बर्बरीक खाटूश्याम की अमर कथा

बर्बरीक खाटूश्याम की अमर कथा

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अजेय वीर योद्धा जिसे हिमाचल में कमरुनाग और राजस्थान में खाटूश्याम के नाम से जाना जाता है। 


प्रत्येक मन्वन्तर में कोई न कोई ऐसा वीर योद्धा जन्म लेता है जो अपने स्वर्णिम कर्म विख्याति के कारण युगों-युगों तक याद किया जाता है । ऐसे ही एक अजेय वीर महा योद्धा बर्बरीक जिसे हिमाचल में कमरुनाग और राजस्थान में खाटूश्याम के नाम से जाना जाता है। 

पूर्व जन्म में बर्बरीक सूर्यवर्चा (रत्न ) यक्ष के नाम से यक्ष लोक के सबसे शक्तिशाली योद्धा थे। परन्तु देव सभा में अकारण एवं बल के गर्व में चूर सूर्यवर्चा यक्ष ने नारायण का उपहास उड़ाया था। जिससे ब्रह्मदेव ने सूर्यवर्चा को श्राप दिया। हे सूर्यवर्चा ! जाओ तुम दैत्यकुल में जन्म लो और जिन भगवान नारायण का तुमने परिहास किया है उन्ही के हाथों तुम्हारा वध होगा। पृथ्वी पर धर्म-अधर्म के बीच एक महाभयंकर युद्ध होगा उसी युद्ध से पूर्व भगवान नारायण के पूर्णावतार श्रीकृष्ण जी तुमसे तुम्हारा शीश दान में ले लेंगे। यही तुम्हारे मृत्यु का कारण होगा। ब्रह्मदेव के श्राप के कारण दुःखी मन से सूर्यवर्चा ने भगवान नारायण से विनय किया कि मैं दैत्यकुल में जन्म नहीं लूंगा। नारायण ने कहा हे सूर्यवर्चा ! दिया गया श्राप टल तो सकता नहीं परन्तु तुम दुःखी मत हो तुम्हारा जन्म श्रेष्ठ पांडव कुल में होगा। मैं स्वयं तुम्हारा उद्धार करूँगा। 

यही सूर्यवर्चा कालांतर में बर्बरीक के नाम से जगत प्रसिद्ध हुए। देवी हिडिम्बा से सुसंस्कार व भगवत भक्ति के सारे गुण ग्रहण किए। देवी हिडिम्बा के आदेशानुसार नवदुर्गा की उपासना की उन्ही से इन्हें तीन अक्षय दिव्य बाण प्राप्त हुए जो लक्ष्य का भेदन करके तूणीर में फिर से स्वतः आ जाते थे। बर्बरीक द्वापर युग का एक ऐसा योद्धा था जो अपने तीन बाणों के बल पर त्रिलोक्य पर भी विजय प्राप्त कर सकता था। 

हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी की पर्वत शिखर पर कमरु नाग से विभूषित यही बर्बरीक पूज्य हुए। यहां मन्दिर के साथ प्राकृतिक झील भी विद्यमान है। यह झील समुद्रतल से लगभग 9200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। झील किनारे पहाड़ी शैली में मन्दिर बनाया गया है। यहां का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है। श्रद्धालु दूर दूर से इस स्थान के दर्शन करने आते हैं। यहां पर कमरू नाग की बहुत बड़ी महिमा है। झील में असंख्य अरबों का खजाना गड़ा हुआ है। श्रद्धालु इस झील में सिक्के आभूषण इत्यादि मन्नत मनाने हेतु अर्पित करते हैं । 

राजस्थान में यही बर्बरीक खाटूश्याम के नाम से जगत पुज्य है। बर्बरीक जैसा योद्धा न हुआ है न ही होगा। जिसकी युद्ध कौशलता के देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण भी आश्चर्यचकित थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपना एक श्याम नाम बर्बरीक को दिया जिससे वह खाटूश्याम नाम से जाने जाते हैं। हारे का सहारा यही इनकी अटल प्रतिज्ञा है। बाबा खाटूश्याम सबकी मनोकामना पूर्ण करें।



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