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Meena Singh "Meen"

Romance Fantasy Inspirational

4  

Meena Singh "Meen"

Romance Fantasy Inspirational

वो तुम हो (भाग-4)

वो तुम हो (भाग-4)

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वो तुम हो (पार्ट-4)

प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि अपने ख्वाबों में किसी को छुपाए हुए है। अंजलि के पापा उसे बहुत प्यार करते हैं और उसे अच्छे से समझते भी हैं। दूसरी तरफ मयंक अपनी माँ से बहुत प्यार करता है और वो उनसे कोई भी बात नहीं छुपाता। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

अगली सुबह मयंक जैसे ही तैयार होकर निकलने लगता है उसकी माँ कहती हैं बेटा इतनी जल्दी में कहाँ ? मयंक नाश्ते की टेबल पर बैठ जाता है क्योंकि उसके पापा भी उसे ही देख रहे थे। कल का क्या प्लान है ? मयंक के पिता ने उसकी तरफ देखते हुए कहा तो अर्जुन सोच में पड़ गया कि कल क्या है ? मयंक की माँ ने मयंक को सोच में खोया देखा तो कहा कि अरे कल पापा के नए ऑफिस का उद्घाटन होना है। मयंक ने कहा ओह्ह सॉरी डैड मैं भूल गया था। अर्जुन जी ने मयंक से कहा बेटा आगे चलकर ये सब आपको ही संभालना है। मयंक ने सिर हिलाते हुए कहा जी डैड। मैं कल टाइम से आ जाऊँगा। मयंक ने कहा डैड मैं लेट हो रहा हूँ शाम को मिलता हूँ कहकर मयंक कॉलेज के लिए निकल गया था।

आज उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी वो जल्दी से जल्दी कॉलेज पहुँच कर अंजलि को देखना चाहता था। वो कॉलेज पहुँचा तो उसे राघव और नितिन मिल गए। वो उनसे बात करने लगा लेकिन उसकी नज़रें कॉलेज के गेट पर ही टिकी हुई थी। राघव और नितिन उसे बहुत देर से नोटिस कर रहे थे। तभी राघव ने कहा वो तेरे आने से पहले ही आ चुकी है, वो अपने क्लासरूम में है। मयंक ने सुना तो झेंप गया लेकिन उसने कहा तू किसकी बात कर रहा है ? नितिन ने उसे कोहनी मारते हुए कहा साले उसी की जिसका इंतज़ार तू पिछले आधे घंटे से कर रहा है। मयंक ने कहा क्या ? ? ? मैं तो शुभम को देख रहा था। राघव और नितिन एक साथ मयंक को छेड़ते हुए कहने लगे रहने दे भाई अब दोस्तों से क्या छुपाना ? मयंक ने कहा चलो क्लास में चलते हैं। नितिन ने कहा क्यों भाई आज पढ़ाई करने का मन है क्या ? मयंक ने नितिन के सिर पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा हाँ चलो अब। तीनों क्लास की तरफ बढ़े ही थे कि तभी शुभम पीछे से भागता हुआ आया। वो बहुत घबराया हुआ था और उसने कहा वो मदन..................नितिन ने कहा क्या हुआ शुभम कुछ कहा मदन ने तुझे ? ? ? ? ? शुभम ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा वो मदन एसिड लेकर बाहर खड़ा है और अंजलि को मजा चखाने की बात कर रहा है। वो शायद कल वाली अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए खड़ा है।

मयंक ने अंजलि का नाम सुना तो उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़-साफ़ दिखने लगा था। उसने कहा उसे मैं नहीं छोडूंगा, उसकी हिम्मत कैसे हुई वो एसिड लेकर आया कॉलेज में वो भी अंजलि से बदला लेने के लिए। वो गेट की तरफ जाने लगा तो राघव ने उसे रोककर कहा मयंक यार दिमाग से काम लेना है, ऐसे गुस्से से बात नहीं बनेगी। चल हम प्रिंसिपल के पास चलते हैं। मयंक बहुत गुस्से में अपनी मुट्ठी भींचे खड़ा था लेकिन राघव की बात उसे सही लगी तो वो सभी प्रिंसिपल रूम की तरफ बढ़ गए थे। तभी मयंक ने कहा लेकिन अंजलि को इस बात का पता है या नहीं ? कहीं वो इसी बीच बाहर चली गयी तो...........राघव ने कहा हाँ शुभम तू ऐसा कर अंजलि को जाकर इन्फॉर्म कर तब तक हम प्रिंसिपल सर से बात करते हैं। शुभम अंजलि की क्लास की तरफ बढ़ गया और बाकी सभी प्रिंसिपल रूम की तरफ।

