STORYMIRROR

yashoda nishad

Horror Romance Crime

3  

yashoda nishad

Horror Romance Crime

विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...!

विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...!

3 mins
191

कहानी में अब तक आपने पढ़ा अरुंधति धीमे कदमों के साथ रेलवे फाटक की और बढ़ने लगती है जैसे ही उस पार जानें को हुई के तभी दूर से आती ट्रेन की आवाज़ सुनाई दी और धीरे धीरे ट्रेन की आवाज़ तेज़ होने लगी और देखते ही देखते ट्रेन तेज़ गति से उसकी ओर बढ़ने लगी अब आगे


जैसे ही अरुंधति पटरी को पार करती के किसी अजनबी ने पीछे से हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया और अरुंधति की आंख खुल गई और एकदम से उठ के बैठ गई माथे से पसीना टपकने लगा था, साँस जैसे ऊपर नीचे होने लगी थीं की तभी देखती है की सुबह के पांच बज रहे थे और अगला स्टेशन मिर्ज़ा पुर जांगशन ही था, वो उतरने की तैयारी करने लगीं! 


कुछ देर बाद ट्रेन स्टेशन मिर्ज़ा पुर जांगशन आ के रुकी और अरुंधति ट्रेन से उतरती है तो सामने धार्विक जी खड़े थे, अरुंधति जैसे ही अपने पापा को देखती है, तो तुरंत अपने पापा के गले से लग जाती है! कुछ देर बाद दोनों पैदल ही अपने घर को चल देते है! कुछ दूर चलते चलते आखिरकार घर पहुंच जाते है, और जाते ही अरुंधति पहले अपनी माँ से मिलती है और निगाहें इधर उधर दौड़ाती है तो…,सुहानी अभी घर में नहीं है वो स्कूल गई हुई! ऐसा वैजयंती जी मुस्कुराते हुए ही कहती है, अरुंधति बोलती है ठीक है माँ हम अपने कमरे में जा रहे है फ्रेश होने के लिए!


कुछ देर बाद नाश्ता वगैरह करती है, वैजयंती जी पूछती है पढ़ाई कैसी चल रही है अरुंधति बोली सब ठीक चल रहा है मम्मी अभी कॉलेज की छुट्टियां चल रही है और हॉस्टल में कोई है नहीं हमारे साथ की सभी लड़कियां अपने अपने घर गई है! हमने सोचा हम वहां अकेले क्या करेंगे इसलिए हम भी चले आए! धार्विक जी ने कहां अच्छा किया की तुम घर चली आई हम सारा दिन घर से बाहर ही रहते है अब तुम आ गई हो तो अपनी मम्मी और अपनी बहन का ख्याल रखना! 


वैजयंती जी बोली हम्म इतनी दूर से वो हमारा ख्याल रखने के लिए ही तो आई है, वैजयंती जी को अरुंधति थोड़ी परेशान सी दिखी वैजयंती जी ने पूछा क्या हुआ है आरू तुम कुछ परेशान सी देख रही हो अरुंधति झूठ बोल देती है कहती है कुछ नहीं माँ हम थोड़ा थक गए है हम अपने कमरे में जा रहे है!


इतना बोल कमरे में जाके लेट जाती है जागते जागते ही जाने कब फिर से उसकी आँख लग जाती है, चांद की रोशनी से रात जगमगा रही है, और हवाओं संग उड़ती भीनी भीनी सी खुशबू से पूरा वातावरण महक रहा है, और उस खुशबू संग आरू भी खोती चली जा रही है और उस खुशबू के पीछे पीछे चल पड़ती है!


चलते चलते उसी अनोखे वृक्ष के पास पहुंच जाती है और बड़े ही गौर से उस वृक्ष को देखने लगती है उस वृक्ष के पीछे से ही फिर से वहीं एक जोड़ी आँखें देख रही थी, अरुंधति को जैसे ही एहसास होता है की कोई उसे देख रहा है पेड़ के पीछे से तो वो उस वृक्ष के इर्द गिर्द घूम के देखती है तो कोई नहीं होता है वहाँ पर उस वृक्ष से आती खुशबू से जैसे सम्मोहित सी हुई जा रही थी!


अरुंधति धीरे धीरे उस पेड़ के और करीब जाके अपने बांहों में उसे भर लेती है, के तभी दो तीन लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए आते है और अरुंधति को उस पेड़ से अलग करने लगते है, और दूसरा आदमी अपने साथ वाले से कहता है चले जल्दी से काट इस वृक्ष को जैसे ही उस पेड़.... 


शेष…

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror