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yashoda nishad

Romance

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yashoda nishad

Romance

इतज़ार

इतज़ार

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तेरे ही इंतज़ार में कटती मेरी सुबह शाम है,,,,, 

तू ही मेरी ज़िन्दगी तू ही मेरी पहचान है,,,,, 

नहीं जानती तू कैसा दिखता होगा,,,,, 

क्या तू कभी मुझसे रु ब रु होगा,,,,, 


अगर कभी तूने मुझे देखा है तो बीच,,,,, 

राहों में अगर कभी मैं दिखी तो एक,,,,, 

बार गले लगाकर, पहचान लेना,,,,, 

और कह देना हाँ तुम वही हो, जिसके,,,,, 

इंतज़ार में कटती मेरी सुबह शाम है,,,,,, 


जिसके लिए कभी थी जिन्दगी खास,,,,, 

आज जो बनी आम है, हाँ तुम वही हो,,,,, 

हाँ तुम वही हो,,,,, 



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