GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

उसकी पहचान

उसकी पहचान

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कुमार बाबु कभी एक नौकरी पेशा व्यक्ति हुआ

करते थे I उनके दोनों बेटे पढ़ लिखकर विदेश में नौकरी पाकर वहीँ अपना परिवार बसा लिए I विदेशी मेमों को इंडिया आना पसंद न था ,कभी-कभी बेटों के साथ आते तो कुमार बाबु के रहन सहन को देख कर अंग्रेजी में अपने पतियों से जाने क्या क्या कहते की बेटे चार दिन से ज्यादा न रुकते I

पत्नी के स्वर्ग सिधारे वर्षों हो गया था अब बुढ़ापा हाथ थामे साथ चल रहा था I मन अकेलेपन से घबराता I बेटों से आग्रह किया की वापस आ जायें या उन्हें अपने पास आश्रय दें पर वे वापस आने या उसको साथ रखने के लिये तैयार नहीं हुए I

कुमार बाबु ने कई बार बेटों को अपने दयनीय हालत के बारे में बताया की उसका शरीर साथ नहीं दे रहा वह बीमार है और ज्यादा दिन का मेहमान नहीं है I कम से कम अंतिम समय में साथ ले जाएं या कहीं इलाज करवा दें I पर कोई जवाब नहीं मिला I

कुमार बाबु के पुराने ज़माने का एक मित्र था राजू जो कभी-कभी कुमार बाबु से मिलने आ जाया करता I

कुमार बाबु की स्थिति को देख वह उसे समझा कर एक अस्पताल में भर्ती कर उसका साथ दिया I चार पांच दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह घर वापस आया I उसके मित्र ने उसे सलाह दिया की वह अकेले न रहे कहीं और रिस्तेदार के यहां जाकर रहे I पर कुमार बाबु स्वाभिमानी व्यक्ति थे I उन्होंने कभी जिंदगी में किसी रिश्तेदार के यहां दो चार दिन से ज्यादा नहीं रुका था I और अंतिम समय में भला किस अधिकार से जाकर रहते जब उसके अपने लड़के जिनके लिए अपना सब कमाई फूँक दिया ने उनको बुढापे में मरने के लिए छोड़ दिया है तो वह दूसरों से क्या आशा रखे I

मित्र राजू के जाने के बाद वह मन में फैसला किया कि वह अब शहर के वृद्धाश्रम में रहेगा। वह दुसरे दिन वृद्धाश्रम जाकर आवेदन फॉर्म में आवश्यक जानकारियां देकर जमा कर दिया I वहां के अधिकारी ने फॉर्म को देखकर जांच किया जिसमें निकट के रिश्ते दार का कालम छुटा था को देख कर कहा -- बाबा अपने किसी रिश्तेदार का नाम बताओ ये छुट गया है I

कुमार बाबु ने कहा-- बेटा कोई होता तो यहां रहने क्यों आता अब तो यहीं के सब अपने हैं मिलजुलकर एक दूसरे का सहारा बनेंगे I उसने अपनी आँखों में आते आँसू को छिपाते हुए कहा I

अधिकारी सब समझ चुका था I अक़्सर बड़े घर के शिक्षित बुजुर्ग इस तरह अंतिम समय बेसहारा हो जाने के कारण अपनी पहचान छुपा कर आश्रम में आकर रहने लगते हैं जबकि उनके भरा परिवार होता है I

आज कुमार बाबु भी अपनी पहचान खो आश्रम में रहने आ रहे थे I जो नाम उनके बेटों को काबिल बना कर विदेश मे रहन के योग्य बनाया आज वह नाम पहचान खो रहा था I 


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