ऊर्जा ग्रह
ऊर्जा ग्रह
बड़ा सा मैदान दुपहरी का समय और चारों तरफ जंगली जानवर घूम रहे थे। कुछ चरवाहे अपनी भेड़ों को भी चरा रहे थे। आसमान में हल्के-हल्के बादल विचरण कर रहे थे। उनकी परछाई जमीन पर आवागमन कर रही थी।
तभी आसमान से एक विशाल उड़न तश्तरी प्रचंड ऊर्जा के साथ उस मैदान की ओर आती दिखी, यह देख जानवरों में हलचल सी मच गई, जानवर इधर-उधर भागने लगे लेकिन एक भेड़ घास चरने में मस्त थी।
उड़न तश्तरी आसमान से भेड़ की तरफ आकर लगभग दस मीटर ऊपर ही स्थिर हो गई फिर उसका निचला द्वार खुला जिससे प्रचंड ऊर्जा निकल रही थी। लग रहा था मानो किसी ऊर्जा ग्रह से आई है।
उड़न तश्तरी ने उस भेड़ को अपनी तरफ खींचा, भेड़ बड़े तीव्र वेग से जमीन से ऊपर उठी और पल भर में उड़न तश्तरी के अंदर समा गई । उसके बाद उड़न तश्तरी आसमान की ओर चली गई।
यह घटना देखकर चरवाहे डर गए। सभी अपनी-अपनी भेड़ों को लेकर गांव पहुंचे। उन्होंने पूरी कहानी गांव में जाकर बताई। जिस भेड़ को उड़न तश्तरी लेकर गई थी, वह उसी गांव के कलुआ की भेड़ थी। कलुआ की भेड़ गायब हो गई थी। कलुआ का रो रो कर बुरा हाल था।
वह रोज सुबह शाम जंगल में जाता। इसी आशा के साथ कि कहीं उसकी भेड़ मिल जाए। आखिरकार दो महीने बाद उसे उसके इंतजार का फल मिला। एक दिन कलुआ शाम को जंगल की तरफ गया। उसने देखा एक सामान्य से दुगने आकार की भेड़ जंगल में घास चर रही है। वह पास में गया उसने अपनी भेड़ को पहचान लिया। लेकिन वह आश्चर्यचकित था कि उसकी भेड़ इतनी बड़ी कैसे हो गई??
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा!
"अरे सुनो रे......सभी सुनो रे"
देखो मेरी भेड़ वापस आ गई है। यह दो महीने में कितनी बड़ी हो गई है।
गांव के सभी चरवाहे एकत्रित हो गए। सभी ने मिलकर कलुआ को समझाया और उस भेड़ को घर लेकर आए।
जब दूसरे दिन सुबह भेड़ से दूध निकाला गया तो पहले से दस गुना ज्यादा निकला। दो महीने पहले एक लीटर दूध देती थी अब दस लीटर दूध देने लगी।
यह देख कर कलुआ खुशी से नाचने लगा। यह नजारा देखकर सारे गांव वाले हतप्रभ रह गए।
फिर सब अपनी भेड़ जंगल में लेकर जाते और वह आसमान से आने वाली उड़न तश्तरी का इंतजार करते। सब इसी इंतजार में थे कि उड़न तश्तरी आएगी। हमारी भेड़ लेकर जाएगी दो महीने बाद वापस करने आएगी। फिर उनकी भीड़ भी ज्यादा दूध देगी। लेकिन अभी तक दोबारा ऐसा हुआ नहीं।
बस इंतजार है, ऊर्जा ग्रह से आने वाली उड़न तश्तरी का। ।
