कुटाई...
कुटाई...
माँ जी.....बसससससससस!!अब आप मेरे मान की मर्यादा को पार कर चुकी हैं और इससे आगे अगर आपने एक शब्द भी मेरी माँ या मेरे बाबा के खिलाफ कहा तो...
तो....तो क्या कुलक्षिणी? तेरी वो छम्मकछल्लो माँ को मैं एक नहीं सौ बार कहूंगी चरित्र की गिरी हुई औरत...चरित्र की.....इससे आगे केसरी की सास शोभा कुछ बोल पाती उससे पहले ही एक झन्नाटेदार थप्पड़ की आवाज़ एक नहीं बल्कि तीन बार सन्नाटे में गूंज गयी और तभी गाना बज उठा....केसरी...मान भी मर्यादा भी केसरी!!
वाह भाई बहुत खूब, सबने एक साथ ताली बजाते हुए कहा और फिर सबकी चर्चा-परिचर्चा का दौर शुरू हो गया।
"आज का एपीसोड तो धमाकेदार रहा अम्मा", काजल की सबसे बड़ी ननद गौरी बोली।
"अरे जीजी मजा तो तब आया जब केसरी ने अपने पति का हाथ पकड़ा। बहुत सही किया। अरे ऐसे कैसे वो बिना सोचे समझे बस अपनी माँ के कहने पर अपनी पत्नी पर हाथ उठा सकता है, हाँ। दुष्ट कहीं का।", काजल की छोटी ननद ने कहा।
तभी काजल की सास सुमित्रा जी बोल पड़ीं....हाँ और नहीं तो क्या? बढ़िया किया केसरी ने आज, बिल्कुल सही सबक सिखाया बुढ़िया को। देखा बिटिया जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
इन सबकी चर्चाओं के बीच अचानक ही गौरी बोली...अम्मा शोर, ये पड़ोस में शोर कैसा? और फिर सुमित्रा जी ने अपनी बेटियों समेत बिस्तर पर बैठे-बैठे ही अपनी बहू काजल को आवाज लगाई....काजल, ओ काजल, तनिक ये टीवी तो बंद कर देख पड़ोस में क्या शोरगुल हो रहा है। ओ काजल!
उनकी बहू काजल दौड़ती हुई आयी और उसनें सबसे पहले तो टीवी बंद किया और फिर बाहर झाँककर बताया कि ये शोर पड़ोस की अम्बिका ताई के घर से आ रहा है जिसपर सुमित्रा जी ने एक कुटिल मुस्कान अपने होंठों पर लाते हुए अपनी बहू काजल से टीवी दोबारा से चलाने के लिए कहा।
काजल ने हैरानी के साथ टीवी दोबारा चला दिया पर वो कुछ भी समझ नहीं पा रही थी कि तभी रसोईघर की ओर जाते हुए उसके कानों में अपनी सास की आवाज़ पड़ी..."अरे कुछ नहीं कल हम सब औरतों के सामने ही अम्बिका की बहू ने उसकी चोरी पकड़ते हुए जो सच कहा था न बस उसी का परिणाम है और वैसे भी इन बहुओं की कुटाई बहुत जरूरी है बिटिया जो ये सच्चाई की ढफली ज्यादा पीटती हैं न!!"
"हाँ अम्मा! कुटाई तो बहुत ज़रूरी है इनकी" काजल की बड़ी ननद ने अपनी माँ की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा।
अब काजल रसोईघर में काम करते हुए बस इसी सोच में डूबी हुई थी कि आखिर सच क्या है उसके ससुराल वालों का??? आखिर वो सच में किसके पक्षधर हैं, सच्चाई का आईना दिखाती और गलत को सबक सिखाती हुई केसरी के या फिर अत्याचार सहते-सहते थककर एक दिन हिम्मत करके सच बोल देने वाली बहू को पीटने वाले ससुराल वालों के???