महंगे होते विद्यालय

महंगे होते विद्यालय

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एक समय था जब भारत विश्व पटल पर विश्वगुरु की उपाधि से अलंकृत था क्योंकि भारतवर्ष में ही समस्त प्रकार की गुप्त से गुप्त विद्याओं का उदय हुआ जिसका परचम समस्त विश्व में लहराता रहा। मिस्र देश में गुप्तकालीन पाण्डुलिपियाँ जो भारत से ले गयी थी आज भी एक धरोहर के रूप में आज भी मौजूद है। आज इस परिवर्तनशील समय में समस्त तरह की शिक्षा का लोप हो चुका है अर्थात उनका मूल आधार का स्वरुप डगमगा गया है।

वर्तमान समय अवधि में शिक्षा के उच्च स्तर पर तो विकास कार्य तो हो रहा है परंतु अनेक शिक्षार्थीयों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी हुआ है। कई शिक्षा संस्थानों पर बहुत से शिक्षक स्वयं बनावटी (फर्जी) डिग्रियों के जरिए विद्यार्थियों के जीवन को  गहन अंधकारमय प्रकोष्ट में ले जाने का कार्य कर रहे हैं।

वर्तमान समय में बहूविध कैरियर की शिक्षा नियोजित करने के साथ साथ कई विद्यालय शिक्षा का व्यवसाय कर रहे हैं। इस समय बदतर स्थिति को समझकर इस दिशा में एकीकृत होकर ठोस कदम उठाए और भारत देश की मूल पुरातन शिक्षा पद्धति की गरिमा जो विश्व भर में विख्यात हैं एक बेहतर शिक्षा स्तर के जरिए फिर से विश्व पटल पर भारत विश्व गुरु के नाम से अंकित हो सके।

व्यवसाय का शाब्दिक अर्थ होता है, किसी भी क्षेत्र में ऐसे कदम उठना जिससे हमारी मूलभूत सुविधाएँ जो हमारी आर्थिक स्तर की हो या समाजिक स्तर की या फिर अपनी बहुत निजी आवश्यकताओं की पूर्ति जिससे हो सके वह व्यवसाय कहलाता है। सीधे अर्थों में हम ये भी कह सकते हैं की किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ऐसा सार्वजनिक श्रम उद्योग जिससे किसी की भी जीवन अर्जित की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके अर्थात उद्योग के किसी भी उत्पाद को विक्रय करना व्यवसाय कहलाता है। आज व्यवसाय के क्षेत्र में भी बहुत व्यापक स्तर का विकास हो रहा है ।



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