प्यार या एक भूल ।

प्यार या एक भूल ।

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दिशा चलो, कॉलेज के लिए लेट हो जाएगा, क्या आज पहले दिन ही तुम्हे लेट पहुँचना है,दिशा के पापा ने पूछा, "नहीं पापा, बस आई, आप जब तक कार निकालिये, दिशा ने कहा। उसके पापा ने कार निकाली और वो दौड़ती हुई कार में जा बैठी, कार सरपट दौड़ती हुई जल्द ही कॉलेज बहुत गई, दिशा ने पापा को बाय कहा और दौड़ती हुई कॉलेज कैंपस में दाखिल हुई, और ये क्या दौड़ती हुई वो एक लड़के से जा टकराई और दोनोंं गिर गए,

दिशा हड़बड़ाती हुई खड़ी हुई और उस लड़के को सॉरी बोल अपनी क्लास की तरफ भागी, पहला दिन था तो उसे पता भी नहीं था कि उसकी क्लास कहाँ है, क्लास ढूंढते ढूंढते वो आपकी क्लास पहुँची तो पहले दिन ही लेट आने के कारण टीचर से उसे डांट सुनने मिली। किसी तरह क्लास पूरी करके वो बाहर निकली तो फिर उसी लड़के से टकरा गई, टीचर की डांट सुनने के बाद तो उसका मूड ऑफ हो गया था,

तो जैसे ही वो उस लड़के से टकराई उसने उसे जोर से डाँटा, "तुम्हें दिखाई नहीं देता क्या ? लड़के ने जवाब दिया,"माफ कीजिएगा पर दोनोंं बार आप ही मुझसे आ कर टकराई है ना कि मैं, इतना कह कर वो चला गया।

उसके जाने के बाद दिशा को अपनी गलती का एहसास हुआ, पर अब क्या ? वो तो जा चुका था, दिशा ने सोचा कोई नहीं मैं कल उससे माफी मांग लुंगी।और इतना सोच के वो भी घर के लिए निकल ली।

घर जा कर माँ पापा ने उससे उसके पहले दिन का हाल चाल पूछा, उसने सब बता दिया सिवाय उस लड़के के बारे में, पापा ने कहा,"कोई ना कल जल्दी चले जाना। सुबह दिशा जल्दी ही तैयार हो गई,और जल्द ही कॉलेज पहुँच गई, कॉलेज जा कर वी उस लड़के को ढूंढने लगी, कुछ देर की मशकत के बाद उसे वो लड़का दिखाई दिया, वो उसके पास गई,"उसे देख के लड़के बोला," क्या हुआ ? कल की कुछ कसर बाकी रह गई क्या ? दिशा ने ना में सिर हिला दिया,और कहा,"मैं आप से कल के लिए माफी मांगने आई हूं, गलती मेरी थी और मैंने ख़ामख़ा आप को डांट दिया मुझे माफ़ कर दीजिए। उस लड़के ने कहा," इट्स ओके, इतना सब तो कॉलेज में चलता ही है, वैसे मेरा नाम ऋषभ है, मैं सेकण्ड ईयर में पढ़ता हूं, दिशा ने भी अपना नाम और क्लास उसे बताया,

फिर वो क्लास के लिए चले गए। फिर रोज़ दोनों की मुलाकात कॉलेज में होने लगी, बातें तो नहीं होती थी हाँ आँखों से इशारे और ओंठो से मुस्कान जरूर आदान प्रदान होती थी, कुछ दिनों के बाद कॉलेज का एनुअल डे की तैयारी शुरू हुई, ऋषभ और दिशा दोनों ने ही कई तरह के कॉम्पिटिशन में भाग लिया था, उस समय से दोनोंं के बातों का सिलसिला शुरू हुआ, जो घंटो तक चलने लगा, कॉलेज से शुरू बात चीत कब फ़ोन तक पहुँच गई दोनों को पता ही नहीं चला, दिशा घंटो फ़ोन में ऋषभ से बातें करती, उसे उससे बात करना बहुत अच्छा लगता था वो धीरे धीरे उसे पसंद करने लगी थी। यूँ ही दिन बीतते गए एक दिन ऋषभ ने दिशा के सामने अपने प्यार का इजहार किया, दिशा तो पहले से ही उसे पसंद करती थी, उसने बिना देर किए उसके प्यार को अपना लिया। और दोनोंं का प्यार परवान चढ़ने लगा, दोनों अब कॉलेज के बाहर भी मिलने लगे, कभी कॉफी हाउस तो कभी गार्डन, दोनों अब रोज़ कॉलेज के बाहर मिलने लगे।

