Vikas Sharma

Abstract

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Vikas Sharma

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उम्मीद के धागे

उम्मीद के धागे

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एक ऐसा इंसान दर्पण जो आज समय के उस दौर से गुजर रहा है जहाँ उसे खुद को ये नहीं पता की वो कल सुबह का सूर्योदय देखेगा या नहीं ,पर जिन्दा है एक उम्मीद पर ......,

बचपन से 48 वर्षों तक मृत आत्माओं से साक्षात्कार -सीधी बातचीत -एक बार नहीं दो बार नहीं उसके बाल्यावस्था में यौन शोषण का प्रयास अपनों द्वारा ही -अकेलेपन का दंश -शुरू से ही गलत लोगों का मिलना -राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक दलों एवं सामजसेवी संस्थाओं का पदाधिकारी होना - जल्दी विवाह -घर परिवार में राजनीती -पत्नी का बच्चों सहित घर छोड़ देना -घरवालों का अहंकार -व्यापार में एक के बाद एक नए -बड़े और सुनियोजित धोखे -एक ही शहर में 11 मकानों का बिक जाना -उसके ऊपर एक के बाद एक तांत्रिक प्रयोग -हमले ,नौकरी व व्यापार में सफलता के शिखर को छूना और धड़ाम से जमीन पर आ जाना -धरम और श्रद्धा में इतना बड़ा धोखा खा जाना की आपके रोंगटे खड़े हो जायें की क्या इस कलयुग में भी कोई ऐसा शिष्य हो सकता है क्या -बिटीया की बेहतरीन शादी पर यहाँ भी धोखा -एक ऐसे राज का पर्दाफाश जो आपको रोने पर -सोचने पर मजबूर कर दे -हर दुःख तकलीफ से भारी -अपनों से ही आंतरिक लड़ाई -और आज अर्श से फर्श पर,पर जिन्दा है एक उम्मीद पर ......,

जो दर्पण अपना जीवन अपने ७ जनों के परिवार के लिए नहीं बल्कि सात सौ -सात हजार -सात लाख -सात करोड़ लोगों के लिए सर्वस्व करना चाहता है ,जिसने अपने आपको अपने सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज ध्यानपुर को समर्पित कर रखा है आज वो मसाज पार्लर या औरतों की मसाज या उनको शारीरिक संतुष्ट करने वाले लोगों तक जाने की सोच रहा है पैसों के लिए -अपनी किडनी बेचने की सोच रहा है पैसों के लिए जिससे की वो अपने कर्जों से मुक्त होकर -सतगुरु का आश्रम मंदिर बनाना चाह रहा है -छोटी बिटिया का विवाह करना चाह रहा है और अपने परिवार की जायज अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करते हुए उनको सुखद सुरक्षित भविष्य देते हुए सतगुरु के मार्ग पर जीवन अर्पण करना चाह रहा है ,पर जिन्दा है एक उम्मीद पर ......,

वास्तव में अगर आप सकारात्मक सोच और एक उम्मीद रखते हैं तो दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं हरा सकती !

ये एक वास्तविक जीवन यात्रा है , इस शक्ति को नमन !


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