Pratibha Joshi

Inspirational

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Pratibha Joshi

Inspirational

क़ीमती संपत्ति

क़ीमती संपत्ति

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“मोनिका, मनोज आज फ़िर तुम दोनों ने खाना नहीं खाया। सुबह से अपने लैपटॉप और मोबाइल में लगे रहते हो और सिर्फ मैगी और चाउमीन खा कर पेट भर रहे हो। अरे ! तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद की सब्जी और रोटी बनाई थी मैंने। घर में ही रहते हो और अपनी पढ़ाई में बिज़ी रहते हो इसलिये तुम्हें मना भी नहीं करती ये सब खुद ही बना कर खाने के लिए। इस लॉक डाउन ने तो सब का जीवन ही जैसे लॉक कर दिया है। देखो चार बज गए और तुम ने सुबह का खाना भी नहीं खाया।” राधा किचन में आई और अपने लिए चाय की पतीली गैस पर रख कैसेरोल में रखी सुबह की रोटियां देखकर नाराज होने लगी।

मोनिका मोबाइल पर अपनी फ्रेंड से बातें कर रही थी पर राधा की बातें सुन बोली, “निशा, मैं तुम्हें बाद में फ़ोन करती हूँ।” अब वो राधा के पास खड़ी हो कर मुस्कुराने लगी।

“तुम बना कर देखो खाना इस गर्मी में। तुम दोनों मुझे सुबह ही कह दिया करो कि आज हम अपनी पसंद का खाना खुद ही बनायेंगे तो मैं अपना दूसरा काम कर लूं।” चाय छानते छानते राधा ने मोनिका को आड़े हाथों लिया।

“ओह मम्मी , आप चिंता मत करो। मेरे पास आपकी इन रोटियों का भी अच्छा उपाय है। आप अपनी चाय पियो हम दोनों भाई बहन तो कोल्ड कॉफ़ी पियेंगे। और रही बात इन रोटियों की तो मैंने नेट पर देखा था कि इन्हें काट कर पास्ता की तरह बनाया जा सकता है। ‘ रोटी पास्ता ‘ कहते हैं उसे। ” मोनिका राधा को चाय का कप पकड़ा फ्रिज से ठंडा दूध निकलने लगी कोल्ड कॉफ़ी के लिए।

“मोनिका, थोड़ी चीनी कम डालना कॉफ़ी में। तुम दोनों मिलकर मुझे भी अपना जैसा मोटा बना दोगी”, लेपटोप पर काम करते करते मनोज बोला।

“मनोज, आज शाम का अपना डिनर होगा रोटी पास्ता। तू सुबह की तरह सब्जी काटने आ जाना मेरी हेल्प के लिए। मम्मी, आप अपना और पापा का खाना बना लेना”, मोनिका कोल्ड कॉफ़ी दो गिलास में डालते हुए बोली।

राधा ने दोनों को देखा और फिर कैसेरोल को देख कर बोली, “खबरदार, जो अब इन रोटियों को हाथ भी लगाया। अब यह रोटियाँ मेरे दूसरे परिवार के लिए हैं। मैं जिस तरह तुम्हारा ध्यान रखती हूँ वैसे ही शाम ढलने से पहले आने वाले मेरे पक्षी भी उतना ही महत्व रखते हैं मेरे जीवन में। मैं सब के साथ उनके लिए भी रोटियां बनाती हूँ। तुमने देखा ही होगा कि सामने बालकनी की रेलिंग के उस पिलर पर उनके लिए मिट्टी का परिंडा भी रखा है जिससे पानी पी कर कितने ही पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं।

बेटा, तुम दोनों की पढ़ाई खराब न हो इसलिए तुम्हें घर का काम नहीं बताती लेकिन थोड़ा सा समय निकाला करो इन पशु पक्षियों के लिए भी। जब हम कहते हैं कि आज का दिया कल काम आता है तो बेटा, आज हम इस गर्मी में एसी में बैठे हैं तो ज़रूर कल कुछ करके आये होंगे। इसलिए आज भी कुछ करते रहना चाहिये न कल के लिए। एक बात और आज मैं तुम दोनों से कहती हूँ कि मैं तो गृहिणी हूँ कोई कामकाजी महिला नहीं जो तुम्हें अपनी तरफ़ से कोई वसीयत दे जाऊँ। मैं तो तुम्हें संस्कार ही दे सकती हूँ। अपनी कॉफ़ी खत्म करने के बाद मनोज तू सामने बालकनी में रखे उस परिंडे में ठंडा पानी भर दे और मोनिका बेटा, तू उन रोटियों का चूरा कर उस पिलर पर डाल दे। चलो , आज एक नयी शुरुआत करते हैं।” राधा अपनी चाय पीते हुए बोली।

राधा की बातें सुन मनोज अपनी कॉफ़ी खत्म कर किचन में रखे चरे में से जग भर पानी बालकनी में रखे उस परिंडे में डाल वहीं खड़ा हो बाहर देखने लगा। 

मोनिका ने भी कुछ धीरे धीरे बोलते हुए अब कैसेरोल में रखी रोटियों का चूरा कर रेलिंग के उस पिलर पर डाल दिया।

दोनों बालकनी में खड़े हो कर बाहर की ओर देख रहे थे कि दो तीन चिड़ियाँ हवा में तैरती सी आईं। एक पानी के परिंडे पर बैठ पानी पीने लगी और बीच बीच में अपनी गर्दन पानी में डुबाकर रहत पाने का प्रयास करने लगी वहीं दूसरी दो रोटियों के उस चूरे को चुगने लगी। थोड़ी ही देर में उन्होंने भी पानी का खेल शुरू कर दिया।

दोनों भाई बहन उन चिड़ियाँ को खेलता देख मुस्कुरा दिए और उन दोनों को मुस्कुराता देख राधा ने गहरी सांस ली और सोचने लगी कि आज फ़िर एक बार अपनी कमाई में से एक कीमती संपत्ति अपने बच्चों को दे दी।



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