हर हर महादेव
हर हर महादेव
"वाह गौरी, आज तो दमक रही है तू,, क्या बात है?" कामवाली गौरी से सुमन ने पूछा, गौरी अभी अभी गौना होकर, शंभू के साथ ब्याही थी, नवयौवना,उसपर विवाह की रंगत, सलोनी सी,फीकी सी सूती साड़ी में भी बला की खूबसूरत दिखती थी, आज कुछ ज़्यादा ही सुंदर लग रही थी सो सुमन ने पूछा ही लिया।
"वो दीदी,, कल महाशिवरात्रि है ना, तो हम टेकरी के मंदिर जाएंगे,दरसन करने को, पहली बार विनके साथ घूमने जाना है न, इसलिए ..." गौरी बोलते हुए शर्म से लाल हो गई।
"अच्छा, तो ये बात है, वाह बढ़िया है, शंभू और गौरी नहीं जाएंगे तो भई फिर कौन जाएगा, आखिर तुम्हारी ही तो पूजा होनी है, मंदिर में" सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अरे दीदी, आप भी न" गौरी शरमा कर दोहरी हुई जा रही थी।
"रुक ज़रा, मैं एक मिनट में आई" कहकर सुमन किचन से बाहर निकल गई।
"ये ले, तेरी पहली शिवरात्रि पर मेरी तरफ से तोहफा" सुमन ने एक पैकेट देते हुए कहा।
"अरे दीदी, इतना सारा सामान, साड़ी, सिंगार, चूड़ियां, मंगलसूत्र और पायल भी... दीदी इतना सबकुछ मेरे लिए" गौरी ने फटी आंखों से देखते हुए पूछा।
"बिल्कुल तुम्हारे लिए, गौरी, तुझे तेरे नाम का अर्थ पता है क्या, गौरी मतलब माता पार्वती, और कल तो महाशिवरात्रि है, शिवपार्वती के विवाह की वेला, तो फिर गौरी को सोलह श्रृंगार करना ही चाहिए न" सुमन ने गौरी को प्यार से देखते हुए कहा। गौरी, सुमन की बातों का ठीक ठीक अर्थ तो समझ नहीं सकी, लेकिन सामान पाकर खुशी से झूम उठी।
"आशुतोष, मैंने ठीक किया न, नवविवाहिता के मन में कितने अरमान होते हैं, यह मुझसे ज़्यादा कौन समझ सकता है, जिसका पति शादी के सातवें दिन ही अपने देश के प्रति फ़र्ज़ निभाने सीमा पर चला गया और .,...मुझे यकीन है कि तुम जल्दी ही आओगे, ये आर्मी वालों की लिस्ट पर मुझे विश्वास नहीं है, मुझे भोलेनाथ पर पूरा विश्वास है कि तुम जीवित हो,वैसे संसार की रक्षा के लिए किसी को विषपान करना ही होगा, ताकि दुनिया को अमृत मिल सके, मेरा तप भी फलेगा और मेरा अमृत मुझे मिलेगा" पति आशुतोष की तस्वीर के सामने खड़ी सुमन की आंखों से गंगधार बह निकली। तभी मोबाइल बजा।
"हेलो, मिसेज अस्थाना, हियर इज़ अ गुड न्यूज, लेफ्टिनेंट आशुतोष इज़ अलाइव" सुनते ही सुमन के हाथ से फोन छूट गया, आंखों से गंगधार तेज़ हो गई,आकाश में महादेव की बारात सजने लगी, चहुंओर नाद बजने उठे, स्वर गूंज उठे -"हर हर महादेव"
