STORYMIRROR

Ankita Ingle

Inspirational

3  

Ankita Ingle

Inspirational

रिवाज़ : प्रथा या मजबूरी

रिवाज़ : प्रथा या मजबूरी

5 mins
276

मिस्टर और मिसेस शर्मा आज बहुत खुश थे, आज उनकी एकलौती बेटी त्रिशा की शादी जो थी, पढ़ी लिखी त्रिशा, दिखने में भी बहुत ही सुंदर थी। अभिषेक के परिवार ने त्रिशा की सुंदरता पे रीझ के उसे पसंद किया था। अभिषेक को भी त्रिशा की सादगी ने लुभाया था और त्रिशा को भी अभिषेक का सभ्य स्वभाव पसंद आया था, अभिषेक बिल्कुल त्रिशा के लायक था, रईस खानदान, मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब , स्वभाव भी बिल्कुल नम्र, उसे देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वो इतने बड़े परिवार से ताल्लुक रखता है, उसमें बिल्कुल भी घमंड नहीं था, बहुत ही सभ्य लड़का था।


शर्मा जी ने अपनी हैसियत से बढ़ कर शादी में खर्च किया, उनकी जितनी जमा पूंजी थी सब उन्होंने अपनी एकलौती बेटी की शादी में खर्च कर दिया, उनकी पत्नी ने उन्हें समझाया भी की इतना खर्च मत करो कुछ अपने लिए भी बचा के रखो, पर शर्माजी नहीं माने वो अपनी बेटी की शादी बहुत ही धूमधाम से करना चाहते थे और फिर उनकी बेटी को इतना अच्छा लड़का मिल रहा था तो वो उसकी हैसियत को देख के शादी का सब इंतज़ाम करना चाहते थे। ताकि बाद में उनकी बेटी को कुछ सुनना ना पड़े। सब कुछ बहुत ही अच्छे से हों गया, त्रिशा भी अपने घर चले गई थी शर्माजी की चौखट को सुना कर के। त्रिशा का अपने घर में बहुत ही अच्छे से स्वागत हुआ, दूसरे दिन जब सब ने त्रिशा के पापा द्वारा दिये गए तोहफे देखे तो सब का मुंह उतर गया, त्रिशा की सास ने तुरंत कहा , "बहु , तुम्हारे पापा को इतनी भी समझ नहीं है कि तोहफे हैसियत देख के दिये जाते है, ऐसे तोहफे तो हम अपने घर में काम करने वालो को भी नहीं देते , और कितने हल्के गहने दिए है तुम्हारे पापा न, कुछ हमारे घर के लायक ही देते। त्रिशा को बहुत बुरा लगा, उसके पापा ने अपनी सारी जमा पूंजी खर्च कर दी और इन लोगो को तोहफे पसंद नहीं आये, बिचारे मेरे पापा दिन भर धूप में घूम घूम कर सब के लिए तोहफे लाये और ये लोग है कि इन्हें कुछ कद्र ही नहीं है, उस समय त्रिशा कुछ नहीं बोली पर अंदर ही अंदर उसे बहुत खराब लगा। शायद ये बात अभिषेक ने भाप ली थी वो तुरंत बोला ", माँ तोहफों की कीमत नहीं देने वाले का प्यार देखा जाता है। उस समय अभिषेक की माँ बिना कुछ बोले मुँह बना के चली गयी, त्रिशा को कुछ अच्छा लगा कि चलो अभिषेक के रहते उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है , वो बस उसे देख के मुस्कुरा दी।

उस दिन के बाद से कुछ न कुछ रिवाज़ के तौर पर त्रिशा की सास शर्माजी से कुछ न कुछ मांगती ही रहती थी, त्रिशा ये सब कुछ बहुत दिनों से देख रही थी, और उसने इस बारे में शर्माजी से बात भी की लेकिन शर्माजी नहीं माने उनका कहना था कि जो रिवाज है उसे तो मानना ही पड़ेगा। पर त्रिशा जानती थी कि ये सब रिवाज़ के नाम पर लूट है उसके बिचारे माँ पापा इतना सब कहा से देते रहेंगे, अभी ही तो शादी में इतना खर्च किया है। उसने इस बारे में अभिषेक से बात की, तो अभिषेक ने भी इसे गलत बताया और सुबह माँ से बात करने का वादा किया। सुबह नाश्ते के टाइम अभिषेक ने अपनी माँ से पूछा, " माँ ,कुछ त्यौहार आ रहा है क्या ? जिसमें त्रिशा के घर से कुछ सामान आने वाला है। अभिषेक की माँ चिढ़ गई और कहा, " क्यो तुझे शर्माजी ने चुगली की क्या ? अभिषेक ने कहा ," नहीं माँ उन्होंने कुछ नहीं कहा," असल में मेरी कल उनसे बात हो रही थी तो वो यहाँ आने का कह रहे थे कुछ रिवाज़ निभाने तो इसीलिए मैंने पूछा।

माँ बोली , " हाँ शादी के बाद उनकी बेटी का पहला तीज़ है तो हमारे यहाँ सब कुछ बहु के मायके से ही आता है, घर के सब सदस्य के लिए भी उपहार आते है और सोने के गहने भी आते है तो बस वही देने आते होंगे। इसपर त्रिशा का सब्र जवाब दे गया, "बस कीजिए मम्मीजी, माफ़ कीजिएगा, आप को जवाब दे रही हूँ, पर आपको थोड़ी सी भी दया नहीं आती आखिर अब तक आप जैसे लोग रिवाज़ के नाम पे दहेज लेते रहेंगे, आखिर कब तक एक बाप अपनी बेटी की ज़िंदगी बचाने के लिए अपना सब कुछ देते रहेगा, आखिर कब तक एक बाप अपना सब कुछ गिरवी रख के अपनी बेटी के ससुराल वालों की मांगें पूरी करता रहेगा। कब तक मम्मी जी बोलिये , ये रिवाज़ नहीं एक मजबूरी है, जिसे हर हाल में एक पिता को पूरा करना होता है, शायद इसीलिए बेटियों को समाज बोझ मानता है, क्योंकि उनकी शादी के बाद एक बाप मुक्त नहीं बल्कि रिवाज़ नाम की दलदल में धंसता जाता है। वो अपना सब कुछ दे भी देगा फिर भी ससुराल वालों का पेट नहीं भरता, उन्हें कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है , हर एक बेटी का बाप इस रिवाज़ नाम की बलि चढ़ता है लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगी, मैं अपने पापा को इस रिवाज़ नाम की बलि नहीं चढ़ने दूंगी," इतना कह कर त्रिशा अपने रूम में भागी, अपने पापा को फ़ोन करने और उन्हें इस रिवाज़ नामक बलि, मजबूरी से बचाने। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational