उत्तीर्ण
उत्तीर्ण
“देखो बच्चों, आज मैं तुम्हें लोकोक्तियां सिखा रही हूँ । इनमें एक है ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’ हम इन्हें दैनिक जीवन में कितनी ही बार सुनते हैं । इनका प्रयोग बोलचाल और लेखन में शामिल करने से हमारी भाषा खिल उठती है तथा प्रस्तुतीकरण प्रभावशाली होता है” । नवीन अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शिक्षिका अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास में पढ़ा रही थी । कक्षा आठ में पढ़नेवाले विनय को कंप्यूटर पर पढ़ता देख उसके घर काम करनेवाली कमला भी हाथ में पोछा लिए टीचर का पढ़ाना देख रही थी ।
“पोछा लगाते लगाते घर के सारे पंखे चालू करके कहाँ चली गई ?” विनय की मम्मी किचन में सब्जी छोंक कर उसे सारे घर में ढूँढने लगी । विनय के कमरे में उसे पोछा लिए खड़ा देख वो भी कंप्यूटर पर टीचर को सुनने लगी । कुछ ही देर में विनय ने मुड़कर पीछे देखा तो दोनों को देख मुस्कुरा दिया । उसे हँसता देख दोनों किचन में चली गई ।
वीणा किचन में आकर सब्जी सम्हालने लगी तो कमला पोछा लगाते हुए बोली, “भाभीजी, आप से एक बात कहूँ । देखो, मैं भी अपने बेटे को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रही हूँ और वो भी बाबू की जैसे ही आठवीं में है । कोरोना की वजह से उसकी स्कूल भी बंद हो गई है । देखो जुलाई आ गया और उसकी स्कूल ने पढ़ाई के लिए ढंग से इंतजाम भी नहीं किये हैं । एक तो उनका पढ़ाना, ऊपर से हमारे मोबाइल ...। भाभीजी, क्या मेरा जगदीश भी यहाँ आकर बाबू के साथ बैठ कर पढ़ सकता है ?” कमला बड़ी आशा से वीणा को देखने लगी ।
सब्जी को बर्तन में ख़ाली करते हुए वीणा बोली, “ देख कमला, एक तो मेरी हालत और ऊपर से तेरे हालात देख कर मैंने इस कोरोना मैं भी तेरी छुट्टी नहीं की । अब अगर जगदीश भी आने लगा तो समझ ले कि विनय के पापा तेरा आना भी बंद करवा देंगे ।” वीणा के स्वर में रूखापन था ।
माँ तो माँ होती है उसे तो बस अपने बच्चे का भला ही दिखता है, भले ही उसके लिए उसे किसी की बेरुखी ही क्यों न सहनी पड़े । तो बस फिर कमला गिड़गिड़ाते हुए बोली, “भाभीजी, मेरा बेटा आपके घर मास्क लगाकर बाबू से थोड़ा दूर बैठ जायेगा । ले आऊँ कल से ?”
वीणा उसके चहरे पर लगे मास्क को देख मुस्कुरा दी और आँखों में आये उसके आंसुओं को देख बोली, “चल कल से ले आना । मैं इन्हें और विनय दोनों बाप बेटे को समझा दूंगी । लेकिन तू अपने बेटे को मास्क लगा कर ही लाना बाकी उसे पूरा सेनीटाइज तो मैं कर दूंगी ।”
दूसरे दिन सुबह आठ बजे ही कमला के साथ उसका बेटा जगदीश अच्छे से तैयार होकर मुंह पर मास्क लगाकर आया । उसे समय पर आया देख वीणा ने उसे अपने साथ आने को कहा और विनय के रूम में उसकी कंप्यूटर टेबल से थोड़ी दूर रखी कुर्सी पर उसे बैठने को कहा । विनय ने उसे देखा और बिना उसे कुछ कहे कंप्यूटर ऑन कर उसे क्लास के नेट से जोड़ दिया ।
अब दो ऑनलाइन क्लास के बाद गणित विषय की क्लास शुरू हुई तो गणित के सर ने अच्छे से पढ़ाया और हर बार की तरह क्लास खत्म होने से पहले जो पढ़ाया था उसका टेस्ट लिया । विनय उस प्रश्न को हल नहीं कर पा रहा था तो पीछे बैठे जगदीश ने धीरे से आवाज़ दे कर उसे अपनी कॉपी का वो पन्ना दिखाया जिसमें सवाल हल किया था ।
कॉपी में हल किये सवाल को देख विनय उसे आश्चर्य से देखकर बोला, “तुम अपनी कुर्सी थोड़ा आगे ले आओ तो कंप्यूटर की स्क्रीन ढंग से देख सकोगे ।”
उसकी बात सुन किचन में खड़ी वीणा मुस्कुरा दी । उस दिन के बाद से दोनों की दोस्ती मजबूत होती गई और वो पढाई में एक दूसरे के मददगार हो गए । पूरे जुलाई के महीने में दोनों ने साथ पढ़ाई की । जगदीश ने विनय को बताया कि यहाँ से पढ़कर वो शाम को अपनी बस्ती में दूसरे बच्चों को भी सिखा देता है
