मेरी माँ
मेरी माँ
प्रणाम माँ,
कैसी हो, आपकी और पापा की तबीयत कैसी है ? दवाई सब समय से खाती हो ना ? बहुत दिन हो गए आप से बात नही हुई, बहुत दिनों से सोच रही थी कि आप को खत लिखूँ, पर समय ही नही मिल पा रहा था,आप तो जानती हो इस घर मे मेरे बिना कुछ काम नहीं होता, सब मुझे ही करना पड़ता है।
बहुत बार सोचती हूं कि सब छोड़ के एस्प के पास आ जाऊ और जैसे बचपन में आप की गोद मे घंटो सर रख के लेटे रहू, बिना किसी बात की चिंता किये, ना सुबह जल्दी उठने की चिंता,ना किसी के लिए टिफिन बनाने की चिंता, ना काम की चिंता।
इस भाई दूज घर आने की सोच रही थी बहुत साल हो गए मैंने भाई दूज नही मनाया अपने भाई के साथ, पर इस बार भी मेरी ननद आ गई । तो उसे छोड़ के कैसे आती, बहुत मिस करती हूं आप सब को, पर मिल नहीं पाती।
आपके दिए संस्कार के कारण ही आज आज यहाँ सब की लाड़ली हूँ, सब बहुत प्यार करते हैं पर आप जैसा नहीं, आपके जैसा प्यार, लगाव किसी में भी नहीं है। आप की डांट, गुस्सा बहुत मिस करती हूं, सोचती हूं काश फिर से बचपन वापस आ जाये।
मैं फिर से आप के साथ राह सकूँ। बहुत कुछ कहना होता है, बहुत कुछ बताना होता है आपको पर कही आप उदास ना हो जाओ सुन के इसीलिए नहीं बताती। चलो मिल के बात करते हैं बहुत बातें करनी है आप से, अभी बहुत काम बचा है तो मुझे जाना होगा, वादा करती हूं बहुत ही जल्दी घर आऊंगी। मिस यू माँ, लव यू। अपना और पापा दोनों का ध्यान रखना।
आपकी प्यारी बेटी,
अंकु