विश्व वन्य जीव दिवस 3 मार्च

विश्व वन्य जीव दिवस 3 मार्च

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सृष्टि निर्माण के समय से ही वन्य जीवों का इस धरती पर अस्तित्व रहा है। जंगलों से इनका घनिष्ठ नाता रहा है। ये वन्य जीव जंगल को अपना घर समझते हैं। परन्तु शायद मानव जंगल को केवल जंगल समझे। विशाल पारिवारिक रिश्तों में बंधे ये वन्य जीव जिनके होने से पर्यावरण संरक्षक सम्भव है। वनों में विविध प्रकार के जीव रहते हैं। जिनकी रहन सहन, खान-पान, रंग रूप काया वर्ण की शैली भिन्न-भिन्न है। देश में बहुत से अभ्यारण्य बनाए गए हैं जिनमें वन्य जीव सुरक्षित रह सकते हैं।

क्योंकि विश्व भर से कुछ प्रजातियां पिछले कुछ वर्षों से लुप्त होने के कगार पर है। वन्य जीव प्रकृति की अतुलनीय शोभा है। यकायक सबका मन मोह लेने वाले ये जीव धरती के अभिन्न अंग होने के कारण भी लुप्त होते जा रहे हैं। इन सभी कारणों के पीछे मनुष्य की निरन्तर जनसंख्या वृद्धि भी एक कारण रहा है। वनों का निरन्तर कटान, आग लगाने की शैतानी ये भी प्रमुख कारण रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में करोड़ों की संख्या में वन्य जीव आग की भेंट चढ़ गए। शेर,बाघ, चिता, हिरन, बर्फीला, तेंदुआ मोनाल ये प्रजातियां सभी लुप्त होने के कगार पर है। 

●वनों से हमें अनेक प्रकार के संसाधनों की प्राप्ति होती है। मानव अपने क्षणिक सुख के लिए दिन-प्रतिदिन वनों का जो कटान कर रहे हैं इससे प्रकृति पर गहरा असर पड़ता है। जल का निरन्तर अभाव होता जा रहा है। दूषित वायु का बोलबाला, भूकम्प और त्रासदी जैसी अनेक चुनौती अब वर्तमान में हम सब झेल रहे हैं।

●मनुष्य प्रकृति के स्वयं दुश्मन बन रहा हैं। जिनके विना मनुष्य का अस्तित्व सम्भव नहीं है उसी प्रकृति को निरन्तर नष्ट किया जा रहा है। जो एक गम्भीर समस्या का रूप धारण कर चुकी है। पैसों के लोभ में मनुष्यों ने बड़े निर्मम होकर अनमोल वन्य जीवों का शिकार किया है जिससे कुछेक प्रजातियां बिल्कुल लुप्त हो चुकी है। 

वन्य जीवों के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पतियों को भी नष्ट किया जा रहा है। मनुष्य जो ये वनों को निरन्तर नष्ट करने में लगा हुआ है उसके गम्भीर परिणाम एक न एक दिन सामने आने वाले हैं। वह दिन भी दूर नहीं जब बचे हुए वन्य जीव घातक होकर शहरों और गांव में बेखौफ होकर घूमेंगे।


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