"कोई इस बुढ़िया को भी एक रुपये दे दो, ओ बेटा , ओ बेटी । "कोई इस बुढ़िया को भी एक रुपये दे दो, ओ बेटा , ओ बेटी ।
वो लोग संस्कृति से प्रश्न कर ही रहे थे। कि अचानक वो उठकर बाहर की ओर निकल गई वो लोग संस्कृति से प्रश्न कर ही रहे थे। कि अचानक वो उठकर बाहर की ओर निकल गई
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हम राहुल के मृत शरीर के साथ गड्ड-मड्ड होते-होते बेहाल हो चुके थे हम राहुल के मृत शरीर के साथ गड्ड-मड्ड होते-होते बेहाल हो चुके थे
कैसी विडंबना है ईश्वर ? हम शहरवासियों के लिये ये सावन तो सुहाना है पर इन गरीबों का क्या ? कैसी विडंबना है ईश्वर ? हम शहरवासियों के लिये ये सावन तो सुहाना है पर इन गरीबों ...