निशा शर्मा

Inspirational

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निशा शर्मा

Inspirational

सांता क्लॉज...

सांता क्लॉज...

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आज पच्चीस दिसंबर है,छुट्टी का दिन और शायद इसीलिए मधुरिमा को आज सोकर उठने में बहुत देर हो गई है।वो बड़ी ही हड़बड़ाहट में अपना बिस्तर सही कर रही है कि तभी अपना तकिया हटाते ही उसकी नज़र वहाँ पर रखे हुए एक लाल रंग के डिब्बे पर जाती है और वो बड़ी ही उत्सुकता के साथ उसे खोलने लगती है। उस डिब्बे में वो ही सोने का छोटा सा मंगलसूत्र निकलता है जो मधुरिमा नें पिछले हफ्ते ऑनलाइन पसंद किया था पर हर बार की तरह इस बार भी घर के बजट का पलड़ा उसकी इच्छाओं पर भारी पड़ गया और वो उसे फिर कभी ले लेंगे की विशलिस्ट में डालकर भूल गई।

मधुरिमा अभी अपने ख्यालों से बाहर भी नहीं निकल पायी थी कि तभी उसका दस वर्षीय बेटा खुशी से दौड़ता हुआ उसके पास आया और अपना क्रिकेट-सैट उसे दिखाते हुए बोला कि देखो मम्मा मुझे सांता नें इस बार ये दिया। फिर उस बच्चे की नज़र जैसे ही अपनी माँ के हाथ में लिए हुए डिब्बे पर पड़ी तो वो पुनः बोला,,,,,"आपको भी सांता नें गिफ्ट दिया,मम्मा? "

अब बारी थी मधुरिमा की पाँच वर्षीय बेटी रुनझुन की जो अपनी नई गुड़िया मधुरिमा को दिखा रही थी। मधुरिमा कुछ कहती उससे पहले ही वहाँ उसका पति शेखर आ गया और फिर वो मधुरिमा और बच्चों को देखकर मुस्कुराने लगा। मधुरिमा नें शेखर को देखकर अपनी आँखें मूंद लीं और एक गहरी साँस ली।

"मम्मा क्या इस बार हमारा सांता नहीं आयेगा? क्या वो हमें गिफ्ट भी नहीं देगा?", छहः वर्षीय बेटी के मुंह से यूं उदासी भरे प्रश्नों के उत्तर स्वरूप मधुरिमा की आँखों से झर-झर करके अश्रुधारा बहने लगी पर उसनें खुद को संभालते हुए कहा,,,,"क्यों तुमसे ये किसनें कहा रुनझुन?"

रुनझुन नें जवाब दिया,,,"भईया नें।"

दूर खड़ा रुनझुन का ग्यारह वर्ष का भाई भी अब तक अपनी आँखें नम कर चुका था।मधुरिमा नें आज फिर एक बार अपनी पलकें मूंद लीं और फिर अगले ही पल वो अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसनें अपने दोनों बच्चों को गले लगाते हुए कहा कि मेरे बच्चों जब तक तुम्हारी माँ ज़िंदा है,तुम्हारा सांता ज़रूर आयेगा और तुम दोनों के लिए गिफ्ट भी लायेगा।अपने गालों पर ढुलकते हुए आँसुओं को पोंछकर मधुरिमा अब अपने अतीत की स्मृतियों से पूरी तरह से वापिस अपने वर्तमान के धरातल पर पैर रख चुकी थी जहाँ शेखर की असमय मृत्यु के बाद आज वो ही अपने बच्चों के लिए मम्मा-पापा तथा उनका सांता सबकुछ थी।



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