एक दिन ऋषभ ने दिशा को फ़ोन कर कहा की उसके पेरेंट्स घर मे नहीं है तो दिशा उसके घर आ जाये, दिशा भी बिना सोचे समझे उसके घर पहुँच जाती है, कुछ डेट इधर उधर की बात करके ऋषभ उससे एक किस की मांग करता था जिसे दिशा सहज ही मान लेती है, उसके बाद वो उसे गलत तरीके से छूता है दिशा को ये सब अच्छा नहीं लगता वो उसे मना करती है, ऋषभ को ये सब अच्छा नहीं लगता और वो दिशा से जबरदस्ती करता है, दिशा जैसे तैसे खुद को बचाती है और एक जोर दार थप्पड़ उसे दे मारती है और ऋषभ के घर से भाग जाती है, दो दिन तक दिशा कॉलेज नहीं जाती है, और सोचती है कि उसने ऋषभ को थप्पड़ मार के बहुत गलत किया, वो उसे समझा लेगी और कॉलेज में उससे माफी मांग लेगी।

दूसरे दिन कॉलेज में दिशा ऋषभ को ढूंढती हुई कैंटीन में पहुँचती है, जैसे ही ऋषभ उसे देखता है वो अपना मुँह फेर लेता है, दिशा उसके पास जाती है और कहती है," ऋषभ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, ऋषभ साफ मना कर देता है कि,"अभी में बिजी हु बाद में आना, और वहाँ से चले जाता है। ऐसे ही कुछ दिन बीतते है एक दिन दिशा जोर दे कर ऋषभ को बात करने के लिए साइड बुलाती है, और पूछती है, " क्या हुआ है तुम्हे, तुम मुझसे बात क्यो नहीं कर रहे क्या हमारा प्यार इतना कमजोर था कि इतनी सी बात से ही टूट गया ? मैं माफी चाहती हु उस दिन के लिए, प्लीज मुझे माफ़ कर दो।

ऋषभ कहता है," तुम्हें ये सब थप्पड़ मारने के पहले सोचना था, अरे क्या मांगा था मैंने एक बार बस तुम्हारे साथ सोना ही तो चाहता था इसमें कौन सी बड़ी बात थी, तुम मिडल क्लास की लड़कियां ऐसी ही होती हो, मुझे तो बहुत पहले ही अपने दोस्तों की बात मान लेनी चाहिए थी कि तुम मेरे लायक ही नहीं हो, अब हमारे बीच कुछ नहीं है मैं तुम्हे जानता तक नहीं समझी, अब चुपचाप यहाँ से खिसको और हां आइंदा मेरे पीछे मत आना, चलो अब अपना रास्ता नापो। इतना कह कर ऋषभ वहाँ से चले गया। दिशा कक काटो तो खून नहीं वाली हालात हो गई थी,

उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि ऋषभ ऐसा निकले गा, वो तो उससे सच्चा प्यार करती थी, शादी भी उसी से करना चाहती थी लेकिन ये क्या ऋषभ ने ही उसके सारे सपने चकनाचूर कर दिए, उसका पहला प्यार अधूरा रह गया, वो समझ ही नहीं पा रही थी कि उससे गलती कहाँ हुई, और ये कैसा प्यार है तो इतनी सी वजह से टूट गया, क्या कहे इस प्यार की दिशा अब, क्या ये प्यार था या एक भूल।


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