बचपन ना छीनो

बचपन ना छीनो

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मनन, बहुत ही शैतान और चुलबुला बच्चा था, अपनी शैतानियों से वो सभी का दिल जीत लेता था, उसी की वजह से घर मे हमेशा रौनक रहती थी, उसे ड्राइंग करना बहुत पसंद था, वो गाना बहुत अच्छा गाता था, दुरो की मदद करने में भी वो हमेशा आगे रहता था। मनन चौथी कक्षा में पढ़ता था, वैसे तो वो पढ़ाई में अच्छा ही था पर उसका मन खेल कूद में ज्यादा लगता था, उसे खेलना बहुत पसंद था।

वो स्कूल से आकर घंटो खेलता था,और इसी बात से उसकी माँ राधा बहुत परेशान रहती थी, क्योकि उसके साथ के सभी बच्चो के नंबर मनन से अच्छे ही होते थे। राधा हमेशा सोचती की कैसे वो मनन का मन पढ़ाई की तरफ करे ताकि वो भी अच्छे नंबर ला सके, और सोसाइटी में उसका भी नाम रोशन हो जाये। इसी वजह से कुछ दिनों से राधा ने मनन का खेलना कम कर दिया था, वो उसे ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ने के लिए बिठाती थी, बिचारा मनन चुप चाप अपनी माँ की बात मानता जा रहा था। कुछ ही दिनों में उसके पेपर शुरू होने वाले थे, तो राधा ने पढ़ाई का समय और बढ़ा दिया था।

एक दिन स्कूल के बाद जैसे मनन आया राधा ने उससे कुछ पूछा लेकिन मनन ने जवाब नहीं दिया और वो सीधा अपने कमरे में चला गया तब राधा सोच में पड़ गई, कि इसे क्या हुआ ? कुछ दिनों से देख रही हूं इसका किसी काम मे मन नहीं लगता, खाना भी ठीक से नहीं खाता, और दिन भर बड़ बड़ करने वाला मेरा बच्चा बिल्कुल शांत हो गया है, आज इस बात का पता लगा के ही दम लुंगी, अभी उसके रूम में जा कर उसी से पूछती हूँ की माजरा क्या है ?

जैसे ही राधा उसके रूम में जाती है मनन खिड़की के पास बैठा हुआ मिलता है, और ये क्या उसने स्कूल ड्रेस भी बदली नहीं थी। "राधा ने कहा," मनन, तो वो तुरंत डर के कहता है "बस माँ मैं तुरंत ही पढ़ने बैठ रहा हु। राधा उसे देख के डर जाती है राधा कहती है " अरे नहीं, मैं तो बस यूं ही तुमसे बात करने आई थी आज नो पढ़ाई, इधर आओ अपनी माँ के पास,मनन राधा के पास आ कर बैठ जाता है "राधा कहना शुरू करती है " मनन क्या हुआ मैं कुछ दिनों से देख रही हु तुम्हे, बिल्कुल किसी चीज़ का ध्यान नहीं होता हैं, ना ही तुम पहले की तरह मस्ती करते हो, ना ठीक से खाना खाते हो, कुछ बात है अगर तो मुझे बताओ बेटा। मनन कहता हैं " कुछ नहीं माँ, कुछ भी तो नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही राधा जोर देकर पूछती है मनन रोने लगता है, " राधा पूछती है ", मनन बोलो बेटा, क्या हुआ ? ऐसा क्या हो गया कि तुम रो रहे हो बोलो बेटा। मनन बोलता है " माँ मुझे डर लगता है, हर जगह बस प्रतियोगिता होती है, क्यो कोई किसी को अपनाता नहीं है वो इंसान जैसा है वैसे, स्कूल में टीचर हमेशा दूसरे बच्चे की तारीफ करती है, बच्चे भी मजाक उड़ाते हैं आप घर पर जोर देते हो पढ़ने के लिए, दुसरो से आगे जाने के लिए,हमेशा बस एक होड़ लगी रहती है कि हमे आगे जाना है इसलिए मुझे डर लगता है कि कही मैं पीछे ना रह जाऊँ, कहीं मैं आपकी नज़रों में गधा ना बन जाऊं, टीचर और आप दोनों को मेरी और कोई अच्छाई दिखाई नहीं देती,

मैं दूसरों की तरह नंबर नहीं ला सकता पर मैं दूसरों से अच्छा गा सकता हूँ, ड्राइंग कर सकता हूँ, तो मैं वो क्यो ना करू क्या कामयाब बस अच्छे नम्बर ला कर ही बना जा सकता है, माँ कुछ बोलो ना।

क्या बोले राधा उसके तो आँसू ही नहींं रुक रहे थे, बिल्कुल सही कह रहा था मनन, उसने उसपर बहुत जोर डाल दिया था पढ़ाई का, जिसके कारण उसका बचपन कही खो गया था, बिल्कुल सही था मनन क्या कामयाब होने के लिए सिर्फ पढ़ाई जरूरी है ? इसी पढ़ाई के पीछे अगर बच्चा डिप्रेशन में चला जाये तब, तब क्या करेगी वो। नहीं वो अपने बच्चे से उसका बचपन नहीं छीन सकती, जिसमे सिर्फ उसका हक है, उसने अपने आँसू पोछे और कहा ", नहींं बिल्कुल नहीं कामयाब होने के लिए पढ़ना जरूरी नहीं है बल्कि एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है जो मेरा बेटा पहले से है, उसमे बहुत सारी खुबिया है और आज से उन सारी खूबियों को निखारने में उसकी माँ उसका साथ देगी, अब चलो रोना धोना बंद करो,

जल्दी से कपड़े बदलो, में तुम्हारे लिये कुछ तुम्हारी पसंद का बनाती हूँ फिर आज हम दोनों नीचे खेलने जाएंगे। इतना सुन के मनन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, और वो राधा को बड़े प्यार से गले लगा लेता है।


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