शुभम अंजलि की क्लास में पहुँचा और उसने अंजलि को क्लास से बाहर आने के लिए कहा। अंजलि ने बाहर आकर बड़े ही बिंदास अंदाज़ में कहा हाँ भाई क्या है ? शुभम ने उसे सारी बात बताकर सतर्क रहने को कहा और उसने ये भी बताया कि मयंक और उसके दोस्त इस बारे में बात करने प्रिंसिपल के पास गए हैं। अंजलि के चेहरे पर इस समय कोई भाव नहीं थे। शुभम वहाँ से चला गया तभी रिया और रागिनी क्लास से बाहर आये और अंजलि से पूछने लगे सब ठीक है ? अंजलि ने कहा ये लो मेरा फ़ोन और 100 नंबर पर फ़ोन लगाकर कहो एक लड़का कॉलेज के बाहर एसिड लेकर खड़ा है। रिया ने सुना तो डर के मारे उसके हाथ कांपने लगे थे। अंजलि ने देखा तो कहा तुम्हारे लिए नहीं मेरे लिए खड़ा है। रागिनी ने कहा किसकी बात कर रही हो अंजलि ? वो ही कल वाला आशिक कल का बदला लेने के लिए बाहर खड़ा है। रागिनी ने कहा वो मदन जो कल नाज़िया को परेशान कर रहा था ? हाँ अंजलि ने बड़े ही सधे स्वर में कहा। रागिनी को लगा वो परेशान है उसने कहा घबराओ मत अंजलि मैं अभी पुलिस को फ़ोन करती हूँ।

अंजलि ने कहा हम्म कह दो थोड़ा जल्दी आयें। ये कहकर अंजलि गेट की तरफ चल दी। रागिनी और रिया उसके पीछे दौड़ पड़े और उसे रोकने लगे। लेकिन अंजलि का गुस्सा इस वक़्त चरम सीमा पर था। वो यहाँ थी लेकिन उसका दिमाग 2 साल पीछे अपने स्कूल पहुँच चुका था। जब एक लड़के ने उसकी एक सहेली अमृता के ऊपर एसिड फेंक दिया था क्योंकि अमृता ने उस अमीरजादे से दोस्ती करने से मना कर दिया था। अंजलि ने एक बार जिया था उस पल को अमृता के साथ क्योंकि जब अमृता के साथ ये हुआ उस वक़्त अंजलि उसके साथ ही थी। अंजलि को इस सदमें से निकलने में कई महीने लगे थे और उसकी दोस्त अमृता वो तो आज भी इस सदमें में एक पागलखाने में जिन्दा लाश बनी हुई है। अमृता कुछ नहीं कहती थी किसी से सिर्फ चीखती थी जैसे उस पल चीख पड़ी थी जब उसके ऊपर उसने एसिड फेंक दिया था।

अंजलि गुस्से में गेट की तरफ बढती ही जा रही थी और उसके पीछे-पीछे रिया और रागिनी भी उसे रोकते हुए आ रहे थे। लेकिन अंजलि की आँखों में एक तरफ जहाँ गुस्सा था वहीं दूसरी तरफ थे आँसू जो उसे याद दिला रहे थे अमृता की बर्बादी की दास्तान। वो कुछ सोच या समझ नहीं पा रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त शायद एक बदला था या पछतावा क्योंकि वो अपनी जान से प्यारी दोस्त के लिए कुछ भी नहीं कर पायी थी। अंजलि जैसे ही गेट पर पहुँची मदन उसकी तरफ बढ़ा। रिया और रागिनी की तो जैसे साँसें गले में ही अटक गयी थी। रिया ने कहा रागिनी कुछ करो, प्रिंसिपल सर को बुला कर लाओ प्लीज। रागिनी ने कहा हाँ मैं अभी आती हूँ कहकर वो पूरी जान लगाकर दौड़ पड़ी थी प्रिंसिपल रूम की तरफ।

इधर अंजलि की आँखों में आँसू देखकर मदन ने हँसते हुए कहा अरे शेरनी तो आज रो रही है। क्या डर लग रहा है मुझसे या फिर इससे। उसने अंजलि को एसिड की बोतल दिखाते हुए कहा। अंजलि ने एक नज़र मदन की तरफ देखा और उसके हाथ में पकडे एसिड की तरफ देखा। अंजलि ने अपने आँसू पोछते हुए कहा अबे चिरकुट अंजलि शर्मा नाम है मेरा। तुझे सुनकर हैरत होगी लेकिन मैं अपने पापा की परी नहीं हूँ.................मैं अपने पापा की शेरनी हूँ। मदन गन्दी तरह से मुस्कुराया और कहा बहुत गर्मी है तुझमें ? ? ? तू कहे तो थोड़ी मैं ले लूँ ? ? ? ? ? अंजलि ने कहा हाँ हाँ क्यों नहीं लेकिन तू पहले ये ले....कहकर अंजलि ने उसके दोनों पैरों के बीच एक लात मारी और मदन बिलबिला कर वहीं बैठ गया था। उसने जैसे ही उठने की कोशिश की अंजलि ने उसके पैर पर फिर से एक लात जमा दी। मदन दर्द से बुरी तरह चीख उठा था। अंजलि ने उसके हाथ से वो एसिड की बोतल लेकर कहा इसी से मुझे डराने आया था। मर्द है तो उठ लड़ मुझसे, उठना। अंजलि की आँखें गुस्से से लाल हो रही थी। उनमें से लगातार आँसू बह रहे थे।

उधर प्रिंसिपल और मयंक ने जब ये सुना कि अंजलि मदन का सामना करने पहुँच गयी है तो वो सभी गेट की तरफ भाग पड़े थे। मयंक के दिल किसी अनहोनी का सोच कर बहुत तेज धड़क रहा था। वो पूरी स्पीड से भागकर वहाँ पहुँचा तो देखा अंजलि मदन पर बुरी तरह चीख रही थी। क्या समझते हो तुम लोग लड़कियों को अपनी जागीर या अपना गुलाम। ये एसिड डालकर किसी लड़की को क्या बताना चाहते हो कि उस लड़की को इनकार करने का हक नहीं है। अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए एसिड लेकर आ गया तू, तुझमें दम है तो लड़ मुझसे। उठकर सामना कर मेरा अगर मैं हार गयी तो डाल देना ये एसिड मेरे मुँह पर मगर याद रखना ये चलन कभी न कभी तुम्हें भी नुकसान पहुंचाएगा। जब कोई लड़का तुम्हारी बहन या बेटी को इसी तरह सजा देगा उसके इंकार के लिए। मदन अंजलि के गुस्से से काँप रहा था और उसके दोस्त वो सभी अंजलि को आँखें फाड़कर देख रहे थे। अंजलि ने कहा बड़ा मजा आता है ना अपनी जीत पर, किसी लड़की पर जब तुम ये एसिड डालते हो कभी महसूस भी किया है कैसा लगता है ? कभी सोचा तुम्हारे इस जुल्म के बाद वो कैसे जीती है और किस दर्द से गुज़रती होगी ? आज मैं तुम्हें बताऊंगी कितनी तकलीफ होती है जब तुम ये किसी लड़की पर डालकर भाग जाते हो ? अंजलि ने अब उस एसिड की बोतल का ढक्कन धीरे-धीरे खोलना शुरू किया था ? मदन के चेहरे पर उस पल खौफ साफ़-साफ़ देखा जा सकता था।

