उपहार

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उपहार या गिफ्ट या व्यवहार, क्या दिया जाये, यह तै करना बड़ा कठिन और जोखिम भरा काम है । तय करने के लिए, सबसे अहम् मुद्दे पर विचार करना होता है कि कितने मूल्य तक का दिया जाये ?

बिटिया की शादी के बाद, हम २ यानी कि पति और पत्नी ही परिवार में हैं । हमें अक्सर इस मुद्दे से दो चार होना पड़ता है. इस मुद्दे पर पत्नी और हमारी वैचारिक सहमती ही बड़ी मुश्किल से होती है । पत्नी की सोच प्रैक्टिकल है। आप अध्यापिका है, अतः विवेक और निर्णय शक्ति कूट कूट के भरी है. हम ठहरे मूड अज्ञानी. मिजाज़ है कि घर फूँक तमाशा देख ।

हम ठहरे निश्छल और अविरल प्रेमी । हमने समझ रखा था की वसुधैव कुटुम्बकम् (विश्व एक परिवार है). मूल्यवान गिफ्ट देकर हम सोचते थे कि प्रेम बांट रहे हैं । कहते हैं की प्यार दुनिया में एक पवित्र स्थान रखता है, किन्तु आज की दुनिया में जिसने भी वास्तव में प्यार किया, उसे बदले में दिखावटी आदर तो मिल सकता है, पर ना अपेक्षित और ना ही वांछित ।

अभी कुछ दिन पहले ही पड़ोसी के ६ वर्षीय छोटे बेटे की बर्थडे पार्टी का न्योता आया। उस परिवार में ४ लोंग हैं, पति, पत्नी, और २ बेटे. सभी की बर्थडे मनाई जाती है । पिछ्ले लगभग ६ वर्षो से हमारी उनके परिवार से घनिष्ठता है । हर वर्ष की भाँती, पत्नी और हमारा, क्या गिफ्ट दिया जाये, इस मुद्दे पर विचार विमर्श शुरू हुआ ।

हम हर वर्ष उन चारो की बर्थडे पर लगभग ५०० रूपये मूल्य का नया ख़रीदा हुआ रोज मर्रा काम आने वाला अच्छा गिफ्ट ले जाते हैं, यानी की साल के २,००० रूपये. जब कि वह परिवार, हम दोनों की बर्थडे पर ज्यादा से ज्यादा २०० रुपये मूल्य का पासिंग गिफ्ट लाते हैं, प्रति बर्थडे. पासिंग का मतलब, कही से मिले हुए को आगे बढ़ाना या पास करना. वह भी कोई मोमेनटो या सजवाट का सामान होता है, जो हमारे रोज मर्रा के किसी काम नहीं आता । ज्यादातर, जब तक आगे ना बढा पाए, वह अलमीरा में बंद पड़ा रहता है । पत्नी की व्यवहारिक सोच के हिसाब से हमें भी ज्यादा से ज्यादा कुल ४०० रुपये मूल्य के ४ पासिंग गिफ्ट देने चाहियें, यानी की बेटे की बर्थडे पार्टी पर १०० रूपये मूल्य का पासिंग गिफ्ट. इस प्रकार हमारा इस घनिष्ठता पर हर साल का २,००० रुपया टोटल लॉस ।

बरसो से पत्नी हमें यह बात समझाने की कोशिश कर रही हैं, पर हमें समझ ही नहीं आता था परन्तु इस वर्ष अपनी बर्थडे का गिफ्ट देख कर हमारे ज्ञान चक्षु भी खुल गए परन्तु इस वर्ष अपनी बर्थडे का गिफ्ट देख कर हमारे ज्ञान चक्षु भी खुल गए और हमने भी निर्णय ले लिया की पत्नी का अनुसरण करने में ही भलाई है. । बरसो से उल्लू बनते रहे, कोई बात नहीं, देर आये दुरुस्त आये, साल २०१७ में.

यह सच्ची घटना सिर्फ एक उदाहरण है. ऐसा ही रोज घटता है, सभी के परिवारों में या सभी के घरो में । यह सच है, इसीलिए कडुआ है. बी प्रैक्टिकल ।

अब विचार करने वाला दूसरा पहलु भी है । किसी लड़के की शादी में जाते हैं तो फ्री में ही खाना खा कर आते हैं । यानी की लड़के वाला तो टोटल लॉस में । और अगर हम दोनों किसी लड़की की शादी में गए तो ५०० रूपये का व्यवहार (लिफाफा सेरेमनी) देते हैं, जब की १,००० – १,००० रूपये मूल्य के खाने की दो प्लेट खा जाते हैं और लड़की वाला १,५०० रुपया लॉस में । यहाँ पत्नी का विवेक कहता है की बी प्रैक्टिकल, यानी कि जो सब कर रहे हैं, वही करो ।

लेकिन इस मौके पर एक अपने सभ्रांत परिचित बड़ाई के हकदार हैं । वह पति और पत्नी, ऐसे मौको पर एक ही प्लेट में भोजन करते हैं, जिस से की दावत देने वाले पर कुल १,००० रूपये का ही बोझ पड़े ।

अब बात आती है, त्योहारो के गिफ्ट की, जैसे की दिवाली पर मिठाई । दहिशाम या पिकानो की सोन पापड़ी सबसे अच्छा पासिंग गिफ्ट है । ४ महीने की एक्सपायरी और ना ज्यादा महंगा। ५ - ६ हाथों में तो पास हो ही जाता है। एक ही मोहल्ले में पास ऑन होने से वापस आने की संभावना भी बनी रहती है । जिसको एक्सपायरी के पास मिलता है, वह काम वाली बाई को दे कर अपना पिंड झुडाता है और देने वाले को मन ही मन शुभकामनाये दे प्रभु को धन्यवाद देता है की जान बची तो लाखो पाये, अब लौट के सोन पापड़ी घर ना आये।

इस वर्ष दिवाली पर पत्नी ने बताया की ऑफिस में दिवाली पर कर्मचारीयो को १५० रूपये प्रति किलो वाला लड्डू दिया जाता है और काजू कतली (बर्फी) या ड्राई फ्रूट्स विशिष्ठ लोगो को ।

इस के अतिरिक्त सुविधा शुल्क को भी आप गिफ्ट कह सकते हैं. जहाँ आप को किसी दफ्तर में कुछ काम कराना होता है, वहां गिफ्ट का मूल्य काम या आप के लाभ के अनुपात में होता है।


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