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Nalini Mishra dwivedi

Classics

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Nalini Mishra dwivedi

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विद्यालय का पहला दिन

विद्यालय का पहला दिन

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मेंरे पापा का तबादला दूसरे शहर मेंं हुआ था। तब मैं नवीं क्लास मेंं पढता था।

नयाी जगह नया स्कूल था। आज भी याद है कि स्कूल का पहला दिन था। मैं पहले ही क्लास में पहुँच गया था तो मैंने अपना बैग पहली सीट पर रख दिया और जब थोड़ी देर में आया तो बैग मेरा सीट के नीचे था।

उन तीन लड़कों से मेरी बहस हुई। गुस्से में मैंने हाथ उठाना चाहा तब किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया पलट कर देखा तो, उसने बोला, छोड़ो यार चलो तुम मेरे पास बैठो।

उसने मेरा बैग लेकर अपने सीट पर रख दिया। मेरा नाम रोहन है, पता है मैंने तुम्हें मारने से क्यो रोका, वो चाहते थे कि तुम हाथ उठाओ ताकि सर से तुम्हारी शिकायत कर सके। नये आये लड़कों को परेशान करने में इन्हें मजा आता है और एक बार शिकायत प्रींसिपल तक पहुँच जाती तो एडमिशन मुश्किल हो जायेगा।तुम्हें पता है ना इसमें पांच दिन के क्लास के बाद एडमिशन होता है। उस दिन से रोहन मेरा अच्छा दोस्त बन गया और आज भी है।


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