शिक्षा व संस्कार
शिक्षा व संस्कार
मेहता जी का पूरा परिवार आज तैयारियों में जोर शोर से जुटा था, क्योंकि आज एक बड़ी कम्पनी के मालिक अपने बेटे के लिए उनकी बेटी को देखने जो आने वाले थे। उनकी सुंदर व सुशील बेटी संस्कृति ने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान कई बड़ी परीक्षाएं दी थी। पर उसने खुद को आज जितना नर्वस कभी फील नहीं किया। वो सुबह से ही किसी गुड़िया की तरह सज धज कर घर के एक कोने में बैठी थी। घर में किसी के भी प्रवेश की आहट पा उसकी धड़कने अनायास ही बढ़ जाती। फिर लड़के वालों के आने पर चाय नाश्ते की औपचरिकता के बाद ,उसे किसी अभ्यर्थी की तरह साक्षात्कार के लिये वहां प्रस्तुत किया गया। वो लोग संस्कृति से प्रश्न कर ही रहे थे। कि अचानक वो उठकर बाहर की ओर निकल गई। उसके इस व्यवहार से तब वहां उपस्थित सभी अचंभित हुए। पर फिर कुछ ही देर बाद संस्कृति ने पुनः उसी कक्ष में प्रवेश किया, उसके हाथों में एक नन्ही सी चिड़िया थी। जो शायद गर्मी और प्यास से बेहाल हो जमीन पर गिर पड़ी थी। संस्कृति ने झटपट उसे थोड़ा पानी पिलाया ओर पानी के कुछ छीटे मार उसे एक गीले तोलिये में लपेट कर पंखे के नीचे रख दिया। जिससे कुछ ही समय में वो चिड़िया स्वस्थ हो इधर उधर फुदकने लगी। और अब वो बार बार संस्कृति के हाथों पर आकर चहकती तो ऐसा लगता मानो जैसे वो उसे धन्यवाद दे रही थी। संस्कृति के इस प्रयास से अब सभी बड़े खुश थे। फिर लड़के के पिता मेहता जी से बोले कि आपकी बेटी में एक पक्षी के लिए भी करुणा का भाव है, ये बच्ची वाकई शिक्षा व संस्कार का एक अनुपम उदाहरण है। अतः हम सभी को यह रिश्ता सहर्ष मंजूर है। इतना सुनते ही संस्कृति शर्मा गई व मेहता जी का परिवार सभी का मुँह मीठा कराने में जुट गया।