कोकिला सरोजिनी नायडू
कोकिला सरोजिनी नायडू
भारत की वीरांगनाओं में सरोजिनी नायडू का नाम भी सवर्ण अक्षरों में अंकित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी सन 1879 में हैदराबाद शहर में हुआ था। इनके दिल मे बचपन से ही देश भक्ति की अपार शक्ति भरी हुई थी।
भारतवर्ष की कोकिला कहलाने वाली सरोजिनी नायडू जिन्होंने देश मे महिला सशक्तिकरण की ताकत को नई पहचान दिलाने के लिए महिला अधिकारियों के समर्थन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1915 समय अवधि में सरोजिनी नायडू ने पूरे देश के भ्रमण के दौरान हिंदुस्तान की आजादी की अलख प्रत्येक क्षेत्र में जाग्रत की।
इनके पिता इनको वैज्ञानिक के रूप में देखना चाहते थे परन्तु इनकी रुचि तो साहित्य के क्षेत्र में बहुत अधिक थी। 13 वर्ष की उम्र में सरोजिनी नायडू ने लगभग 1300 पदों में झील की रानी बृहद कविता लिख डाली। मात्र षोडश वर्ष की आयु में पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चली गयी।
1922 में गांधी जी से प्रभावित होकर जीवन की सादगी शैली को अपनाया और खादी वस्त्रों को अपना सर्वोपरि परिधान चुना। सरोजिनी नायडू बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। सरोजिनी नायडू अपने भाषण के दौरान हर किसी को अपने स्वर से आकर्षित कर देती थी।
सरोजिनी नायडू ने अपने जीवनकाल में हर महिला को अपने अधिकारों के लिए विशेष रूप से जाग्रत किया। 1925 में सरोजिनी नायडू को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में चुना गया। अपने जीवनकाल में देशहित के लिए कई क्रांतिकारी आन्दोलनों में बढ़चढ़ कर भाग लिया।
स्वतंत्रता के बाद सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी।
2 मार्च 1949 को गवर्नर के पद पर कार्यरत होते हुए उनका देहावसान हुआ। भारत सरकार द्वारा सरोजिनी नायडू की जयंती पर 13 फरवरी सन 1964 को उनके सम्मान में डाकविभाग के तहत 15 पैसे का डाक टिकट लागू किया था। देश के प्रति उनका महत्वपूर्ण योगदान हमेशा स्मरण में रहेगा।
