इस उम्र में प्यार ?

इस उम्र में प्यार ?

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गुप्ताजी , एक सभ्य परिवार से नाता रखते थे , कुछ ही साल पहले उनकी धर्मपत्नी का देहांत हुआ था , उनके एक पुत्र और एक पुत्री थे , दोनो की शादी हो चुकी थी , दोनो अपने परिवार में खुश थे , खुश तो गुप्ताजी भी थे लेकिन कभी कभी उन्हें बहुत अकेलापन महसूस होता था । घर मे वो ज्यादातर अकेले ही होते थे क्योंकि उनके बेटा बहु दोनो नौकरी करते थे , फिर घर आकर भी दोनो ज्यादा टाइम तो थके ही होते थे । कुछ दिन से उनकी बहू हेमा को गुप्ताजी के हाल चाल सही नही लग रहे थे , वो कुछ ज्यादा ही टाइम घर के बाहर बिताने लगे थे , और तो और घर पर भी पता नही किससे फ़ोन पर घंटो बात करने लगे थे । हेमा को ये सब सही नही लग रहा था , उसने इस बारे में अपने पति राकेश से बात की , तो उसने कहा ," तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो पापा के बारे में , उन्होंने शायद कुछ नए दोस्त बना लिए होंगे या फिर क्लब जॉइन किया होगा , कुछ दिन पहले वो मुझे इसके बारे में बता रहे थे कि वो कुछ नया करने की सोच रहे है , पूरा टाइम घर मे वो बोर हो जाते है ना इसीलिए , तुम चिंता ना करो , चलो अब सो भी जाओ सुबह जल्दी उठना है । दो दिन के बाद संडे था , तो हेमा और राकेश ने आउटिंग का प्लान बनाया पर गुप्ताजी ने जाने से मना कर दिया क्योंकि वो कहीं और का प्लान पहले ही बना चुके थे , तो राकेश हेमा ने भी प्लान कैंसिल कर दिया । शाम को दोनो कुछ देर के लिए नीचे गए , तब हेमा को उसकी सहेलियों द्वरा पता चला कि उसके ससुर जी किसी औरत के साथ घंटो सोसाइटी के पार्क में बैठे रहते है और किसी ने उन्हें उस औरत के घर भी जाते हुए कई बार देखा है , सारे सोसाइटी में इस बात की चर्चा हो रही थी । दोनो पति पत्नी शर्म से पानी पानी हो गए और घर आ गए , हेमा राकेश के ऊपर भड़क पड़ी , "मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि पापा के हाल चाल ठीक नही है कुछ करो लेकिन नही तुम्हे तो तुम्हारे पापा ही सही लगते है तुम्हारी पत्नी तो झूठी है , इस उम्र में ये सब कर रहे है अच्छा लगता है क्या ? सारी सोसायटी में लोग बातें करने लगे है , मेरी तो शर्म से आंखे नही ऊपर उठ रही थी , मेरे घर मे ये छिछोरी हरकते नही चलेगी समझे तुम , आज ही तुम्हे पापा से बात करनी होगी । राकेश ने भी हाँ में सिर हिला दिया , रात 9 बजे गुप्ताजी आये । राकेश ने खाने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया वो बाहर से ही खा के आये थे , राकेश ने कहा ,"पापा सुनिये , यहाँ सोफे पर बैठिये मुझे आपसे कुछ बात करनी है , पापा आज हम नीचे गए थे तो हमें पता चला कि आप किसी आंटी के साथ घंटो पार्क में बैठे रहते हो , क्या ये सच है ? गुप्ताजी अपने बेटा बहु को एकटक देखे जा रहे थे , राकेश ने फिर पूछा पापा बोलिये ना क्या ये सच है ? गुप्ताजी ने कहा ," हाँ ये सच है और वो आंटी का नाम सुनैना है उसके बच्चे विदेश में रहते है वो यहाँ अकेली रहती है उसके पति का देहांत 2 साल पहले हुआ है , वहाँ वो अकेली यहाँ मैं अकेला , तो हमने सोचा कि क्यो न हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन जाये , दोनो को एक जीवनसाथी की जरूरत है जिससे हम खुल के अपनी बातें कह पाए । गुप्ताजी की बात को बीच मे ही काटते हुए राकेश बोला , "पापा आप अकेले कहाँ है हम दोनों तो है ना आपके साथ , फिर इस उम्र में ये सब अच्छा लगता है क्या ? लोग क्या सोचेंगे कभी सोचा आपने ? गुप्ताजी बोले ," क्या कहा तुमने ? " तुम लोग हो मेरे साथ , दोनो को अपने काम से फुर्सत नही है दिन भर मैं अकेला रहता हूं रात में भी बस खाने की टेबल में ही जितनी बाते हुई बस फिर तुम दोनों तो चले अपने रूम में , कभी पूछा तुम दोनो , पापा आप पूरा दिन कैसे बिताते हो ? क्या करते हो ? नही तुम्हे तो अपने काम से ही फुर्सत नही है तो मुझे क्या टाइम दोगे , ये सब मैं तुम्हे बताने वाला ही था , चलो तुम्हे खुद पता चल गया तो अच्छा ही है । कुछ ही दिनों में मैं ओर सुनैना जी दोनो शादी करने वाले है फिर सुनैना जी यही रहेगी । इतने में ही हेमा बोल पड़ी ," हद है बेशर्मी की , अपने बेटा बहु के सामने कैसी बातें कर रहे है , इस उम्र में प्यार , शादी अच्छा लगता है क्या ? आज सिर्फ सोसायटी वाले हस रहे है हम पर कल को पूरा समाज हँसेगा , मैं ये सब अपने घर मे नही होने दूंगी समझे आप , आप को जो करना है करे लेकिन घर से बाहर जा कर । औऱ शादी के बाद तो हम आपको जानते तक नही समझे आप , क्या सनक चढ़ी है बुढ़ापे में , लोग अपना ध्यान पूजा पाठ में लगते है और ये है की प्यार शादी के बारे में सोच रहे है , मुझे तो शर्म आ रही है इस आदमी को अपना ससुर कहते हुए । गुप्ताजी बोले ", बस बहु , बहुत हुआ और रही घर की बात तो मैं तुम्हे बता दु ये घर मेरे नाम पे है इस घर को मैंने और तुम्हारी सास ने अपनी एक एक पाई जोड़ के खरीदा है ना की तुम दोनों ने । शादी तो मैं करूँगा , क्योकि मुझे और सुनैनाजी दोनो को सहारे की जरूर है प्यार की जरूरत है जिस बच्चो को हमने अपना सब कुछ दिया , अपना समय दिया , उन्ही के पास आज हमारे लिए समय नही है , तो क्या हमें अपनी ज़िंदगी जीने का हक नही है बूढ़े हो गए है तो क्या ? बस एक जगह बैठे रहे , और सब की बातें सुनते रहे , जो जैसे बोले बस वैसा ही करे , नही बहु ऐसा नही होता , और रही घर से जाने की बात तो मैं तुम दोनों को अभी घर से निकाल सकता हूं , पर माँ बाप का दिन कभी बच्चों के दिल की तरह छोटा नही होता इसलिए ये घर तुम्हे मुबारक , मैं ही इस घर से चले जाता हूं , तुम दोनों सदा सुखी रहो । इतना कहकर गुप्ताजी अपना सामान बांधने अपने रूम में चले गए ।


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