निशा शर्मा

Crime

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निशा शर्मा

Crime

उसका अपराधी...

उसका अपराधी...

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कमला तुम आज भी देर से आयी हो तुम्हें पता है न कि तुम्हारे देर से आने पर मेरा पूरा दिन खराब हो जाता है, मुंह बनाते हुए मिसेज शर्मा अपनी कामवाली बाई से बोलीं।

मगर कमला को तो जैसे कुछ सुनाई ही न दिया हो और वो चुपचाप रोज की तरह ही अपने काम निपटाने में लग गयी। कमला को आये बीस मिनट हो चुके थे लेकिन कमला अभी भी चुपचाप ही अपना काम किये जा रही थी मिसेज शर्मा को एक बार फिर से हैरानी हुई एक तो कमला ने आज उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया था और अब वो भला इतनी चुप कैसे थी?

जो कमला रोज बोल बोलकर इधर उधर की खबरें सुना सुनाकर मिसेज़ शर्मा के सिर में दर्द कर देती थी वो कमला आज इतनी शान्त।

अब मिसेज़ शर्मा कमला के पास गयीं और उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, क्या बात है कमला आज तुम कुछ बोल ही नहीं रही, तुम्हारी तबीयत खराब है क्या ?

मिसेज़ शर्मा का बस इतना ही कहना हुआ था कि कमला दहाड़े मार मारकर रोने लगी । दीदी मेरी बिटिया, मेरी बिटिया के साथ गलत काम हो गया दीदी, गलत काम हो गया।

क्या हुआ कमला तुम पहले शान्त हो, इधर बैठो और मुझे ठीक से सब बताओ कि आखिर हुआ क्या ? दीदी मेरी बिटिया और इतना कहकर कमला फिर से रोने लगी।

मिसेज़ शर्मा ने कहा कि तुम घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे साथ चलूंगी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाऊंगी, मुझसे जितना बन पड़ेगा मैं तुम्हारा साथ दूंगी तुम्हारी बच्ची के साथ ऐसा नीच कर्म करने वाले को मैं सजा दिलवाऊंगी, पहले ये बताओ कि तुम्हारी बच्ची अब कैसी है और कहाँ है ?

दीदी वो घर पर ही है और उसके पास उसका बापू है, वो आज काम पर नहीं गया है। दीदी मुझे कुछ रुपये दे दो मैं अपनी बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाऊंगी।

ये सुनकर मिसेज़ शर्मा बेहद आश्चर्यचकित हो कर बोलीं, ले जाओगी मतलब क्या तुम अभी तक उसे डॉक्टर को दिखाने नहीं ले गयीं ? हद करती हो कमला, ये लो पैसे और हां उसे डॉक्टर के पास ले जाओ और हां इसके बाद जैसा हो मुझे फोन करना मैं तुरन्त आ जाऊंगी, अब जल्दी जाओ तुम ।

चार दिन बीत गए कमला काम पर नहीं आयी और उसका फोन भी नहीं लग रहा। अरे तो तुम इतनी चिंतित क्यों होती हो पड़ोस के घर में काम करने वाली मीना को बुला लो न शर्मा जी ने मिसेज़ शर्मा से फोन पर बात करते हुए बोला जो कि हमेशा की तरह ही अपने व्यावसायिक दौरे पर एक हफ्ते के लिए दिल्ली गये हुए थे।

       अरे नहीं बात काम की नहीं है, आप जब आयेंगे तब बताऊंगी। ओके, कहकर शर्मा जी ने फोन रख दिया।

तभी डोरबेल बजी ।

अरे कमला तुम, तुम भी कमाल करती हो, न कोई फोन न खबर और मुझे तो तुम्हारे नये घर का पता भी नहीं मालूम था, तुमने अभी पिछले महीने अपना घर बदला है न।

अरे बदलती नहीं तो क्या करती दीदी वो मकान मालिक की रोज रोज की खिटपिट और किराया भी सीधे हजार रुपया बढ़ा दिया, बदमाश था साला। अच्छा दीदी मुझे आज थोड़ा जल्दी जाना है वो मेरे जेठ के लड़के की शादी है न तो उसी के लिए बाजार जाना है, कपड़ा लेने।

कमला को देखकर जरा भी नहीं लग रहा था कि अभी चार दिन पहले उसके साथ इतना बड़ा हादसा हुआ था।

कमला गुनगुनाते हुए और इधर उधर की खबरें सुनाते हुए अपने काम में लगी थी मगर आज मिसेज़ शर्मा को जैसे कुछ सुनायी ही नहीं दे रहा था।

कमला... जी दीदी

ये तुम्हारे वो ही जेठ हैं न जिनके साले ने तुम्हारी बच्ची के साथ।

अरे दीदी अब रिश्ते थोड़े ही न खत्म हो जायेंगे और वो भी बच्चा ही था , हो गयी गलती और फिर बात बढ़ाने में तो हमारी बिटिया की ही बदनामी है न और हां दीदी एक विनती है आपसे ये हमारी बिटिया वाली बात न कभी किसी को न कहना, वैसे भी अब सब ठीक है और घर की बात घर ही में रहे तो अच्छा। बिटिया चौदह की तो हो गयी है अभी दो साल बाद शादी कर देंगे अपने घर चली जायेगी बस और का।

जा रही हूँ दीदी गेट लगा लो।

कमला तो चली गयी मगर जाते जाते मिसेज़ शर्मा के मन में एक बहुत बड़ा सवाल छोड़ गयी कि आखिर कौन है असली उसका अपराधी, उस चौदह साल की बच्ची का, उसका मासूम बचपन, उसकी गरीबी, उसकी माँ की अशिक्षा, उसकी गरीब माँ की परिस्थितियां या औरत की वो सामाजिक सोच जो समाज और परिवार कूट कूटकर उसके मन में भर देता है कि घर की बात घर में ही रहे तो अच्छा ।

आखिर कौन है उसका अपराधी ?



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