।
दो महीनें के अंत में नवीन स्कूल ने ऑनलाइन ही परीक्षाएं करवाईं । विनय ने परीक्षाएं समाप्त होने पर अपने गणित के टीचर से गुज़ारिश की कि वे उसे उसकी उत्तरपुस्तिका ज़रूर दिखाएँ । उसे यह जानना था कि उसका कौनसा सवाल सही है और कौनसा गलत । उधर जगदीश ने भी अपनी बस्ती के साथी बच्चों की परीक्षा आयोजित की थी।
नवीन स्कूल में ली गई ऑनलाइन परीक्षा के परिणाम आये जिसमें विनय ने अच्छे अंक प्राप्त किये और वहीं जगदीश ने भी विनय के सर द्वारा भेजे गए उत्तर से मिलान कर अपनी बस्ती के बच्चों की उत्तरपुस्तिकाएं जांच कर उन्हें भी अंक दिए । उन बच्चों ने भी अच्छे अंक प्राप्त किये । विनय ने जब जदगीश से उसके साथी बच्चों के अंक सुने तो खुश हुआ और वीणा ने तो उन बच्चों को अपनी तरफ़ से पढ़ाई के लिए एक लैपटॉप देना भी तय कर लिया । शाम को विनय ने अपनी मम्मी का सुझाव सुन अपने गणित के टीचर को फ़ोन कर दिया ।
सर ने फ़ोन उठाया तो विनय ने भावुक होकर जुलाई से अब तक की सारी बातें अपने फेवरेट सर को बता दीं । सर ने ध्यान से सब सुना और उन्हें लगा आज शिक्षा तो उत्तीर्ण हो गई लेकिन ईमानदारी फेल हो गई । उन्होंने विनय से कहा, “प्लीज बेटा, आगे अब क्या करना है मैं तुम्हें बतलाता हूँ लेकिन इस पढाई को तो अभी थोड़ा ......। लेकिन एक बात और कहना चाहता हूँ कि उस बस्ती में तुम्हारी मम्मी के लैपटॉप के साथ मेरा दिया लैपटॉप भी जायेगा ।” कह कर सर ने मोबाइल डिस्कनेक्ट किया और स्कूल के प्रिंसिपल को फ़ोन मिलाने की कोशिश में लग गए ।
अपने प्रिंसिपल महोदय को वो सारी बातें बतलाई जो उन्होंने विनय से सुनी थी और अपने सर से माफ़ी मांगी । और माफ़ी मांगने के बाद उन्होंने सर से पूछा कि अब आगे क्या किया जाए ।
स्कूल के प्रिंसिपल सारी बातें सुन थोड़ा नाराज तो हुए और दिल में कही सुकून भी मिला । उन्होंने भी गणित के सर को अपने फ़ोन का इंतजार करने का कह मोबाइल डिसकनेक्ट कर दिया ।
अब वे शिक्षक महोदय की सारी बातों को सोचने लगे और तभी उन्हें उन बातों के बीच बोला गया उस गरीब बच्चें की स्कूल का नाम भी याद आया । उन्होनें मोबाइल से अपने कांटेक्ट के ज़रिये जगदीश के स्कूल के प्रिंसिपल का मोबाइल नंबर पूछ कर उन्हें फ़ोन कर दिया ।
जब सामने से प्रिंसिपल महोदय बोले तब इन्होंने अपना परिचय देकर बोलना शुरू किया, “सर, देखियें आपकी स्कूल तो उन्नति कर ही रही है लेकिन मैं ये सोचता हूँ कि विद्यार्थियों की उन्नति से ही स्कूल की पहचान होती है । आप से एक बात कहना चाहता हूँ कि आज मेरा एक विद्याथी, एक शिक्षक ही नहीं मैं भी फ़ैल हो गया । कल सुबह मेरी स्कूल के कंप्यूटर टीचर्स और प्रोग्रामर आपकी स्कूल आनेवाले हैं । माफ़ कीजिएगा, वे आप को ऑनलाइन क्लासेज बेहतर बनाने के उपाय बताएगें । देखियें, इस महामारी में सरकार भी सहयोग कर रही है थोड़ा हम भी करेंगे तो थोड़े की उम्मीद आप से भी है । देखियें, मुझे फ़ैल मत कीजिएगा ।” कहकर नविन स्कूल के प्रिंसिपल पल ने मोबाइल डिसकनेक्ट कर दिया ।
दो दिन बाद ही कमला ने वीणा को धन्यवाद देते हुए कहा कि कल सुबह से जगदीश यहाँ पढने नहीं आएगा उसकी स्कूल ने सब बच्चों के पढ़ने के लिए अच्छी व्यवस्थाएं कर दी है । और यह भी कहा कि जगदीश की स्कूल के प्रिंसिपल बड़े ही नेक दिल इंसान है लेकिन जब कमला बोली, “अंत भला तो सब भला।”
यह सुन वीणा हंस दी और बोल उठी, “अरे वाह ! कमला, तुम्हें भी एक लोकोक्ति बोल ही दी ।” अब वीणा सामने बैठे विनय को कंप्यूटर पर पढ़ते हुए देख मुस्कुराते हुए सोचने लगी इस नेटवर्क का सर्वर छोटा तो है लेकिन काफ़ी मजबूत है ।
प्रतिभा जोशी