चलो चलते हैं ....
चलो चलते हैं ....
चलो चलते हैं हम एक साथ , इस बहाव के साथ अपनी मंजिल से मिलने , यहीं तो वो रास्ता है जो हमे हमारी मंज़िल से मुलाकात करवा सकता है, ऐसे तो मैं नहीं चल पड़ी उसके ख्यालों में , बहोत सोचा मैंने , सारे पहलू को परखा मैंने तब ये फैसला किया की मुझे वहीं पर जाना हैं जहां से गंगा बहती है , मुझे वहीं जाना हैं जहां जाना सबका सपना होता हैं , अब नहीं सोचना बहोत फैसला कर लिया मैंने , 22 घण्टे की दूरी है , जल्द बीत जाएगी , कल मैं निकल जाऊंगी। मैं बहोत सोच लिया मैंने सबके बारे मैं , इतने साल गवा दिए मैंने , अब सिर्फ एक ही जुनून हैं तुमसे मिलना ओर तुम्हैं मन भर के देखना , तुम्हारी खूबसूरती को इन आखों मैं प्रतिकृत करना , उन सारी जगह को देखना, जिसे मैं बरसों से देखना चाहती थीं , बस खत्म हो ने ही वाला है तुम्हारा इंतज़ार मैं सुबह होते ही तुम्हारे पास आने के लिऐ निकल जाऊंगी , सुबह 5 बजे की ट्रेन है , मैं सो जाती हूं , अलार्म लगा दिया है फोन में 4 बजे का।
आज से पहले, आज से ज्यादा खुशी हमे मिली नहीं … , आज से पहले आज से ज्यादा खुशी हमे मिली नहीं.. अलार्म बजा , मैं झट से जाग गई , ओर तैयार हों गई , सब को चुपके से अलबिदा कह के मैं रेलवे स्टेशन पहोच गई , अभी देर थी ट्रैन आने की , मैं इंतज़ार करने लगी , ओर फिर अपनी मंजिल के ख्यालों में खोने लगी , वक्त बीत रहा था , धड़कने तेज़ हो रही थीं , कुछ अलग ही रौनक थी मेरे चहरे पर , थोडा डर भी था , लेकिन मैं बहोत खुश थी, ट्रैन को देख के मेरे चेहरे पर खुशी समा नहीं रहीं थीं , मैं उसमे चढ़ने के लिऐ दौड़ने लगी , तभी जोर से मैं गिरी , रेलवेस्टेशन पर नहीं , मेरे बिस्तर से , आंख खुली तो , अरे यार फिर वही सपना .. मां ने आवाज़ लगाई , "क्या हुआ सनेम , कैसी आवाज़ आई तुम्हारे कमरे से?" ,
"कुछ नहीं मां , सब ठीक है ।" कुछ देर बाद मैं फिर वही जगह गई जहां मैं हमेशा ही जाती हूं , मुझे रेवा से मिलना है "रेवा अब तुम ही बताओ क्या करू मैं , कैसे पहुंचूं मैं अपनी मंजिल के पास या फिर तुम्हारे बहाव के साथ बह जाऊं । तुम ही मेरी मदद करो , मुझे कुछ समझ मैं नहीं आ रहा है।" रेवा ने कहा "सुनो मेरी बात सनेम , ध्यान से सुनना , फैसला तुम्हें करना है … मैं तो एक नदी हूं तुम अगर चलना चाहो तो चल सकती हो मेरे बहाव के साथ ,?मेरी मंजिल तो सागर से मिलना है ओर बखूबी मैं उससे मिल कर रहूंगी लेकिन एक बात बताओ क्या तुम्हारी मंज़िल भी सागर से मिलना है या आसमान छूना , जो तुम्हारी मंजिल सागर है बेशक तुम चल सकती हो, पर जो आसमान है तो फिर तुम गलत राह पर हो , तुम्हैं सही वक्त का , सही मंजिल का , सही राह चुन कर चलना चाहिए जिससे तुम्हैं मंज़िल भी मिले , ओर मुसाफरी का आनंद भी मिले ।"
"समझ गईं रेवा मैं मुझे क्या करना है , मुझे सपनो से निकल कर हकीकत का सामना करना होगा , सबको मनाना पड़ेगा , थोडा लड़ना पड़ेगा , आसान तो नहीं हैं , पर ना मुनकिन भी नहीं, जब कोशिश हज़ार होगी , तब कुछ तो अच्छा परिणाम होगा , जब हौसला लाज़वाब होगा , जब मेहनत ज्यादा होगी , तब कोई मुझे रोक नहीं सकता तुमसे मिलने से , जब तक ये दिल खुद हार ना माने तब तक .. मैं कोशिश करती रहूंगी मेरी आखरी सांस तक …
एक बात हमेशा ही याद रखना ,
माना कि मुश्किल है सफ़र मैं चल ओह मुसाफ़िर , कर हौसला ,कर फैसला , तुम्हें दुनिया को बदलना है ..!!!