मयंक अंजलि को ऐसे देख जितना हैरान था उससे ज्यादा खुश था क्योंकि उसने आज ये जाना था कि अंजलि सिर्फ खूबसूरत ही नहीं बल्कि बहुत बहादुर भी है। अब तक पूरे कॉलेज में ये खबर आग की तरह फ़ैल चुकी थी और सभी स्टूडेंट्स वहाँ इकठ्ठा होकर खड़े थे। उधर अंजलि ने जैसे ही एसिड की बोतल को मदन के ऊपर डालना चाहा मदन दोनों हाथ जोड़कर कहने लगा मुझे माफ़ कर दो प्लीज, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है। आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूँगा। लेकिन अंजलि के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था। मयंक ने देखा वो नहीं रुकने वाली तो उसने आगे बढ़कर अंजलि को रोकना चाहा। लेकिन अंजलि उस पर चीख पड़ी और कहने लगी अरे वाह जब एक लड़के के साथ ये होने वाला है तो तुम बचाने पहुँच गए। कहाँ होते हैं तुम जैसे लोग जब एक लड़की के साथ दिन-दहाड़े बीच सड़क पर ऐसे हादसे अंजाम दिए जाते हैं ? तब क्यों नहीं आता कोई उसे बचाने ? क्यों बोलो क्योंकि वो एक लड़की होती है या फिर उसने गुनाह किया होता है किसी ऐसे गुंडे को इनकार कर के, जिसकी सजा उसे ऐसे दी जानी चाहिए। अंजलि ये कहते-कहते रो पड़ती है। तब तक पुलिस भी वहाँ पहुँच जाती है और वो अंजलि से वो एसिड की बोतल लेते हैं और मदन और उसके दोस्तों को गिरफ्तार कर लेते हैं। अंजलि वहीं घुटनों के बल बैठकर फूट-फूट कर रो पड़ती है। मयंक आगे बढ़कर उसे वहाँ से उठाने की कोशिश करता है लेकिन अंजलि गुस्से में उसका हाथ झिटक देती है।

मयंक रिया और रागिनी की तरफ देखता है और रिया आगे बढ़कर उसे आवाज देती है अंजलि उठो प्लीज सब ठीक है। अंजलि की अचानक तबियत ख़राब हो जाती है और वो बेहोश हो जाती है। मयंक और बाकी सभी उसे ऐसे देखकर घबरा जाते हैं। प्रिंसिपल सर कहते हैं इसे उठाकर मेडिकल रूम में ले चलो। सभी मयंक की तरफ देखने लगते हैं लेकिन मयंक कुछ सोच रहा था। तभी प्रिंसिपल ने कहा मयंक अंजलि को लेकर आओ। मयंक ने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई और उसने अंजलि को अपनी गोद में उठा लिया। मयंक के दिल की धड़कने इस वक़्त कुछ अलग तरह से धड़क रही थी। अंजलि मयंक के इतने करीब थी ऐसा तो उसने सोचा ही नहीं था। लेकिन वो ये सोचकर परेशान था कि आखिर अंजलि इतनी तकलीफ में क्यों थी ? क्या कोई हादसा हुआ है पहले कभी या फिर अंजलि डर गयी थी एसिड से ? वो इतना रो क्यों रही थी ? उसकी आँखों में इतना गुस्सा क्यों था ? अंजलि को मेडिकल रूम में लिटाकर मयंक वहीं खड़ा हो गया था। रिया, रागिनी, नितिन, राघव और शुभम सभी मेडिकल रूम के बाहर खड़े थे।

डॉक्टर ने देखा और कहा कुछ नहीं है बस स्ट्रेस में ब्लड प्रेशर लो हो गया है। मैंने इंजेक्शन दे दिया है अभी ठीक हो जाएगी। प्रिंसिपल सर और मयंक वहीं बैठे थे। थोड़ी देर बाद अंजलि को होश आया तो प्रिंसिपल सर को सामने देख उसने कहा आई एम् सॉरी सर! आप प्लीज पापा को कुछ ना बताएं वो बिना वजह ही परेशान हो जायेंगे। प्रिंसिपल सर ने कहा बेटा वो तो ठीक है तुम परेशान मत हो मैं नहीं बताऊंगा लेकिन ये खबर तो उन तक पहुँच ही जाएगी। आपको अपना ध्यान रखना चाहिए ऐसे लड़के कुछ भी कर सकते हैं ? इनसे दुश्मनी मोल लेना अच्छी बात नहीं है। अंजलि ने जवाब में कुछ नहीं कहा बस चुपचाप बैठी रही। प्रिंसिपल सर वहाँ से चले गए। मयंक अंजलि से बात करना चाहता था लेकिन उसे ये सही समय नहीं लगा। उसने कहा अंजलि तुम ठीक हो ना ? अंजलि ने मयंक की तरफ देखा और कहा मैं बिलकुल ठीक हूँ। आगे उसने कहा थैंक यू। मयंक ने सुना तो मुस्कुरा दिया और कहने लगा थैंक यू किसलिए ? अंजलि ने कहा क्योंकि आपने मुझे गलत काम करने से रोक लिया था। मैं बहुत गुस्से में थी शायद गलत कर बैठती अगर आप बीच में आकर मुझे नहीं रोकते। मयंक ने देखा अंजलि की आँखों में एक खालीपन है। उसकी आँखों में कुछ अनकहे एहसास है जिन्हें वो सबसे छुपाती थी। आज मयंक ने देखा तो बस देखता ही रह गया था। वो मन ही मन कह उठा था:-

“तुम्हारी झील सी खूबसूरत आँखों में ये जो एहसास है,

सच कहूँ मेरे लिए ये एहसास बहुत ख़ास बहुत ख़ास हैं।

ये आँखों का खालीपन शायद तुम्हारे दिल का सूनापन है,

ये कैसा एहसास है मेरे दिल में खूबसूरत-सा नयापन है।”

अंजलि खुद को ठीक महसूस करती है तो वो उठकर अपनी क्लास में जाने लगती है। लेकिन जैसे ही वो खड़ी होती है लड़खड़ा कर गिरने लगती है लेकिन पास ही खड़ा मयंक आगे बढ़कर उसे संभाल लेता है। इस वक़्त मयंक की बाँहों में अंजलि थी, मयंक उसे बस देखता ही रहा और अंजलि वो भी आज मयंक की आँखों में देख रही थी। उसने देखा मयंक की आँखों में एक अजीब सी कशिश थी। एक आकर्षण जो उसे मयंक की तरफ खींच रहा था। अंजलि ने खुद से ही कहा ये क्या हो रहा है ? उसने मयंक से कहा मैं ठीक हूँ छोड़ो मुझे। अंजलि की आवाज से मयंक की तन्द्रा टूटी तो उसने अंजलि को छोड़ दिया और कहने लगा सॉरी। अंजलि ने कहा इट्स ओके! अंजलि मेडिकल रूम के बाहर चली गयी और बाहर जाते ही उसे एक बार फिर सब कुछ याद आया जो आज हुआ था। उसे शायद थोड़ा डर भी लग रहा था लेकिन उसके दिल को थोड़ा सुकून था। वो जैसे ही क्लास में पहुँची पूरी क्लास उसके लिए तालियाँ बजाने लगी थी। अंजलि के चेहरे पर इस वक़्त भी कोई भाव नहीं थे। वो उदास सी अपनी सीट पर आकर बैठ गयी थी। रागिनी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा अंजलि वी आल प्राउड ऑफ़ यू! अंजलि ने सुना तो फीकी तरह से मुस्कुरा दी थी।

रिया ने कहा अंजलि तुझे डर नहीं लगता क्या ? नाज़िया का भी अंजलि से यही सवाल था क्योंकि वो सभी डरे हुए थे। अंजलि ने एक नज़र उनकी तरफ देखते हुए कहा एक बार इसी डर ने मुझसे मेरी दोस्त को छीन लिया था। वो दोबारा कभी नहीं मिली मुझे, लेकिन ये डर हर बार मिल जाता है मुझे। आज जो मैंने किया है शायद इसके बाद ये डर मुझसे डरेगा और मुझे कभी नहीं मिलेगा। अंजलि की बातें सभी के सिर के ऊपर से चली गयी थी।

