"वो अंधा नहीं है"
"वो अंधा नहीं है"
जानकी कोर्ट में चिल्लाये जा रही कहे जा रही ..तुम लोग समीर को जो समझ रहे हो वैसा समीर नहीं है...वहशी हैं... गंदा है...।
पर वहाँ सरकारी वकील विपक्ष के वकील के दलील के बीच में जानकी की आवाज कहीं गुम हो जाती हैं...कोर्ट का आर्डर हो जाता है कि जानकी पैसे ऐंठने के लिये अंधे समीर पर आरोप लगाई है... ।
उलटे कोर्ट जानकी को ही दो हजार का जुर्माना सुना देता है....
जानकी कठघरे में जोर जोर से रोये जा रही ....। वहीं पर जानकी का बाप राघव उसके साथ खड़ा होकर अपनी बेटी की बेबसी पर आँसू बहा रहा....।
उसी कोर्ट में दूसरे केस के सिलसिले में मीरा जी (एडवोकेट) फाइल तैयार कर रही है...। वह दोनों बाप-बेटी को देखती हैं...
वह राघव से केस के बारे में पूरी जानकारी लेती है....। जानकी से भी सभी बातों की जानकारी लेती है...। उन दोनों से दो दिन बाद आने को कहती है...। दो दिन बाद समीर कठघरे में खड़ा है... मीरा जी उससे पूछताछ कर रही हैं.... विपक्ष का वकील बार -बार कह रहा... गड़े मुरदे उखाड़ने से क्या फायदा...मुकदमा का फैसला हो गया है..।
मीरा जी समीर से पूछती है ...तुम बचपन से अंधे हो।
समीर कहता है... हाँ।
मीरा जी कहती हैं ..तुमको कुछ भी दिखाई नहीं देता है..।
समीर बोला ...नहीं।
मीरा जी पूछती है .....मेरे हाथ में क्या है?
समीर बोलता है ...मुझे दिखाई नहीं देता ..मुझे क्या पता..।
मीरा जी अपने हाथ में पकड़ी फाइल समीर पर फेंक मारती है।
समीर फाइल को तुरंत कैच कर लेता है...
मीरा जी तुरंत मुद्दे पर आती है....कोर्ट से कहती हैं समीर अंधा नहीं है ...। इसको किसी दूसरे नेत्र -चिकित्सक से दिखाया जाय। नेत्र चिकित्सक कोर्ट में ही आकर समीर को देखता हैं और कहता है कि इनकी दोनों आँखें ठीक हैं...। अब समीर को जानकी के साथ रेप करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा मिल जाती....। जानकी को न्याय मिल जाता ....।
