Madhavi Solanki

Abstract

4.0  

Madhavi Solanki

Abstract

वक्त ही तो है गुज़र जायेगा ...

वक्त ही तो है गुज़र जायेगा ...

2 mins
257


एक ख़त अजनबी के नाम ...

प्रिय नोशिखिया , 

क्यो परेशान होते हो , आज के दिन तुम अपने सपनें को वक्त नही दे पाए , क्यों हैरान होते हो इस चिंता में कि कैसे हो पायेगा , तुम बखूबी जानते हो खुद को , तुम चाहो तो सब कुछ कर सकते हो पूरी रात बाकी है , 12 घण्टे बाकी है , ओर जुनून तो तुम में बखूबी हैं ,हौसला भी लाज़वाब है , तुम तो अल्बट्रोस हो जो हर वक्त ऊँचे आसमान में उड़ना जानता है जो हरवक्त अपनी मंज़िल के मुलाकात के इंतज़ार मे रहता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक अपने अल्बट्रोस से नहीं मिलते ,

हमेशा उड़ते रहो अल्बट्रोस अपने सपनों के इंतज़ार मैं ,

ये वक़्त ही तो है गुज़र जायेगा …!!!

ये लम्हे भले गलत है पर जल्द निकल जायेगे ,

फिर से सूरज निकलेगा ,हम गीत फिर गाएगें ,

तेरा प्यार किसी की जिंदगी का सहारा ,

ये प्यार कभी कम होवेगा ना यारा ,

पूरा होवे या ना होवे सपना हमारा ,

ये प्यार कभी कम होवेगा ना यारा ….

तुम्हारी कोशिशें ही तो है जो तूम्हे हर पल मुसीबतों से बचाता हैं,

तुम्हारा विश्वास ही तो हैं जो तुम्हें मुसीबत से लड़ने की शक्ति देता है

तुम्हारे सकारात्मक विचार ओर कान्हा का साथ ही है जो

तुम्हे हर पल हर बुरे वक्त से बचाता है,

तुम्हारा हमेशा ना हार मानने की ज़िद ही तुम्हें सफ़ल बनाती है …

लिखितन : प्रियतमां ..



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract