Namrata Saran

Tragedy

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Namrata Saran

Tragedy

विज्ञान-विकास या विनाश

विज्ञान-विकास या विनाश

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"कौन है?" 

"पार्सल"

"ओह , आती हूँ, एक मिनट रुकना"

"यहाँ साइन कर दीजिए"

"लाओ"

"अब क्या भेज दिया" रतनलाल ने पूछा।

"भेजी होगी, कोई मशीन, देखती हूँ" विमला ने कहा।

"ये तो मसाज करने की कोई मशीन दिखती है" विमला बोली।

"और कितनी मशीनें भेजेगा अमरीका से, घर को मशीनों की दुकान बना दिया है " रतनलाल सूनी आँखों से देखते हुए बोले।

"ऐसी कोई मशीन, कोई तकनीक नहीं बनी क्या? जो बच्चों को माँ बाप की तड़प दिखा सके" विमला चश्मे के नीचे से फिसलते आँसू पोंछते हुए बोली।

"विज्ञान ने ज्ञान को विलुप्त कर दिया, आधुनिक तकनीक ने मानवीय संवेदनाओं को ही सुप्त कर दिया" बलदेव सिंह लंबी साँस भरते हुए बोले।

तभी फोन की घंटी बजी। बेटे का फोन था।

"हेलो..अरे बेटा.. ये तू.?.."बलदेव सिंह ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था कि विमला ने होंठों पर उँगली रख कर चुप रहने का इशारा किया। बलदेव सिंह ने बेटे से औपचारिक बातें करके फोन रख दिया।

"रोती भी हो, और बताने भी नहीं देतीं" बलदेव सिंह विमला को देखते हुए बोले।

"माँ हूँ न, बच्चे को कैसे दुख पहुँचा सकती हूँ" विमला ने आँखों से आँसुओं को धकेलते हुए कहा।

बलदेव सिंह ने विमला को टिश्यू पेपर देते हुए कहा-

"लो, ये जो आँसुओं का सैलाब बेकाबू हो रहा है, उसे पोंछने का गेजेट।"



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