वो कौन थी? भाग : ३
वो कौन थी? भाग : ३
ड्राइवर कार लेकर मुख्य सड़क पर मिला, जैसे कि उसे हमारे आने का इंतजार था।
"अब विल सिटी से पहले कही रुकना नहीं है, नींद आ रही हो तो पीछे की सीट पे आ के सो जा गाड़ी मै ड्राइव करती हूँ।" मिथ्या थोड़ा गुस्से में बोली।
अगले दिन दोपहर तीन बजे हम शानदार विल सिटी पंहुचे। चारों तरफ रंगीनिया बिखरी थी।
"अब बोल वो लॉज कहा है?" मिथ्या ने मुझसे पूछा।
"१०० किलोमीटर दक्षिण में काली नदी की रिज पर।
"खाना खायेगा राहुल, या चले?" उसने ड्राइवर राहुल से पूछा।
"थोड़ा सा खा लेते है।" राहुल बिना पीछे मुड़े बोला।
करीब पाँच बजे हम कर्नल दर्रे के पास पहुंचे, अब नज़ारा बदल चुका था। विल सिटी की खूबसूरती बहुत पीछे रह गयी थी। सामने था १५०० किलोमीटर के दायरे में फैला काली घाटी का विस्तार। वहाँ सब कुछ भूरा ही भूरा था। भूरी रेत, भूरे टीले और भूरे पातालीय खड्ड।
"यहाँ से ९० किलोमीटर दूर पीला पानी झरना है उसी के किनारे एक बड़ा फार्म हाउस है जिसमे एक छोटा सा लॉज भी है, लेकिन सँभल के जाना, इस समय घाटी में जाना खतरनाक है।" एक चाय की दुकान वाले ने बताया।
करीब ४० कि. मी. के सफर के बाद सड़क के बीचो-बीच एक बड़ा सा पेड़ का लट्ठा पड़ा मिला, जिसने पूरा रास्ता अवरुद्ध किया हुआ था। ड्राइवर कार रोक कर आगे की सड़क देखने गया।
"मैडम आगे सड़क ग़ायब है………" उसने आकर बताया।
तभी न जाने कहा से एक घुड़सवार आया और बोला, "सड़क का ये टुकड़ा दो दिन पहले बह गया है। नीचे होकर धीरे-धीरे निकल जाये ३ किलोमीटर बाद सड़क फिर मिल जाएगी।"
और वो जिस तरह आया था उसी तरह चला भी गया।
मिथ्या कुछ देर सोचती रही, फिर उसने अपनी गन को उठाकर रीलोड किया और बोली, "चलो।"
कार हिचकोले लेते हुए सड़क से नीचे उतरी और धीरे-धीरे आगे बढ़ी। कच्चा रास्ता मुख्य सड़क से दूर होता जा रहा था। मैंने पहली बार मिथ्या के चेहरे पर चिंता की परछाईं देखी। वो चौकन्ना दिखने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके चेहरे से चिंता की लकीरें साफ़ नजर आ रही थी। थोड़ी देर बाद कच्ची सड़क के दोनों और गहरी खइया आ गयी। जरा सी चूक और कार गहरे खड्ड में लुढ़क सकती थी। राहुल कार धीरे-धीरे चला रहा था लेकिन तभी एक जोरदार धमाके ने सारा परिदृश्य बदल डाला, न जाने कहाँ से एक गोली राहुल के सर में आकर लगी और उसके सर के परखच्चे उड़ गए। कार बेकाबू होकर लुढकते हुए खाई में गिरने लगी।
नीचे गिरने तक कार कितनी बार पलटी ये तो पता नहीं लेकिन खड्ड में गिरने तक कार के सारे शीशे टूट चुके थे, और हम राहुल के मृत शरीर के साथ गड्ड-मड्ड होते-होते बेहाल हो चुके थे। जैसे ही कार नीचे गिरी, दो मजबूत हाथों ने मुझे बहार निकाल कर ज़मीन पर पटक दिया। यही हाल मिथ्या का भी हुआ।
वो संख्या में दस से ज्यादा थे, सब के सब हथियारों से लैस। रात के अंधेरे में सब के सब यमदूत लग रहे थे।