नाज़िया ने कहा अंजलि कैसी थी तुम्हारी दोस्त ? अंजलि इस बार मुस्कुरा दी थी क्योंकि किसी ने तो समझा था कि अंजलि के गुस्से और तकलीफ की वजह क्या थी ? अंजलि ने कहा सूरज की पहली किरण सी खूबसूरत, हँसती खिलखिलाती मुस्कुराती कली सी थी मेरी अमृता। स्कूल में हमेशा टॉप करती थी। कभी-कभी मैं उससे बहुत गुस्सा हो जाती थी तो मुझे चुटकियों में मना लिया करती थी। उसका कहना था दोस्ती में ज्यादा देर की नाराज़गी नहीं होनी चाहिए। बहुत प्यारी, बहुत समझदार और खूबसूरत तो इतनी जो भी देखे बस उसे देखता ही रह जाए। ये कहकर अंजलि अब चुप हो गयी थी।

रिया ने कहा अंजलि अब कहाँ है वो ? अंजलि की आँखों से आँसू बह चले थे और उसने कहा पागलखाने में है। ये सुनकर वहाँ बैठे सभी चौंक गए थे। रिया ने कहा अंजलि क्या हुआ था उसे ? अंजलि ने कहा मैं अभी बात नहीं कर पाऊँगी प्लीज मुझे घर जाना होगा। ये कहकर अंजलि उठी और क्लास से बाहर चली गयी थी। उसकी क्लास के बाहर खड़े मयंक और शुभम ये सब कुछ सुन चुके थे। मयंक को भी बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि वो ये समझ रहा था कि अंजलि अंदर ही अंदर किसी तकलीफ से जूझ रही थी। उसने शुभम से कहा मैं अभी आता हूँ और वो अंजलि के पीछे चल दिया था। अंजलि ने कॉलेज के बाहर से ऑटो लिया और मयंक अपनी बाइक से उसका पीछा करने लगा था। अंजलि ने एक जगह ऑटो रोका और ऑटो वाले को पैसे देकर एक बिल्डिंग के अंदर चली गई थी। मयंक ने देखा वो कोई हॉस्पिटल था, वो भी अपनी बाइक से उतर कर उसके पीछे अंदर गया। उसने देखा अंजलि एक लड़की से बातें कर रही है। अंजलि कह रही थी हे अमृता यार चल ना कहीं घूम कर आते है। तू कब तक यहाँ रहेगी ? तुझे पता है मेरा मन नहीं लगता तेरे बिना। तुझे पता है वो सुमन मैडम कह रही थी कि अमृता ही इस बार भी स्कूल की हेड गर्ल बनेगी और ऑल राउंडर की ट्रॉफी इस बार भी उसकी ही होगी।

मयंक को बस अंजलि ही दिखाई दे रही थी। अंजलि के बगल में कोई लड़की बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन मयंक उस लड़की का चेहरा अब तक नहीं देख पाया था। तभी मयंक ने देखा कि अंजलि फूट-फूट कर रोने लगी है। वो लड़की अब बिस्तर से उठकर बैठ गयी थी। उस लड़की को देख मयंक ने डर की वजह से अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया था क्योंकि अब उसने उस लड़की का चेहरा देख लिया था। डर के मारे शायद उसकी चीख ही निकल जाती लेकिन उसने खुद को संभाल लिया था। ये अंजलि की वही दोस्त थी जिसके ऊपर लगभग 2 साल पहले एसिड अटैक हुआ था। इस हादसे का शिकार वो लड़की अमृता आज भी सदमें में है। वो किसी से भी बात नहीं करती और बस चुपचाप खुद को देखती रहती है। अंजलि काफी देर तक वहीं बैठी थी और मयंक उससे कुछ दूरी पर अब भी खड़ा था। अंजलि से एक नर्स ने आकर कहा कि अब इन्हें आराम करने दीजिये। अंजलि उठी और उसने कहा अमृता अपना ध्यान रखना मैं जल्दी ही तुमसे मिलने आऊँगी। लेकिन उस लड़की का कोई जवाब मयंक ने नहीं सुना था। शायद उसने कोई जवाब दिया ही नहीं था। अंजलि अपने आँसू साफ़ करती हुई मयंक के साइड से निकल कर गई थी लेकिन उसने मयंक को देखा ही नहीं था।

