Rudra Prakash Mishra

Tragedy

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Rudra Prakash Mishra

Tragedy

माँ हूँ न

माँ हूँ न

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"कोई इस बुढ़िया को भी एक रुपये दे दो, ओ बेटा , ओ बेटी , ओ बीबीजी ,सुन लो।" लेकिन मंदिर के भीड़ और पूजा के शोरगुल में जैसे उस बुढ़िया की क्षीण आवाज कहीं गुम सी हो जा रही थी ।

कुछ लोगों का ध्यान उस ओर भी जा रहा था "देखो कैसी नालायक औलाद होगी इसकी , इस उम्र में भी अपने गुजारे के लिये इस तरह बेहाल हो रही है।" 

उस बुढ़िया ने भी सब सुना । उसने कहा, "नहीं ये बात नहीं है । मेरा एक ही बेटा है , बीमारी ने अपँग कर दिया है उसे ।पति भी नहीं रहे, जो उसको संभालते । जब तक साँस है , उसकी देख - भाल तो करूँगी ही ,भले ही कुछ भी करना पड़ जाए । "माँ हूँ न " ।



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