"तलाशी लो सा... की, तफरीह करने के लिए यही जगह मिली है सा... को।" उनमें से एक कद्दावर लुटेरा गरज कर बोला।
एक लंबे चौड़े आदमी ने अपनी रिवाल्वर अपनी पैंट में खोसकर मेरी तलाशी ली। एक मरियल सा लुटेरा तलाशी के नाम पर मिथ्या के शरीर के विभिन्न हिस्सों को छू रहा था। उसके गंदे हाथ शायद अपनी सीमा पार कर गए थे इसलिए मिथ्या ने एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके मुंह पर जड़ दिया। वो गाली देता हुआ नीचे गिरा और उठकर मिथ्या पर झपटा।
"ठहर जा इस जंगली बिल्ली को मैं काबू में करूँगा।" कहते हुए उस कद्दावर लुटेरे ने आगे बढ़कर मिथ्या को एक जोरदार लात मारी। मिथ्या बुरी तरह नीचे गिरी और वो कद्दावर लुटेरा उसे नीचे गिरी- गिरी को अपने बूट की ठोकरों से मारने लगा।
"छोड़ दो इसे……" कहते हुए मैं मिथ्या को बचाने के लिए दौड़ा, लेकिन कई जोड़ी मजबूत हाथों ने मुझे दबोच लिया।
"अच्छा इस कुत्ते को भी जोश आ रहा है……देख क्या हाल करता हूँ तेरी महबूबा का……." कहते हुए उस कद्दावर लुटेरे ने अधमरी पड़ी मिथ्या को उठाकर खड़ा किया और उसकी शर्ट के चीथड़े-चीथड़े कर डाले। फिर वो रोती-बिलखती मिथ्या को ज़मीन पर पटक कर पर घसीटने लगा। उसके इस कृत्य ने मुझे पागल कर डाला और मैंने अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने आप को उन डकैतों से आज़ाद कराया और झपट कर उस कद्दावर से मिथ्या को आज़ाद कराया और उस से गुत्थम-गुत्था हो गया। लेकिन तभी एक जोरदार लात मेरी पसलियों पर पड़ी और मैं मुंह के बल ज़मीन पर गिरा। उसके बाद कितनी ठोकरे मेरे जिस्म को लगी मुझे पता नहीं, यहाँ तक की कुछ देर बाद मुझे दर्द का एहसास होने भी बंद हो गया।
"रुक जाओ……" कहते हुए उस कद्दावर लुटेरे ने अपने मुंह का खून साफ़ किया और फिर बोला, "इस कुत्ते को आज मैं वो नज़ारा दिखाऊंगा जो आज तक इसने नहीं देखा होगा, इसका मुंह अब मेरी तरफ ही रखना।"
कुछ लूटेरो ने मुझे सीधा करके बैठाया और मेरे बाल पकड़कर मेरे मुंह उस कद्दावर लुटेरे की तरफ कर दिया जो उठने की कोशिश करती मिथ्या को पुनः ठोकर मारकर मिथ्या को ज़मीन पर गिरा दिया। मिथ्या के मुंह से दर्द भरी चीखे निकल रही थी।
तभी घाटी गोलियों की आवाज़ से गूँज उठी और लुटेरे तड़फते हुए जमीन पर गिरने लगे। कद्दावर लुटेरा पलटा लेकिन उसका हाल भी उसके साथियों के जैसा हुआ और वो भी गोली की मार से जमीन पर जा गिरा।
तभी बारूद के धुएं से एक लंबा चौड़ा घुड़सवार प्रकट हुआ, उसके दोनों हाथों में बड़ी-बड़ी रिवॉल्वर्स थी और बेहद चौकन्ना था।
"कुत्ते जैक तू भी मरेगा एक दिन…...मेरा भाई तुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा।" कहते हुए उस कद्दावर लुटेरे ने अपनी बन्दुक की तरफ हाथ बढ़ाया, लेकिन तभी घुड़सवार ने एक गोली चलाई जिसने उस कद्दावर लुटेरे के सर के परखच्चे उड़ा दिए।
ये वही घुड़सवार था जो हमें सड़क पर मिला था। उसने एक आखिरी निगाह मृत लुटेरों पर डाली और चला गया।
(क्रमशः)