वाह-वाही
वाह-वाही
स्कूल की जैसे छुट्टी हुई सब बच्चे नीचे भागे, मैं भी उनके पीछे भागी कहीं कुछ हो गया तो सब टीचर को ही पहले सुनाते हैं। छुट्टी के बाद प्रिंसीपल के केबिन में मीटिंग थी कि" दीवाली "कैसे मनाना है।
सब टीचर्स अपनी अपनी राय दे रहे थे , हम सब ने मिलकर पहले ही सोच लिया था कि जितना हो सके प्रिंसिपल को बहुत सरल सजावट ही बताये जाए नही हो हमे बहुत ओवर टाइम करके चीज़े बनानी पड़ेगी , और दीवाली के कारण हर किसी के घर मे बहुत काम था। हमारी स्कूल में नियम है कि सब त्यौहारो में सजावट सब टीचर्स मिल के ही करेगी चाहे उसके लिए उन्हें ओवर टाइम क्यो ना करना पड़े।
सब अपने अपने मोबाइल से फ़ोटो दिखा रहे थे कि डेकोरेशन कैसे करना है, और मेरी एक आदत बहुत ही खराब है कि मुझे वाह वाही का बहुत शौक है तो मैंने उन टीचर्स की बात को अनसुना कर के मस्त मस्त बहुत ही कठिन डेकोरेशन की फोटोज प्रिंसिपल को दिखाई और कमाल की बात की उन्हें वो डेकोरेशन पसंद आ गया। और उन्होंने सब के सामने मेरी बहुत तारीफ की और कल से सब चीज़ें बनानी शुरू करने का आदेश भी सुना दिया।
सब टीचर्स बाहर आये किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा, सब आपने अपने घर चले गए, दूसरे दिन स्कूल की छुट्टी के बाद प्रिंसिपल के ऑफिस में 3 टीचर्स ने एक्स्ट्रा टाइम रुक के काम करने के लिए मना कर दिया।
बाकी सब ने कुछ देर काम किया फिर एक एक टीचर कुछ न कुछ बहाना बना के घर चले गयी और मुझे सब निपटा कर जाने को बोल गए। उस दिन मुझे 6 बज गए घर जाने में। फिर हर दिन कुछ न कुछ बहाना बना के सब जाने लगे और मुझे कह गए मैडम आप घर मे फ्री रहती हो ना तो कुछ काम घर भी ले जाये।
हम तो बहुत बिजी रहते हैं हमसे तो ना हो पायेगा और वैसे भी आइडिया तो आपका ही था ना, तो आप देखिए कैसे इसे टाइम में पूरा करना है।
मेरी तो हालात खराब, अब कैसे करूँगी इतना सारा काम वो भी 5 दिन में। अब मुझे समझ आ रहा था कि मैंने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है थोड़ी सी वाह वाही के चक्कर में।