अंजलि के जाने के बाद मयंक उस लड़की के पास जाने लगा लेकिन नर्स ने उसे वहाँ जाने से मना कर दिया था। मयंक हॉस्पिटल से बाहर आया और उसने देखा अब तक अंजलि वहाँ से जा चुकी थी। मयंक को समझ नहीं आया कि वो क्या करे ? अंजलि का रोता हुआ उदास चेहरा उसकी आँखों के आगे घूम रहा था। लेकिन वो क्या कर सकता था शायद कुछ भी नहीं। वो वहाँ से घर की तरफ जाने लगा था तभी राघव का फ़ोन आया और उसने पूछा मयंक तू कहाँ है ? मयंक ने कहा मैं घर जा रहा हूँ। राघव ने कहा तू ठीक तो है ना ? मयंक ने कहा हाँ मैं ठीक हूँ चल बाय कल मिलते हैं। मयंक ने फ़ोन रख दिया और सीधा घर पहुँचा। आज वह रोज से जल्दी ही घर पहुँच गया था। घर पर कोई भी नहीं था। मयंक ने बसंत काका से एक कप कॉफ़ी के लिए कहा और खुद अपने कमरे में जाकर बेचैन सा टहलने लगा था।

उसने अपना फ़ोन निकाला और राघव को फ़ोन किया और कहा यार क्या अंजलि का फ़ोन नंबर मिल सकता है कहीं से ? राघव थोड़ा हैरान हुआ और कहने लगा मयंक इतनी क्या जल्दी है और मैं उसका नंबर कहाँ से लाऊंगा ? मयंक ने तुरंत ही कहा अंजलि के किसी सहेली से पूछ कर देख शायद किसी के पास हो। मेरा उससे बात करना बहुत जरुरी है प्लीज तू मेरा ये काम कर दे। बाकी बातें मैं तुझे कल कॉलेज में मिलकर बताऊँगा। राघव ने कहा ठीक है मैं कोशिश करता हूँ। तू प्लीज अपना ध्यान रख। राघव ने उसका फ़ोन रख दिया और वो अंजलि की क्लास की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँच कर उसने रागिनी को बाहर आने को कहा। रागिनी तो राघव को देख वैसे ही खुश हो जाती थी। राघव उससे बात करना चाहता है ये सोचकर रागिनी के मन में तो लड्डू फूट रहे थे। रागिनी क्लास से बाहर आई और उसने शरमाते हुए राघव से कहा जी कहिये आपने मुझे क्यों बुलाया ? राघव ने बिना उसे नोटिस किये ही कहा रागिनी प्लीज गलत मत समझना लेकिन मुझे तुम्हारी दोस्त अंजलि का फ़ोन नंबर चाहिए ? रागिनी ने सुना तो उसे जैसे 440 वाल्ट कबझटका लगा। उसने बिना कुछ सोचे-समझे ही कहा तो क्या तुम अंजलि को पसंद करते हो ? 

राघव ने सुना तो हैरान होकर कहा क्या मतलब ? रागिनी ने कहा मुझे लगा तुम मुझे पसंद करते हो। राघव ने सुना तो मुस्कुरा दिया था। रागिनी ने देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया। वो पलट कर अपनी क्लास में गयी और एक पेपर पर अंजलि का नंबर लिख कर लाकर राघव के हाथ में थमाते हुए कहा, ये लो तुम्हारी अंजलि का नंबर। रागिनी बिना कुछ सुने ही क्लास में वापिस चली गयी थी। राघव ने अपने जेब से फ़ोन निकाला और मयंक को फ़ोन करके उसे अंजलि का नंबर देकर कहा भाई ध्यान से उसे गुस्सा आ गया तो कल सुबह तू यहाँ पिट रहा होगा। मयंक मुस्कुराया और कहा राघव थैंक यू यार। कल मिलता हूँ अपना ध्यान रखना कहकर मयंक ने फोन काट दिया। अब वो कशमकश में था कि अंजलि को उसे फ़ोन करना चाहिए या नहीं ?

क्रमश:


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