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yashoda nishad

Romance

4  

yashoda nishad

Romance

तुम पर ये हार गए....

तुम पर ये हार गए....

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आर्य अपनी खिड़की पर बेटी बाहर बारिश को होते देख रही थी कुछ बच्चे बारिश के पानी में नहा रहे थे तो वही कुछ लोग अपने आपको बारिश से बचाने के लिए यहाँ वहाँ भाग रहे थे,


आर्य अपनी खिड़की के पास बैठी बाहर के ये सारे नज़रे देख रही थी।और कुछ सोचकर वो मंद मंद मुस्कुराएं जा रही थी,की जब पहली बार वो दिल्ली शहर में नई नई आई थी तब भी सावन का पहला दिन था और ऐसे ही झमा झाम बारिश हो रही थी। 


आर्य अभी ये सब सोची रही थी कि तभी उसके दरवाजे की घण्टी बाजी आर्य ने टाइम देखा तो शाम के 6:30 बज रहे थे, उसने सोचा इस वक्त कौन आ गया,वो अपने कमरे से बाहर निकल कर दरवाजा खोलती है तो देखती हैं,सामने उसकी बेस्ट फ्रेंड युक्ति खड़ी कब से उसकी दरवाजे की वेल बजाए जा रही थी। 


जैसे ही दरवाजा खुलता है कि उसको धक्का देती हुई, युक्ति अन्दर आती हैं, और बोलती है,"कहाँ थी। तू मैं कब से तुझे फोन कर रही हूँ।तू फोन क्यू नही उठा रही?"


आर्य कहती हैं,"हमे फोन क्यू कर रही हो और तुम इतनी घबराई हुई क्यू लग रही हो कुछ हुआ हैं,क्या?"

युक्ति बोलती है, "कुछ नही बहुत कुछ हुआ हैं,मैडम लेकिन तुम्हें कैसे पता होगा, क्योंकि तुम तो रोज कॉलेज आती नही और जब कोई फोन करे तो उसका अंसार भी नही देती तो पता कैसे चलेगा आपको।"


आर्य पूछती हैं, "क्या हुआ हैं, कुछ साफ साफ बताओगी।"

तो युक्ति अटकते अटकते बताती हैं,वो..."वो अंशुमन तुम्हें ढूंढ रहा था, शायद उसे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है!"


आर्य "अब उसे हमसे क्या बात करनी ह?"

युक्ति "हमे नही पता लेकिन वो बहुत गुस्से में था उसे देखकर ऐसा लग रहा है,जैसे तुम नही मिली तो पता नही क्या कर बैठेगा,तुमने कुछ किया है क्या उसके साथ,तभी आर्य बोलती है,तुम पागल हो क्या हम उस अंशुमन के साथ क्या करेंगे।"


"वो तो खुदी हमारे पीछे पड़ा हुआ हैं,हम क्यों बे वजह किसी से पंगे लियेंगे।" 


युक्ति "वो हम इसलिए पूछ रहे हैं,क्योंकि उसने पूरे कॉलेज के स्टुडन के सामने हमे धमकी दे के गया है।अगर कल तक तुम कॉलेज में हाजिर नही हुई ना तो तुम जहाँ कही भी हो वो तुम्हे वहाँ से उठवा लेगा। और साथ में हमें भी क्योंकि हमने उससे झूठ जो बोला और ये सब हुआ तुम्हारी वजह से"


आर्य,,,, "तो क्या हमने बोला था कि तुम उससे ऐसा झूठ बोलो!" 

युक्ति,,,, "नहीं पर हमने ये सब सिर्फ इसलिए किया ताकि उससे तुम्हारा पीछा छुट जाए।" 


आर्य,,,, "अच्छा ठीक है, हम देखते हैं, और उसकी हिम्मत कैसे हुई हमें पूरे कॉलेज के सामने उठबने की धमकी देने की उसे तो अब हम बताते हैं, नही आयेंगे, हम कॉलेज देखते हैं।क्या कर लेता है वो!_


तभी युक्ति कहती हैं "यार मान जा ना तुझे सिर्फ कॉलेज में हाजिर होकर बस अपनी शकल ही तो दिखानी हैं, वैसे भी वो हम सबका सीनियर हैं, और तुझे पता है उसके पापा उस कॉलेज के ट्रस्टी हैं, ये पूरा कॉलेज उसके इशारे पर नाचता हैं, फिर क्यू तू मुसीबत मोड़ ले रही है।"


आर्य,,,, "हाँ मुझे पता है, वो क्या है और क्या कर सकता है?"


यक्ति,,,, "जब पता है तो ऐसा क्यू कर रही हैं, और एक बात मुझे समझ में नही आ रही, तू उसको सबक सीखाना चाहती हैं, और वो तुझे ये तुम दोनों का चक्कर क्या है। तुम दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हो क्या जो जब देखो तब बस एक दूसरे को सबक ही सिखाते रहते हो।"


आर्य,,,, "लम्बी कहानी है किसी ओर दिन बतायेंगे, अभी तो तुम ये जान लो की हम उससे बहुत नफ़रत करते हैं। "


शेष अगले भाग में,,,, 



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