोशिश कर लो, मुझे तो जरा भी उम्मीद नहीं है।‘’

“सीधी उंगली से काम नहीं बना तो मुझे उंगली टेढ़ी करना आता है।‘’

“देख भाई जबरदस्ती मत करना। कुछ दिनों की तो बात है, इस साल पापा 81 के हो जायेंगें, उनके जाने के बाद तो सब कुछ अपुन लोगों को ही मिलने वाला है।‘’

प्लान के अनुसार सुयश अपने पापा की कोठी में पहुंचा।

मां तो इतने दिनों के बाद बेटे को देखकर खुश होकर भावुक हो उठीं थीं।

“आओ बेटा, सुशीला लल्ला के लिए लड्डू ले आओ।‘’

लेकिन रामेश्वर जी अपने स्वार्थी बेटे को अच्छी तरह पहचान चुके थे।

“इधर कैसे बरखुरदार, आज रास्ता भूल गये क्या?’’

“बस आप लोगों से मिलने के लिये आया हूँ ‘’

“मतलब की बात करो। किस लिये आये हो? कोई नया असामी मिल गया क्या?’’

“हां पापा, एक बिल्डर से बात हुई है । उसने बहुत अच्छा ऑफर दिया है। वह इस कोठी और गार्डन को खरीदने को तैयार है। बहुत बड़ी रकम देने को तैयार है।‘’

“लेकिन इसे बेच कौन रहा है?’’

“पापा, आप समझते क्यों नहीं ? 50 करोड़ की रकम कुछ मायने रखती है।‘’

“हम दोनों यहां रह रहे हैं ।और यह मेरा घर है, तुम इस घर से दूर रहो। तुम्हें जो देना था वह हम तुम्हें घर, जेवर, फैक्टरी सब कुछ दे चुके हैं।  अब तुम लोग हम लोगों को अपने हाल पर छोड़ दो। ‘’उन्होंने बेटे के सामने अपने हाथ जोड़ते हुए घर से जाने का इशारा कर दिया था।

प्रभा जी को पति की बेबसी पर दुख हुआ, तो वह बोलीं, ‘’तुम्हें शर्म नहीं आ रही है, वैसे तो कभी भूले भटके भी कभी तुम्हारी शक्ल भी नहीं दिखाई पड़ती है। आज चले आये हो बिल्डर से बात करके। कितने अरमानों से पापा ने यह कोठी बनवाई थी कि मेरा बेटा बहू साथ में रहेंगे तो घर में रौनक रहेगी। लेकिन सब बेकार.....’’

वह अपने आँसू पोंछने लगी थी।

“मां , बी प्रैक्टिकल ग्रेटर कैलाश में इतनी बड़ी जगह का 50 करोड़ मिल रहा है, अभी कुछ कड़ा रूख करने पर एक दो करोड़ और बढ़ायेगा। और यह भी तो सोचो कि घर बैठे जिन्दगी भर कमाई होती रहेगी , वह अलग।‘’

“आप दोनों तो वैसे ही अपाहिज की तरह हैं। आपके लोगों के लिये तो वन बेडरूम फ्लैट बहुत काफी है। दोनों लोग ही चलने फिरने से लाचार हो। बेकार में ही इतनी बड़ी जगह घेर कर रक्खे हुए हो।‘’

वह अपने साथ लाई हुई फाइल को खोलकर पेज निकाल रहा था। तभी सौम्या आ गई।

“क्यों देखना जरा क्या आज सूरज पश्चिम से निकला है ?’’

“सौम्या तुम्हीं समझाओ न अपने प्यारे पापा को, मैं तो समझ समझा कर थक गया हूं। इतना अच्छा सौदा हो रहा है और ये हैं कि मेरा घर मेरा घर की रट लगा कर रखी हुई है।‘’

“पापा आपने भी तो गांव की खेती बेच कर ही यह मकान बनवाया था। तो यदि अब भाई इस कोठी को तुड़वा कर मॉल बनवाना चाहता है तो क्या गलत कर रहा है।‘’

“शायद तुम दोनों को नहीं मालूम कि दादा जी खेती नहीं करते थे और वह खुद चाहते थे कि मैं शहर में कोई बड़ा काम करूं ।और जब मैंने अपनी फैक्टरी जमा ली थी तब खेत उनकी रजामंदी से बेचे थे। उसके बाद भी वह शहर नहीं आना चाहते थे तो में उन्हें अपने साथ रखने के लिये जबरदस्ती ले आया था।वह लोग यहां

आकर बहुत खुश भी हुये थे “यही बात तो हम लोग आप दोनों के लिये भी कह सकते हैं। क्योंकि न तो आपकी निशा भाभी से बनती है और न ही मेरे घर में आपका मन लगता है ।“ दिन भर नौकरों की तरह भला कौन आप लोगों की तीमारदारी कर सकता है। और साथ में आप लोगों की दिन भर की टोकाटाकी से भगवान बचाये । सब लोगों को परेशान करके रख देते हो। जिसके घर आप दोनों रहते हो उसके खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा तैयार कर लेते है’

“हां , सौम्या अब तुम्हें भी समझ में आ गया कि इन लोगों को झेलना कितना मुश्किल है। इन लोगों के लिये तो सबसे अच्छा राम अंकल वाला वृद्धालय है। दीनू काका और सुशीला की छुट्टी करके इन दोनों को वृद्धालय में पहुंचा कर काम शुरू करवा दें ।क्योंकि बिल्डर देर होते देखकर सौदा रद्द करने की धमकी दे रहा है।‘’

रामेश्वर जी दोनों हाथों से जोर जोर से ताली बजाते हुये बोले , ‘’वाह वाह, मेरी औलादें मुझे ही बेवकूफ़ बना रही हैं। दोनों भाई बहन प्लान बना कर यहां आये हो। और ऐसे नाटक कर रहे हो कि जैसे दोनों अनजाने में आ गये हो। वह समय लद गए जब तुम मुझे बातें बना कर बेवकूफ़ बना बना कर पेपर पर साइन करवा ले जाते थे।‘’

“और सौम्या बिटिया कम से कम तुमसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी। तुम्हारी मां ने बताया कि तुमने तो पूरा का

पूरा लॉकर ही खाली कर डाला। हम लोग अपने साथ ये सब लेकर थोड़े ही जाते। सब कुछ यहीं छोड़ कर सबको जाना है। तुम लोगों को इतनी जल्दी पड़ी है कि जिंदा में ही वश चले तो शमशान में पहुंचा दो।‘’

“लेकिन मेरे बच्चों अब तुम लोगों को हम दोनों के लिये जरा भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।‘’

“तुम दोनों की होशियारी देख कर मैं चौकन्ना हो गया। मैनें अपनी वसीयत बनवा ली है और वह वकील साहब के पास सुरक्षित है। वैसे तुम्हें जानकारी के लिये हिंट दे कहा हूँ। यहां पर एक बड़ा वृद्धालय बनाया जायेगा और इसके केयर टेकर दीनू काका का बेटा श्याम जी होगा। तुम्हारे सपनों को तोड़ने पर मुझे बुरा तो लग रहा है ,लेकिन तुम दोनों की खुदगर्ज और होशियारी के कारण मुझे ये फैसला मजबूरी वश लेना पड़ा। ‘’उन्होंने फाइल के टुकड़े टुकड़े करके हवा में उड़ा दिये थे।

“मेरे बच्चों मुझे वृद्धालय में। रखना चाहते थे न ,इसलिये अब जब तुम्हारे बच्चे तुम्हें वृद्धालय भेजना चाहेंगें तो निःसंकोच यहां आ जाना। हमेशा दरवाज़े खुले मिलेंगें।‘’

दोनों भाई बहन की सिसकियां वहां गूंज उठीं थी।

“प्लीज पापा मम्मी हम लोगों को माफ़ कर दो।‘’



Rate this content
Log in

More hindi story from Padma Agrawal

Similar hindi story from Tragedy